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संघर्षो से भरा रहा जीवन, पढ़ाई के लिए की मजदूरी, जिस कॉलेज में कभी की थी पढ़ाई अब उसी के बने प्राचार्य

Agency: Rajasthan

Last Updated:February 11, 2025, 15:16 IST

Sucess Story: अजमेर जिला स्थित सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के ने काफी संघर्षो से सफलता हासिल की है. डॉ. बहरवाल जिस कॉलेज में पढ़ाई किया करते थे, अब उसी कॉलेज के प्राचार्य बन गए है. परिवार की आर्थि…और पढ़ेंX
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सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य

हाइलाइट्स

डॉ. मनोज बहरवाल बने सम्राट पृथ्वीराज चौहान कॉलेज के प्राचार्य.गरीब परिवार में जन्मे, मजदूरी कर पढ़ाई पूरी की.मां और दादी की अहम भूमिका रही सफलता में.

अजमेर. सफलता किसी परिस्थिति की दास नहीं होती. कोशिश लगन और कुछ कर जाने का जज्बा हो तो इंसान सफलता पा ही लेता है. आज हम जिस व्यक्ति के बारे में आपको बता रहे हैं, उनके जीवन की कहानी भी कुछ ऐसी है. गरीब परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने चुनौतियों से कभी हार नहीं मानी. परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण चूना पत्थर और शादियों में कैटरिंग तक का भी काम करना पड़ा.

इन सभी परिस्थितियों के साथ भी इन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी. उनकी कड़ी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि जिस कॉलेज में कभी वे छात्र बनकर आए थे, आज उसी कॉलेज के प्राचार्य है. हम बात कर रहे हैं राजस्थान के अजमेर जिला स्थित सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार बहरवाल की .

जिस कॉलेज में की पढ़ाई, अब बने वहां का प्राचार्य

सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मनोज बहरवाल ने लोकल 18 को बताया कि इसी महाविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान के छात्र रहे हैं. आज सौभाग्य है कि यहीं पर पहले प्रोफेसर बने और अब प्राचार्य के पद पर कार्य कर रहे हैं. प्राचार्य ने बताया कि उनका यह सफर कठिनाइयों और संघर्षों से भरा रहा. गरीब परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने चुनौतियों से कभी हार नहीं मानी. पिता टेलरिंग का काम किया करते थे तो, उनके साथ टेलर का भी काम किया. मजदूरी भी की और यहां तक कि परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण चूना पत्थर और शादियों में कैटरिंग तक का काम करना पड़ा. लेकिन, अपने सपनों को जीवित रखा. उन्होंने बताया कि परिवार के पहले व्यक्ति हैं, जो शिक्षा के उच्च पद पर पहुंचे हैं.

मां और दादी की रही अहम भूमिका

प्राचार्य ने आगे बताया कि उनके इस सफर में मां और दादी की अहम भूमिका रही है. जिस पारिवारिक पृष्ठभूमि और जिस जगह के निवासी हैं, वहां शिक्षा को प्राथमिकता कम दी जाती है. लेकिन, उन्हें शुरू से ही माता-पिता ने डाट-डपटकर रखा. उन्होंने आगे बताया कि बचपन में मां और दादी उन्हें कहानियां सुनाती थी और कहती थी की बेटा बड़ा होकर अच्छा आदमी बनना है. माता-पिता के इसी सहयोग और समर्थन से सभी कठिनाइयों को पार करते हुए आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं.


Location :

Ajmer,Rajasthan

First Published :

February 11, 2025, 15:16 IST

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इस शख्स ने मजदूरी कर की पढ़ाई, अब उसी कॉलेज के हैं प्राचार्य, जहां से की थी पढ़ई

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