आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह और उपयोग

Last Updated:November 02, 2025, 15:01 IST
पान के पत्तों का उपयोग हज़ारों वर्षों से हो रहा है, यह न केवल भोजन के बाद माउथ फ्रेशनर के रूप में, बल्कि धार्मिक, औषधीय और स्वास्थ्य लाभ के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है. पान के पत्तों में प्राकृतिक तत्व पाचन को सुधारते हैं, मुंह की स्वच्छता बनाए रखते हैं, और शरीर को बाहरी संक्रमणों से बचाते हैं. साथ ही, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और न्यूरोट्रांसमीटर तनाव कम करने, मूड बेहतर बनाने और शरीर में ऊर्जा बढ़ाने में सहायक हैं. 
पान के पत्तों का उपयोग हजारों वर्षों से किया जा रहा है, यह केवल भोजन के बाद माउथ फ्रेशनर के रूप में ही नहीं, बल्कि धार्मिक और औषधीय दृष्टि से भी बहुत खास माना गया है. हरे, चमकदार और सुगंधित पान के पत्ते पूजा-पाठ से लेकर सामाजिक आयोजनों तक का हिस्सा होते हैं. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह पत्ता शरीर को स्वस्थ और जवान बनाए रखने की क्षमता भी रखता है.

आयुर्वेदिक डॉक्टर महेश शर्मा ने बताया कि पुराने समय में पान खाने की परंपरा केवल सामाजिक रिवाज नहीं थी, बल्कि इसके पीछे चिकित्सा का ज्ञान छिपा हुआ था. उनके अनुसार, यदि पान के पत्ते को सही तरीके से और सीमित मात्रा में खाया जाए, तो यह शरीर को कई रोगों से बचाता है और लंबे समय तक फिट रखता है, इसलिए इसके पत्तों से पान तैयार किया गया, जो आज बहुत से लोगों की पसंद है.

आयुर्वेदिक डॉक्टर के अनुसार, खाना खाने के बाद पान का सेवन करने की परंपरा हमारे पूर्वजों की सेहतमंद आदतों में से एक थी. पान के पत्तों में मौजूद प्राकृतिक तत्व पाचन तंत्र को सुचारू रूप से काम करने में मदद करते हैं. यह भोजन को जल्दी पचाने में सहायक होता है, जिससे गैस, एसिडिटी, अपच और पेट दर्द जैसी परेशानियों से राहत मिलती है. यही कारण है कि भोजन के बाद पान खाना सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है.

इसके अलावा, पान के पत्तों में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण श्वसन संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक हैं. मौसम बदलने पर, जब सर्दी-जुकाम या कफ की समस्या बढ़ जाती है, तो पत्तियों को गर्म पानी में उबालकर उसकी भाप लेना बहुत फायदेमंद रहता है. इससे गले और फेफड़ों में जमी बलगम ढीली होती है और सांस लेने में आसानी होती है। यानी, पान का उपयोग घरेलू नुस्खों में भी किया जा सकता है.

आयुर्वेदिक डॉक्टर महेश शर्मा ने बताया कि अगर आप तनाव, थकान या चिड़चिड़ेपन से परेशान रहते हैं, तो पान के पत्तों का सेवन मानसिक शांति प्रदान कर सकता है. पत्तों में मौजूद रासायनिक तत्व एसिटाइलकोलाइन नामक न्यूरोट्रांसमीटर को संतुलित करते हैं, जिससे मूड बेहतर होता है और दिमाग को ताजगी मिलती है। यह तनाव कम करने, नींद सुधारने और शरीर में ऊर्जा बढ़ाने में भी मदद करता है.

पान के पत्तों में जीवाणुरोधी और कवकरोधी गुण पाए जाते हैं, जो शरीर में संक्रमण फैलाने वाले कीटाणुओं को खत्म करते हैं. नियमित रूप से शुद्ध पान का सेवन मुंह की दुर्गंध को कम करता है और मसूड़ों की सूजन को घटाता है. यह मुंह की स्वच्छता बनाए रखने के साथ-साथ शरीर को बाहरी संक्रमणों से भी बचाता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है.

आयुर्वेदिक डॉक्टर महेश शर्मा ने बताया कि पान का सेवन हमेशा प्राकृतिक और शुद्ध रूप में करना चाहिए. चूना, कत्था या सुपारी जैसे तत्व शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं, इसलिए इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए। खाने के बाद सादा हरा पान खाना या उसके पत्तों का काढ़ा पीना सबसे अच्छा तरीका है. इससे पाचन सुधरता है, शरीर में ऊर्जा बनी रहती है और उम्र बढ़ने के लक्षण देर से दिखाई देते हैं, यही कारण है कि इसे अमृत समान कहा गया है.
First Published :
November 02, 2025, 15:01 IST
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जानिए पान के पत्तों के फायदे: आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह और इसका उपयोग



