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Assam Congress MLA Rupjyoti Kurmi resigns, says Rahul Gandhi unable to shoulder leadership

कांग्रेस नेता और चार बार के विधायक रूपज्योति कुर्मी ने राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए विधानसभा सदस्यता (MLA पद) से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्पीकर बिस्वजीत दैमारी को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

गुवाहाटी। कांग्रेस के अंदर केंद्रीय नेतृत्व के साथ-साथ राज्य स्तर पर भी नेतृत्व की कमी स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती है। यही कारण है कि राजस्थान हो या पंजाब, मध्य प्रदेश हो या फिर असम.. तकरीबन सभी जगह कांग्रेस पार्टी के अंदर घमासान मचा है।

इसी बीच अब असम में हाल ही में समाप्त हुए विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद एक बार फिर से कांग्रेस के अंदर बगावत के सूर उभरने लगे हैं। पार्टी के नेता और विधायक राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं। शुक्रवार को कांग्रेस नेता और विधायक रूपज्योति कुर्मी ने राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए विधानसभा सदस्यता (MLA पद) से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्पीकर बिस्वजीत दैमारी को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

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रूपज्योति के इस्तीफे के बाद एक बार फिर से असम कांग्रेस के अंदर राहुल गांधी को लेकर सवाल उठने लगे हैं। बहरहाल, पार्टी आलाकमान रूपज्योति के इस्तीफे को कितनी गंभीरता से लेती है ये तो वक्त बताएगा।
कुर्मी ने इस्तीफे से पहले आरोप लगाते हुए कहा, “कांग्रेस अपने युवा नेताओं की नहीं सुन रही है। यही कारण है कि सभी राज्यों में पार्टी की स्थिति खराब हो रही है। मैं विधानसभा अध्यक्ष से मिलूंगा और अपना इस्तीफा दे दूंगा।”

चार बार कांग्रेस विधायक रहे हैं रूपज्योति कुर्मी

मालूम हो कि रूपज्योति कुर्मी कांग्रेस पार्टी से चार बार विधायक रहे हैं। उन्होंने कहा “राहुल गांधी नेतृत्व करने में असमर्थ हैं, अगर वह शीर्ष पर हैं तो पार्टी आगे नहीं बढ़ेगी। मैं दिल्ली में हाईकमान के तौर पर कांग्रेस छोड़ रहा हूं और गुवाहाटी के नेता बुजुर्ग नेताओं को ही प्राथमिकता देते हैं।”

उन्होंने कहा, “हमने उन्हें बताया कि कांग्रेस के पास इस बार सत्ता में आने का अच्छा मौका है और हमें AIUDF के साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह एक गलती होगी। यह वास्तव में था।”

विधानसभा 2021 चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 29 सीटें मिली

गौरतलब है कि अप्रैल 2021 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने असम में कुल 126 निर्वाचन क्षेत्रों में से 75 सीटें जीतकर सहज बहुमत हासिल की।

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भाजपा ने लगभग 33 फीसदी वोट शेयर के साथ जहां 60 सीटें हासिल कीं, वहीं उसके सहयोगी असम गण परिषद (एजीपी) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी, लिबरल (यूपीपीएल) को क्रमशः नौ और छह सीटें मिलीं।

जबकि कांग्रेस 29 सीटों (29.7 प्रतिशत वोट शेयर) हासिल करने में सफल रही। कांग्रेस के सहयोगी ‘महाजोठ’ सहयोगी AIUDF ने 16 सीटें जीतीं और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने राज्य विधानसभा चुनावों में कुल 126 निर्वाचन क्षेत्रों में से चार सीटें हासिल कीं।











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