This sweet looks like a beehivenHariyali Teej is incomplete without it

बाड़मेर: मधुमक्खियों के छत्ते जैसी दिखने वाली मिठाई कौन सी है? झट से आप कह उठेंगे “घेवर”. बिना शहद वाले ये ‘छत्ते’ जब चाशनी में डुबकी लगाकर बाहर आते हैं, तो खाने के शौकीनों की जीभ से लार टपकने लगती है. तीज, गणगौर, और रक्षाबंधन जैसे मौके घेवर के बिना अधूरे माने जाते हैं. इसका स्वाद और बनावट दोनों ही अनोखे होते हैं.
सावन के महीने में बारिश, झूले, और मिट्टी की सोंधी खुशबू के साथ-साथ घेवर की मिठास भी बेहद खास होती है. हरियाली तीज में जैसे सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है, वैसे ही पश्चिम राजस्थान के सरहदी बाड़मेर में घेवर का विशेष महत्व होता है. भारत की संस्कृति और परंपराएं पूरे विश्व में मशहूर हैं. इसी का हिस्सा है हरियाली तीज का त्योहार, जो राजस्थान में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.
हरियाली तीज के दिन घेवर बनाकर माता पार्वती और भगवान शिव को भोग लगाया जाता है. घेवर दूध, मैदा, घी, चीनी, केसर, बादाम, और काजू के मिश्रण से बनाया जाता है. जोधपुर मिष्ठान भंडार के ऑनर कमल सिंघल बताते हैं कि उनके यहां घेवर आधा किलो का एक पीस मिल रहा है, जो काफी प्रचलन में है.
कमल सिंघल बताते हैं कि घेवर परंपरागत मिठाई है, जो पिछले कई दशकों से चली आ रही है. इसका क्रेज राजस्थान के अलावा मद्रास, मुंबई, बैंगलोर, गुजरात में भी है. वह बताते हैं कि हरियाली तीज पर दूसरी मिठाइयों की तुलना में 80 फीसदी तक इसकी बिक्री होती है. सबसे खास बात यह है कि इसे बनाने के बाद ड्राई फ्रूट्स से इस तरह सजाया जाता है कि देखते ही खाने का मन करता है. यहां मिलने वाले घेवर की कीमत 480 रुपये प्रति किलो है.
यह मिठाई मधुमक्खी के मुरब्बे जैसी होती है. इसे घी, मैदा और चीनी की चासनी से बनाया जाता है. बाद में इस पर रबड़ी की परत चढ़ाई जाती है. इससे मिठाई का स्वाद कई गुना बढ़ जाता है. हरियाली तीज पर ज्यादातर मलाईदार घेवर की बिक्री हो रही है और इसे ड्राई फ्रूट्स से सजाया जाता है, जोकि लोगों की पहली पसंद बना हुआ है.
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FIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 11:45 IST