Became the first judge of the family, achieved rank in RJS2024, know the secret of his success
भीलवाड़ा. राजस्थान के रेगिस्तान समुद्र में पानी तो नहीं मिलता लेकिन इस मिट्टी में ऐसे युवाओं को जन्म दिया है जिन्होंने अपने जिले और क्षेत्र का बड़े-बड़े स्तर पर नाम रोशन किया है जी हां हम बात कर रहे हैं भीलवाड़ा शहर के रहने वाले कार्तिकेय सोनी की जिन्होंने भीलवाड़ा का नाम रोशन किया है.
संजय कॉलोनी निवासी कार्तिकेय सोनी ने राजस्थान ज्यूडिशल सर्विस परीक्षा में 119वीं रैंक हासिल की है. ज्वेलरी के पारिवारिक कारोबार से अलग कार्तिकेय ने यह उपलब्धि हासिल की हैं. कार्तिकेय बताते हैं कि साल 2018 में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर से विधि स्नातक की थी उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय दादी लीला देवी, पापा रामकृष्ण सोनी, मां सुनीता सोनी व भाई कृणाल को दिया है जिनके लगातार प्रोत्साहित करने की वजह से यह मुकाम हासिल किया है कार्तिकेय ने तीसरे प्रयास में यह सफलता मिली है.
लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए कार्तिकेय सोनी ने कहा कि राजस्थान ज्यूडिशल सर्विस परीक्षा में मैंने 119 रैंक हासिल की है यह मेरा तीसरा प्रयास है और मुझे बहुत खुशी है वहीं अपनी पढ़ाई के शेड्यूल को लेकर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि मैंने कोई समय निर्धारित करके पढ़ाई की है मेरा तीसरा प्रयास था इसलिए मैंने टाइम मैनेजमेंट को सही रखकर अलग-अलग तरीके से पढ़ाई की है. वहीं मैं पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को यह कहना चाहता हूं कि कभी भी असफलता से निराश नहीं होना चाहिए और मेहनत और लगे लगातार करते रहनी चाहिए और इसके अलावा भी लाइफ में एक प्लान B रखना चाहिए जिससे अगर असफलता हासिल हो तो प्लान बी के जरिए हम कुछ अलग कर सकें.
कार्तिकेय ने बताया पढ़ाई का तारीकाकार्तिकेय सोनी कहते है स्वर्णकार परिवार होने के कारण परिवार में ज्वेलरी का कारोबार है. मेरे परिवार जिन्होंने कभी मुझे इस काम के लिए फोर्स नहीं किया उनका कहना हमेशा यही था कि अगर आपका मन पढ़ाई में है तो पूरी तैयारी करें और पढ़ाई करें मैं अपने परिवार का पहला जज बना हूं मुझे इस बात की बहुत खुशी है.
कॉलेज के बाद ठाना की बनना है जजकार्तिकेय कहते हैं कि 11वीं और 12वीं की परीक्षा देने के बाद पहले मैंने यही सोचा था कि मैं वकालत करूंगा लेकिन जब कॉलेज में आया और मेरे कॉलेज के कुछ साथी राजस्थान ज्यूडिशल सर्विस में परीक्षा देकर पास होने के बाद जज बन गए. तो मेरे मन में भी यही जज्बा आया कि मैं यह कर सकता हूं और मैं फिर इसके लिए तैयारी करना शुरू कर दिया. मैंने पहले प्रयास किया जिसमें कुछ अंक से रह गया और बाद में दूसरा प्रयास किया उसमें भी रह गया. फिर मैंने हार मान ली लेकिन मेरे परिवार ने कभी मुझे हताश नहीं होने दिया और मुझे लगातार मेहनत करने के लिए आगे प्रोत्साहित किया. जिसके कारण आज मैं अपने तीसरे प्रयास में कामयाब हो पाया हूं.
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FIRST PUBLISHED : October 28, 2024, 17:49 IST