Bharatpur News : 10 साल पहले मृत समझकर जिसका परिवार ने कर दिया था पिंडदान, अब जिंदा मिला तो फूट-फूटकर रोया परिवार
भरतपुर : भरतपुर के अपना घर आश्रम में एक भावुक दृश्य देखने को मिला. यहां 10 साल बाद भाई-बहन का मिलन हुआ. दशरथ और उनकी बहन सियारानी की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. सियारानी ने बताया कि दशरथ के मिलने से उनकी खुशियां दोगुनी हो गई हैं. क्योंकि उन्हें कभी उम्मीद नहीं थी कि वह अपने भाई से फिर से मिलेंगी दशरथ के परिवार ने उन्हें मृत मानकर उनका पिण्डदान और अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी कर दी थीं.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के बांदा जिले, तहसील पवेरू, गांव अमलोहरा के निवासी दशरथ मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गए थे और 10 साल पहले ईंट भट्ठे पर काम करते हुए अचानक लापता हो गए थे. परिवार ने काफी खोजबीन की लेकिन उनका कोई पता नहीं चला 15 सितंबर 2024 को दशरथ को शुक्रताल से अपना घर आश्रम भरतपुर में लाया गया, जहां उनका उपचार शुरू हुआ स्वास्थ्य में सुधार आने के बाद उन्होंने अपना घर बताया और पुनर्वास टीम ने उनके गांव अमलोहरा, बांदा, उत्तर प्रदेश के ग्राम प्रधान को सूचना भेजी तब जाकर उनके परिजनों को दशरथ के जिंदा होने की खबर मिली.
दशरथ के चाचा राम भवन ने बताया कि दशरथ की लंबी अनुपस्थिति के बाद उन्हें मृत मान लिया गया था और सभी धार्मिक क्रियाएं पूरी कर दी गई थीं. जब अपना घर से दशरथ के बारे में सूचना मिली तो परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा दशरथ के तीन बच्चे थे. जिनमें से एक बेटे की बीमारी के कारण मृत्यु हो चुकी है. उनकी पत्नी अपने अन्य बेटे और बेटी के साथ उनके छोटे भाई के पास रह रही है. लेकिन अब उन्होंने दशरथ को अपने साथ रखने से इंकार कर दिया है.
दशरथ के दोनों हाथों के पंजे कटे हुए हैं. जो किसी दुर्घटना के कारण हुए जब वह मानसिक अस्वस्थता की हालत में घर से बाहर थे. सियारानी और उनके पति कमल ने बताया कि दशरथ के हाथ सही थे जब वह ईंट भट्ठे पर काम करते थे लेकिन बाहर रहने के दौरान इस दुर्घटना का शिकार हो गए अब सियारानी ने अपने भाई को घर ले जाने का फैसला किया है और वह अपनी मां के साथ उनका जीवनयापन करेंगी पुनर्वास प्रक्रिया पूरी करने के बाद दशरथ अपनी बहन के साथ बांदा, उत्तर प्रदेश लौट गए हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 6, 2024, 19:47 IST