Bharatpur News: यहां होली पर गाय के गोबर से बनाई जाती है गुलरिया, इससे घर मे नकारात्मक ऊर्जा होती है नष्ट

Last Updated:March 08, 2025, 15:57 IST
Bharatpur News: गाय के गोबर को हिंदू धर्म में शुद्ध और पवित्र माना गया है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन में गाय के गोबर की गुलरियों को जलाने से घर-परिवार में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. इससे समृ…और पढ़ेंX
गाय के गोबर से बनी हुई गुलरिया
होली केवल रंगों और उमंग का त्योहार नहीं है. बल्कि यह परंपराओं आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है. राजस्थान के भरतपुर जिले में होली का उत्सव कुछ अलग और अनोखे अंदाज में मनाया जाता है.ब्रज क्षेत्र का हिस्सा होने के कारण यहां का उत्साह और भव्यता देखते ही बनती है. इस क्षेत्र में एक खास परंपरा है. गोबर की गुलरियों को जलाने की यह परंपरा सदियों पुरानी है. इसे धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.
गुलरियां असल में गाय के गोबर से बनाए गए छोटे-छोटे उपले या टिकड़ियां होती हैं.इन्हें विशेष रूप से होलिका दहन के लिए तैयार किया जाता है. भरतपुर और आसपास के गांवों में महिलाएं और बुजुर्ग कई दिनों पहले से ही गोबर की गुलरियां बनाने में जुट जाते हैं. गोबर को इकट्ठा कर उसे हाथों से छोटे-छोटे आकार में ढालकर सुखाया जाता है. यह पूरी तरह से जलने योग्य हो जाए कुछ स्थानों पर इन गुलरियों को खास आकृतियों में भी बनाया जाता है. जिससे यह देखने में आकर्षक लगती हैं.
होलिका दहन पर गोबर की गुलरिया जलाईगाय के गोबर को हिंदू धर्म में शुद्ध और पवित्र माना गया है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन में गाय के गोबर की गुलरियों को जलाने से घर-परिवार में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. समृद्धि आती है. यह परंपरा पर्यावरण से जुड़ी श्रद्धा को भी दर्शाती है. गोबर जैविक होता है. पर्यावरण को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचाता भरतपुर के गांवों और कस्बों में होली से कुछ हफ्ते पहले ही गुलरियां बनाने का काम शुरू हो जाता है.
शहर और गांवों में फाग उत्सव रसिया गायनजहां महिलाएं और बच्चे इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. कुछ परिवार इन गुलरियों को बाजारों में बेचते भी हैं.जिससे उन्हें आर्थिक लाभ भी होता है. होलिका दहन की रात लोग इन गुलरियों को अग्नि में अर्पित करते हैं.और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. भरतपुर में होली का त्योहार बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है. शहर और गांवों में फाग उत्सव रसिया गायन और गुलाल खेलना आम बात है.यहां की होली में विशेष तौर पर ब्रज की संस्कृति की झलक मिलती है. नंदगांव और बरसाने की लट्ठमार होली की तर्ज पर कुछ स्थानों पर महिलाएं पुरुषों को रंगों से सराबोर कर देती हैं.
यह परंपरा सदियों से चली आ रहीजहां एक ओर आधुनिक होली में रासायनिक रंगों का प्रचलन बढ़ रहा है.वहीं भरतपुर में गोबर की गुलरियां जलाने जैसी परंपराएं प्राकृतिक और पर्यावरण के प्रति लोगों की गहरी श्रद्धा को दर्शाती हैं.यह परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. बल्कि पारंपरिक रीति-रिवाजों को सहेजने का भी एक सुंदर तरीका है. अब जैसे-जैसे होली नजदीक आती है. भरतपुर के हर गांव और गली में गुलरियां बनती दिखती हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. आज भी उतनी ही प्रासंगिक और उत्साहजनक बनी हुई है.
Location :
Bharatpur,Rajasthan
First Published :
March 08, 2025, 15:57 IST
homerajasthan
यहां होली पर गाय के गोबर से बनाई जाती है गुलरिया, घर मे नकारात्मक ऊर्जा नष्ट