Ban on single use plastic yet more than 300 tonnes of plastic waste is coming out daily
जयपुर. केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय 100 माइक्रोन से कम मोटाई की प्लास्टिक के बने तमाम उपयोगी सामान पर एक जुलाई से बैन लगाया जा चुका है. जयपुर में भी प्लास्टिक बैन के बाद निगमों की ओर से रोज छोटी-बड़ी कार्रवाई की जा रही है. मगर कचरे से निकल रहे प्लास्टिक का निस्तारण ठीक तौर पर नहीं हो पा रहा है. जयपुर शहर का कुल वेस्ट प्रतिदिन करीब 1400 मीट्रिक टन है, जिसमें प्लास्टिक वेस्ट 280 मीट्रिक टन है. इस कचरे को कई लोग उठा रहे हैं, लेकिन पूरा प्लास्टिक कचरा निस्तारित नहीं हो पा रहा है. कुछ कचरे को सेग्रीगेट करके ऊर्जा संयंत्र में इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन नगर निगम दूसरा संयंत्र नहीं लगा पाया है.
जयपुर शहर से उठने वाले डेढ हजार टन कचरे में प्लास्टिक का कचरा कितना है इसकी कोई मात्रा तय नहीं है, लेकिन शहर की कई संस्थाएं नगर निगम के कचरे से प्लास्टिक बीनकर इसका निस्तारण कर रही है. प्लास्टिक वेस्ट देश के कई शहरों के लिए कमाई का साधन बन गया है. ग्रेटर नगर निगम ने भी प्लास्टिक से कमाई शुरू कर दी है. ग्रेटर निगम के 9 में से 7 कचरा ट्रांसफर स्टेशनों पर कचरे से प्लास्टिक निकालने का काम दिया गया है. इससे ग्रेटर निगम को हर महीने दस लाख रुपए की कमाई हो रही है. वहीं हैरिटेज नगर निगम में अब भी प्लास्टिक कचरे का निस्तारण सही तरीके से नहीं हो पा रहा है. सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारी संस्थान तक ही नहीं है, बल्कि हर नागरिक को इसके लिए आगे आना होगा. खुद भी पॉलिथीन के इस्तेमाल से बचें और अपने आसपास भी लोगों को जागरूक करें. इसके बाद इसका उपयोग नहीं किया जाएगा. यदि कोई उपयोग करते हुए पाया जाएगा तो संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी.
कितने स्तर तक शामिल है सिंगल यूज प्लास्टिक में
आपके शहर से (जयपुर)
– 40 माइक्रोमीटर या उससे कम स्तर के प्लास्टिक को सिंगल यूज प्लास्टिक में शामिल किया गया है. इनमें सब्जी के पॉलीथिन कैरीबैग, चाय के प्लास्टिक कप, चाट गोलगप्पे वाली प्लास्टिक प्लेट, बाजार से खरीदी पानी की बोतल, स्ट्रॉ सिंगल यूज प्लास्टिक से बने उत्पाद है. राज्य सरकार ने पूरे प्रदेशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन कर रखा है. इसके बावजूद दोनों नगर निगम में कचरे में रोजाना 200 से 300 टन प्लास्टिक कचरा निकल रहा है. यह प्लास्टिक कचरा धरती को बांझ कर रहा है और आमजन के साथ-साथ जलीय जीव, जानवर सभी को नुकसान पहुंचा रहा है. जयपुर शहर के घरों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, होटल्स और थड़ी-ठेला से रोजाना 1,340 टन मीट्रिक टन कचरा निकल रहा है. इसमें से 60 फीसदी कचरा गीला और 40 प्रतिशत कचरा सूखा होता है. शहर में जो सूखा कचरा उत्पादित होता है उसका करीबन आधा हिस्सा प्लास्टिक कचरे के रूप में होता है विशेषज्ञों की माने तो कचरे के निस्तारण पर निगमों को खास ध्यान देने की जरूरत है.

इस प्रकार शहर के बाजारों में धड़ल्ले से प्लास्टिक का इस्तेमाल सामानों को बेचने-खरीदने में किया जा रहा है और सरकार एवं नगर निगम अमला इस पर लगाम लगाने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे है.
तेजी से बढ़ रहा सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग
देश-दुनिया में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसका निस्तारण नहीं होने से यह पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है. शहर से लगातार बड़ी मात्रा में निकल रहे कचरे के ढेर में प्लास्टिक की मात्रा ज्यादा होने से शहर की सड़कों के किनारे प्लास्टिक बिखरा रहता है. कचरा परिवहन वाहनों से भी प्लास्टिक कचरा उड़ता रहता है, लेकिन प्लास्टिक इतनी जल्दी नष्ट नहीं होता है. इसलिए लोग प्लास्टिक कम काम में ले तो पर्यावरण के लिए बेहतर होगा.
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Tags: Jaipur news, Plastic waste, Pollution, Rajasthan news, Single use Plastic
FIRST PUBLISHED : February 16, 2023, 13:25 IST