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रामनाथपुरम: रिबन फिश एक अनोखी मछली है, जिसकी लंबी और पतली शरीर रचना उसे सांप की तरह दिखाती है. यह सिर्फ ट्रॉपिकल समुद्रों में पाई जाती है और अपने सफेद-पैले रंग और औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है. खासकर युवाओं के लिए, यह मछली एक सुपरफूड बन सकती है, तो चलिए इसके बारे में जानते हैं…
रिबन फिश की पहचानबता दें कि रिबन फिश को बार्बलेस होने पर स्वॉर्डफिश कहा जाता है, जबकि कांटों वाली को चॉक स्वॉर्डफिश कहा जाता है. गहरे समुद्र में पकड़ी गई रिबन फिश काले रंग की होती है, जबकि तटीय इलाकों में मिलने वाली हल्के ग्रे रंग की होती है. यह मछली लगभग 100 सेंटीमीटर लंबी और 10 किलो वजन तक की हो सकती है, हालांकि मछुआरों को ज्यादातर 1 से 5 किलो वजन की मछलियां मिलती हैं.
कहां मिलती है यह खास मछली?बता दें कि रिबन फिश ट्रॉपिकल क्षेत्रों में रहना पसंद करती है. भारत में यह मुख्य रूप से तमिलनाडु और श्रीलंका के आस-पास के समुद्रों में पाई जाती है. इसकी डाइट में छोटी मछलियां और झींगे शामिल हैं. यह रात के समय सतह पर आकर झींगे का शिकार करती है और मछुआरों के जाल में फंस जाती है.
स्वाद में बेहतरीन और एक्सपोर्ट में खासरिबन फिश का स्वाद सामान्य मछलियों से अधिक माना जाता है. इसे तमिलनाडु के विभिन्न जिलों में एक्सपोर्ट किया जाता है. सीज़न के दौरान, यह मछली ₹250 से ₹350 प्रति किलो की कीमत पर बिकती है. खास बात यह है कि इसका सूखा रूप, जिसे गरुवड कहा जाता है, ताजा मछली से भी अधिक स्वादिष्ट होता है.
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औषधीय गुण जो बनाते हैं इसे सुपरफूडओमेगा-3 फैटी एसिड्स: यह मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड्स से भरपूर होती है, जो हृदय स्वास्थ्य (Heart Health) को बेहतर बनाती है.प्रोटीन और सोडियम: हाई प्रोटीन और सोडियम इसे उन युवाओं के लिए बेहतरीन विकल्प बनाते हैं, जो फिटनेस या वेट लॉस पर ध्यान दे रहे हैं.विटामिन B12: यह विटामिन दिल और आंखों की सेहत सुधारता है. साथ ही, डिप्रेशन को रोकने और याददाश्त बढ़ाने में मदद करता है.जोड़ों के दर्द में राहत: लोअर लेग और जॉइंट पेन को ठीक करने में भी इसे फायदेमंद माना जाता है.
कैसे करें रिबन फिश का सेवन?रिबन फिश को आप कई तरीकों से खा सकते हैं:
फिश ग्रेवीगिरिल्ड फिशगरुवड (सूखी मछली का रूप)
तमिलनाडु के रामेश्वरम के मछुआरों का कहना है कि गरुवड का स्वाद ताजा मछली से भी ज्यादा बेहतर होता है.
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FIRST PUBLISHED : December 5, 2024, 18:19 IST
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