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बाबा वेंगा की डराने वाली भविष्यवाणी हो गई सच… 4 दशक पहले कही थी ये बात, नहीं होगा विश्वास

Last Updated:April 16, 2025, 14:58 IST

Baba Venga Shocking Prediction: बाबा वेंगा का 2025 के डराने वाली भविष्यवाणी आई है. इसमें इंसानों की मानसिकता को लेकर डराने वाली भविष्यवाणी की है. इसे लेकर पूरी दुनिया में बहस छिड़ गया है.बाबा वेंगा की डराने वाली भविष्यवाणी हो गई सच... 4 दशक पहले कही थी ये बात

बाबा वेंगा की डराने वाली भविष्यवाणी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Baba Venga Shocking Prediction: बाबा वेंगा की भविष्यवाणियों से कौन वाकिफ नहीं होगा. 4 दशक पहले उनका निधन हो चुका है. मगर, आज भी उनकी सारी बातें, सारी भविष्यवाणियां सच साबित होती हैं. अभी 2025 में मानव जाति को लेकर एक भविष्यवाणी शत् प्रतिशत सच होती दिख रही है. उन्होंने डिजिटल डिटॉक्स और आर्टिफिशियल इंटिलेजेंस को लेकर बात कही है. उन्होंने कहा था कि 2025 में डिजिटल क्रांति होगी फिर इंसानों में इमोशन की कमी हो जाएगी.

वेंगा ने अपनी चेतावनी में कहा कि 2025 में स्मार्टफोन का चल बढ़ जाएगा. इसके अत्यधिक उपयोग से मानव व्यवहार को खतरनाक बदलाव आएगी. उन्होंने कहा था कि स्मार्टफोन पर अति-निर्भरता न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि इमोशनली और सोशली भी नुकसान पहुंचाएगी.

वेंगा ने भविष्यवाणी की थी कि लोग धीरे-धीरे सच्ची भावनाओं को महसूस करने की क्षमता खो देंगे. वास्तविकता से कटकर मशीनों की तरह जीवन जिएंगे. उन्होंने चेताते हुए कहा कि एक भविष्य ऐसा होगा कि इंसान मशिन की तरह हो जाएंगे. इंसान उदासीन जीवन, मशीनों से प्यार, शारीरिक संतुष्टि के लिए भी मशीनों पर निर्भर रहेंगे.

2025 में मोबाइल का उपयोग बढ़ेगावर्तमान में कई शोध वेंगा की चेतावनियों की पुष्टि करते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और व्यवहारिक अध्ययनों के अनुसार, 2025 में विश्वभर में स्मार्टफोन का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ा है. औसतन लोग रोजाना 7 घंटे से अधिक स्क्रीन पर समय बिताते हैं, जिसमें से लगभग 4 घंटे स्मार्टफोन पर खर्च होते हैं.साइक्लोजिकल स्टडी से पता चलता है कि स्मार्टफोन के अति-उपयोग से-

इसकी नीली रोशनी के कारण नींद में खलल पड़ता है.

इसके लगातार उपयोग से पर्सनल और सोशल तनाव बढ़ता है.

कंसंट्रेशन का समय कम होगा है, खासकर छात्रों और पेशेवरों में.

चिंता, अवसाद और अकेलापन जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाएंगी.

एक्सपर्ट की मानें तो सोशल मीडिया और मोबाइल ऐप्स का डोपामाइन चक्र (पल में खुशी, फिर झटके में दर्द) युवाओं के दिमाग को प्रभावित कर रहा है.

इमोशनल इंटेलिजेंस का पतनबाब वेंगा ने इमोशनल इंटेलिजेंस की कमी की चेतावनी दे दी थी. रिसर्च बताते हैं कि डिजिटल संचार में आमने-सामने की बातचीत की भावनात्मक गहराई का अभाव है. युवा और किशोर गहरी बातचीत या सहानुभूति दिखाने में अक्षम हैं, क्योंकि व्यक्तिगत मुलाकातें काफी कम हो गई हैं. डिजिटल दोस्ती अक्सर सतही और अस्थायी होती हैं.

डिजिटल डिटॉक्स की बढ़ती मांगबाबा वेंगा की भविष्यवाणी के बाद से ‘डिजिटल डिटॉक्स’ आंदोलन जोर पकड़ रहा है. इसमें लोग मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक संतुलन के लिए मोबइल या डिजिटल उपकरण पर निर्भर रहते हैं. इसे देखते हुए फ्रांस ने ऑफिस के दौरान मोबाइल के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया है. दक्षिण कोरिया स्कूलों में स्मार्टफोन बैन है. ऐपल-गूगल ने स्क्रीन टाइम मॉनिटरिंग टूल्स बनाए हैं.

First Published :

April 16, 2025, 14:51 IST

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