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राहत की खबर: लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में भी होगा कैंसर मरीजों का इलाज, बस 1 रुपये में बनेगी पर्ची

रिपोर्ट-अंजलि सिंह राजपूत

लखनऊ. यूपी की राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में एक रुपए के पर्चे पर कैंसर के मरीजों के लिए ओपीडी सेवा की शुरुआत हो गई है. अस्पताल के ओपीडी कॉम्प्लेक्स बिल्डिंग में कमरा नंबर 12 नंबर में कैंसर के मरीजों का इलाज शुरू हो गया है. यह ओपीडी सप्ताह में तीन दिन सोमवार, मंगलवार और बुधवार को होगी. कैंसर के मरीज इसमें सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक दिखा सकते है. इसके अलावा लखनऊ में कैंसर का इलाज पीजीआई, केजीएमयू और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में किया जाता है.

ओपीडी के डॉक्‍टर डॉ. अभय प्रताप सिंह एमबीबीएस,एमडी होने के साथ ही रेडिएशन ऑन्कोलॉजी हैं. वह ओपीडी में आने वाले मरीजों की जांच कर उपचार कर रहे हैं. कैंसर मरीजों के लिए छह डॉक्टर्स की टीम को इसमें तैनात किया गया है. जबकि दो दिन में ही जांच और इलाज के लिए 15 मरीज आ चुके हैं. सबसे बड़ी खास बात यह है कि अभी तक लखनऊ में आर्थिक रूप से कमजोर कैंसर के मरीजों को पीजीआई और केजीएमयू में लंबी वेटिंग मिलती थी. जांच और इलाज समय पर नहीं मिल पाता था. यही नहीं, अधिक भीड़ होने की वजह से मरीजों का नंबर देर से आता था. वहीं, ऐसे में मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक चक्कर लगाने को मजबूर होते थे.

दवाएं भी मुफ्त मिल रहीं
बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. जेपी गुप्ता ने बताया कि अस्‍पताल में एक पूरी यूनिट है जो कैंसर मरीजों का इलाज कर रही है. मरीजों को इस अस्पताल में निशुल्क जांच और इलाज के साथ ही उन्हें मुफ्त में दवाएं भी मिलेंगी. आर्थिक रूप से कमजोर कैंसर के मरीजों के लिए यह यूनिट वरदान बनकर उभरेगी. सभी डॉक्टर्स और पूरा अस्पताल प्रशासन बहुत ही मेहनत से इसमें जुटे हुए हैं, जिससे कि यहां पर आने वाले मरीजों को बेहतर से बेहतर इलाज मिल सके.

लगातार आ रहे हैं मरीज
कैंसर ओपीडी में मरीजों का इलाज कर रहे रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. अभय प्रताप सिंह ने बताया कि हफ्ते में तीन दिन सोमवार, मंगलवार और बुधवार को मरीजों को यहां पर सुबह आठ बजे से दो बजे तक जांच, इलाज और दवाएं सब कुछ मुफ्त में मिलेगा. उन्होंने बताया कि बाकी दिनों में इमरजेंसी में मरीजों को भर्ती किया जाएगा. यानी बाकी दिन भी मरीज यहां पर इलाज के लिए आ सकते हैं. उन्होंने बताया,’ कैंसर के मरीजों के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है कि उन्हें समय पर नहीं पता चल पाता है, वह कैंसर से पीड़ि‍त हैं या नहीं. ऐसे में देर हो जाती है.’

बहरहाल, बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी की सबसे महत्वपूर्ण बात यही होगी कि जांच के जरिए कैंसर को पहले स्टेज पर ही पकड़ लिया जाएगा. इसके बाद मरीज का इलाज शुरू कर दिया जाएगा. समय पर इलाज मिलने से मरीज की जान बचाई जा सकेगी.

मरीज बोले बड़ी राहत दी है
दिल्ली और उत्तर प्रदेश के दूसरे अस्पतालों में कैंसर की जांच के लिए धक्के खाकर बलरामपुर अस्पताल पहुंचे लखनऊ के ही रहने वाले नीरज सिंह बताते हैं कि उनकी पत्नी को स्तन कैंसर है. स्तन कैंसर को लेकर उन्होंने कई जगह पर धक्के खाए हैं. पिछले 6 महीने के दौरान अब बलरामपुर अस्पताल उनके घर के पास में ही है और यहां पर अभी तक जो सलाह दी गई है उससे वह संतुष्ट हैं. अब वह अपनी पत्नी का इलाज यहीं से कराएंगे. उन्होंने बताया कि अब तक करीब 70,000 से ज्यादा रुपये जांच और इलाज में उनका खर्च हो चुका है. वहीं, बहराइच से आए वेद प्रकाश ने बताया कि उनके पिता को गुर्दे का कैंसर है. यहां पर रिपोर्ट दिखा दी है. पिता को बुलाया गया है, तो अब बहराइच से अपने पिता को लाकर यहीं से इलाज कराएंगे. मुफ्त में इलाज मिल रहा है आज के जमाने में, कैंसर जैसी बीमारी का मुफ्त में इलाज मिलना सच में मरीजों के लिए वरदान है.

निजी लैब में महंगी हैं जांचे
लखनऊ का बलरामपुर हॉस्पिटल एक रुपये के पर्चे पर मरीज को इलाज की सुविधा उपलब्ध करा रहा है, लेकिन बात करें निजी पैथोलॉजी लैब की तो यहां पर कैंसर के मरीज के फुल बॉडी चैकअप की कीमत ही 1500 से लेकर 3500 रुपए तक है. ओवेरियन कैंसर के लिए निजी लैब 800 रुपए से भी ज्यादा लेते हैं. वहीं ब्रेस्ट कैंसर की जांच 1400 रुपए से भी ज्यादा में होती है. प्रोस्टेट कैंसर की निजी लैब में जांच 850 रुपए लेते हैं. इसी तरह दूसरी तरह के कैंसर के लिए जांच की शुरुआत ही 800 से लेकर करीब 50,000 तक गई है. यानी जितनी बड़ी लैब उतना दोगुना जांच के लिए रुपया मरीज और उनके परिवारों से लिया जाता है. किसी भी लैब में कैंसर की जांच के लिए कोई कीमत तय नहीं है. ज्यादातर निजी लैब अपनी-अपनी सहूलियत के हिसाब से रुपए वसूलते हैं.

अभी इन अस्पतालों में हो रहा था कैंसर रोगियों का इलाज
लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में पीजीआई, किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कैंसर के मरीजों का इलाज हो रहा था, लेकिन यहां पर पूरे उत्तर प्रदेश के 75 जिलों से मरीज आते हैं, जिस वजह से यहां पर मरीजों को करीब 1 से 2 महीने की लंबी वेटिंग दी जाती है. तारीख पर तारीख मिलने की वजह से कई मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता और जब तक उनका नंबर आता है तब तक ज्यादातर मरीज दम तोड़ चुके होते हैं.

Balrampur Hospital

Tags: Cancer Survivor, Government Hospital, Lucknow latest news

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