BA pass youth is selling watermelon, started commercial farming due to lack of profit from traditional farming, unemployment was also a major reason.

Last Updated:May 04, 2025, 11:59 IST
उम्मेद पूनिया, नवलगढ़ के सौंथली गांव के निवासी, बेरोजगारी से परेशान होकर तरबूज की खेती कर रहे हैं. उन्होंने परंपरागत खेती छोड़कर ऑर्गेनिक तरबूज उगाए, जो 70-75 दिन में तैयार हो जाते हैं.X
BA पास युवा बेच रहा है तरबूज
हाइलाइट्स
उम्मेद पूनिया ने बेरोजगारी के कारण तरबूज की खेती शुरू की.ऑर्गेनिक तरबूज 70-75 दिन में तैयार होते हैं.गर्मी में तरबूज की अच्छी डिमांड होती है.
झुंझुनूं. झुंझुनूं के नवलगढ़ कस्बे की ग्राम पंचायत सौंथली के रहने वाले उम्मेद पूनिया बेरोजगारी से परेशान होकर अब तरबूज की खेती कर रहे हैं. उम्मेद ने बताया कि दिन प्रतिदिन बढ़ती बेरोजगारी और परंपरागत फसलों से कम मुनाफे के कारण आज किसान काफी कमजोर होता जा रहा है. उन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई पूरी करने के बाद काफी समय तक कंपटीशन की तैयारी की लेकिन उसमें सफलता नहीं मिलने के कारण अब उनके द्वारा परंपरागत खेती छोड़कर व्यावसायिक खेती की जा रही है.
उन्होंने बताया कि BA करने के बाद कई कंपटीशन में भाग लिया लेकिन सफलता नहीं मिली. काफी समय से उनके परिवार के द्वारा परंपरागत खेती जिसमें गेहूं, चना, जो, सरसों, बाजरा इत्यादि उगाया जाता था लेकिन इसकी पैदावार कुछ खास नहीं होती थी. इसलिए इस बार उन्होंने नया काम करते हुए अपने खेत में तरबूज की खेती की, अब उनके द्वारा तरबूज बेचने का काम किया जा रहा है. उनके द्वारा इस बार ऑर्गेनिक तरीके से तरबूज तैयार किए गए हैं.
कम समय में हो जाते हैं तैयारउन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत करने से पहले इसकी जानकारी जुटाई, उसके पश्चात उन्होंने अपने 5 बीघा खेत में तरबूज की बुवाई की है. अभी उनकी तरबूज की फसल बिकने के लिए तैयार है. वह खुद सड़क किनारे एक छोटी सी टपरी बनाकर अपने तरबूज बेचते हैं. वह इसके अलावा गांव में भी सप्लाई किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि तरबूज 70-75 दिन में पैदावार देना शुरू कर देते हैं और गर्मियों में इसकी अच्छी खासी डिमांड भी रहती है.
फसल पर देना पड़ता है ध्यानतरबूज की खेती करने के दौरान आने वाली प्रमुख चुनौतियों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि तरबूज बुवाई की समय में लगने वाली लट, इसके अलावा तरबूज की बुवाई के समय चूहों का प्रकोप न हो इसका भी विशेष ध्यान रखना पड़ता है, साथ में गिलहरियों के द्वारा भी उनको नुकसान पहुंचाया जाता है. बुवाई के पश्चात जब तरबूज के फ़ूटान आने शुरू होते हैं उस समय भी विभिन्न कीटों का प्रकोप उन पर रहता है जिससे बचने के लिए भी उनका ध्यान रखा जाता है. उम्मेद ने तरबूज की बिक्री के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि दिन में उनके 10 से 15 कुंटल तरबूज बिक जाते हैं. वह अभी ₹15 किलो के हिसाब से बेच रहे हैं. स्वादिष्ट होने के कारण अच्छी खासी डिमांड है.
Location :
Jhunjhunu,Jhunjhunu,Rajasthan
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BA पास तरबूज वाला! नौकरी नहीं मिली तो बेरोजगारी से परेशान होकर शुरू की खेती