Rajasthan

Barmer News: मांगीलाल के हाथ का हुनर देख आप भी कहेंगे वाह, नीम और शीशम की लकड़ी से बनाते हैं रोजमर्रा की चीजें

रिपोर्ट- मनमोहन सेजू

बाड़मेर. कहते हैं कि हाथ में हुनर हो तो कमाई के रास्ते खुल ही जाते हैं, मगर आपका हुनर वाकई कमाई कराने वाला होना चाहिए. एक ऐसा ही हुनर सीमांत बाड़मेर जिले के 60 वर्षीय एक व्यक्ति के पास है. हाथों का हुनर ऐसा कि देखने वाला देखता रह जाए. जी हां! बाड़मेर शहर के बलदेव नगर निवासी मांगीलाल के हाथ का हुनर देखकर दंग रह जाएंगे. मांगीलाल हाथ के हुनर से लकड़ी के कंघे, कंघिया, खड़ताल सहित वाद्य यंत्र भी बनाते हैं.

आपके शहर से (बाड़मेर)

सरहदी बाड़मेर जिले को हस्तशिल्प का खजाना कहा जाता रहा है. यहां हुनरबाजों की कोई कमी नहीं है लेकिन हस्तशिल्प से बने उत्पादों की मार्केटिंग नहीं होने के चलते यहां के हुनरबाजों का हुनर अपने तक ही सीमित रह रहा है. बाड़मेर शहर के बलदेव नगर निवासी मांगीलाल शीशम और नीम की लकड़ियों से कई तरह के आइटम तैयार कर रहे हैं. यह किसी मशीन से नहीं, बल्कि हाथों की कारीगरी से तैयार किए हैं. अलग-अलग वैरायटी के कंघे-कंघियों के साथ मांगीलाल शीशम की लकड़ी से वाद्य यंत्र खड़ताल भी बनाते हैं.

नीम की लकड़ी से बनाते हैं बेलन

मांगीलाल शीशम की लकड़ी से वाद्य यंत्र खड़ताल भी बनाते है. इसके अलावा नीम की लकड़ी से बेलन, मूसल, डंडे समेत कई तरह के उत्पाद अपने हाथों से बनाने के साथ रंग रोगन और डिजाइनिंग भी करते हैं. इसके बावजूद इसके इतना मेहनताना नहीं मिल पा रहा है.

मांगीलाल ने पिता से सीखा काम

60 वर्षीय मांगीलाल बताते हैं कि लकड़ी पर हाथों से कारीगरी का काम उन्होंने अपने पिता पोकराराम से सीखा था और यह उनका पुस्तैनी काम है. मांगीलाल के अनुसार, एक कंघी को तैयार करने में करीब 1 घंटे का समय लगता है, लेकिन मेहनत जितना मेहनताना नहीं मिलने की वजह से उनके बच्चे अब इस काम को सीखने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. मांगीलाल का कहना है कि सरकार कुछ मदद करे तो बाड़मेर की हस्तशिल्प कला को बढ़ावा व सरंक्षित किया जा सकता है.

Tags: Barmer news

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