Rajasthan

Ancient Ramchandra temple in Sirohi statues preserved in museum surprised to see the artistry

सिरोही. राजास्थान के सिरोही जिले को देवभूमि माना जाता है. सिरोही में सैकडों वर्ष प्राचीन कई मंदिर है, जो यहां की ऐतिहासिक धरोहर है. इनमें से एक है रेवदर तहसील के मालीपुरा कुसुमा गांव का प्राचीन रामचंद्र मंदिर. इस भव्य मंदिर का कार्य अभी जारी है, लेकिन मंदिर का इतिहास 7वीं सदी का है. यहां बने संग्रहालय में कई प्राचीन मूर्तियां आज भी सुरक्षित रखी हुई है. 7वीं सदी में इस स्थान पर शिव मंदिर हुआ करता था. मंदिर और क्षेत्र के बारे में शोध कर चुके शोधार्थी डॉ. चतराराम माली के अनुसार अर्बुद मंडल की नंदवार पहाड़ियों में स्थित कुसमा के शिव मंदिर की प्राचीनता का साक्षी मण्डोर संग्रहालय में रखा कुसमा अभिलेख है.

यह संस्कृत भाषा में लगभग सातवीं शताब्दी की सिद्धमातृका वर्णमाला में लिखा हुआ है. इस अभिलेख को डीसी सरकार ने 1970 ई. में प्रकाशित किया था. शिलालेख का उद्देश्य ऋषि कुत्स (kutsa) के आश्रम में एक शिव मंदिर के निर्माण को रिकॉर्ड करना है. यह मंदिर कुसमा के पड़ोस में सत्यभट्ट नाम के योद्धा द्वारा विक्रम संवत् 693 (636-37 ई.) में बनाया गया था.

2017 में करवाया गया था सर्वे 

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया वेस्टर्न सर्कल (ASIWC) की ओर से वीएस सुकथंकर ने पहली बार 13 फरवरी 1917 में कुसमा का दौरा किया था. उन्होंने वार्षिक प्रगति रिपोर्ट में कुसमा के साथ फोटोग्राफ तथा दो शिलालेखों को सूचीबद्ध किया था. इन फोटोग्राफ के आधार पर एमए ढाकी ने 1967 में अमेरिकन एकेडमी ऑफ बनारस’ में आयोजित ‘इंडियन टेम्पल आर्किटेक्चर’ विषयक सेमिनार में कुसमा मंदिर एवं उसके डेटिंग पर लेख पढ़ा. उन्होंने कुसमा मंदिर की बिथु के विष्णु मंदिर तथा वरमाण के ब्रह्माणस्वामी मंदिर से समानता बताते हुए इसे महागुर्जर शैली का नौवीं शताब्दी उत्तरार्द्ध का या दसवीं शताब्दी पूर्वार्द्ध का मंदिर बताया.

फोटोग्राफ में मिली थी रामजी की प्राचीन मूर्ति

प्रसिद्ध इतिहासकार गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने 1911 ई. में प्रकाशित ‘सिरोही राज्य का इतिहास’ में इस मंदिर को आठवीं शताब्दी के आस-पास का माना है. 1917 के फोटोग्राफ में मंदिर का काफी हिस्सा बर्बाद हुआ नजर आ रहा है. शिव मंदिर के बिल्कुल पास उत्तर दिशा में एक जगती (प्लैटफॉर्म) पर रामचन्द्र जी की खंडित मूर्ति के साथ मंदिर के अवशेष भी मौजूद थे. संभवतः इसलिए, यह स्थान ‘रामचन्द्र जी मंदिर’ के नाम से जाना जाता है.

महमूद गजनवी ने किया था हमला

महमूद गजनवी 1025 ई. में सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण करने के लिए इसी क्षेत्र से गुजरा था. कुसमा मंदिर की बर्बाटी एवं परिसर में टूटी पड़ी मूर्तियों के आधार पर संभावना व्यक्त की गई कि यह मंदिर भी गजनवी के आक्रमण का शिकार हुआ है. बाद में संतों के सानिध्य में 1981-82 में यह मंदिर पूजा योग्य बनाया गया. प्राचीन मंदिर की मूर्तियां यहां पर बने संग्रहालय में रखी हुई है. वर्तमान में यहां एक शिलालेख भी मौजूद है.

2007 में शुरू हुआ मंदिर का जीर्णोद्धार

वर्तमान में जो विशाल मंदिर मौजूद है, वह महन्त ओ औ 1008 कैलाशगिरि महाराज के संकल्प एवं धार्मिक आस्था का परिणाम है. उन्होंने ठाकुर वीरभद्रसिंह देवड़ा की अध्यक्षता में मंदिर निर्माण समिति का गठन कर जनसहयोग में मंदिर निर्माण का बीड़ा उठाया. यह मंदिर 15 नवंबर 2007 को भूमि पूजन के साथ प्रारंभ हुआ, जो 23 मई 2019 को मंदिर की प्रतिष्ठा के साथ पूर्ण हुआ.

Tags: Local18, Rajasthan news, Sirohi news

FIRST PUBLISHED : December 7, 2024, 13:29 IST

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