बारिश और बढ़िया फसल के लिए मनाया जाता है भुजरिया पर्व, जानिए इसकी मान्यता
सिरोही: इस बार सिरोही जिले में औसत से काफी कम बारिश दर्ज की गई है. जिले में सबसे अधिक बारिश माउंट आबू में 844 एमएम हुई, जो औसत का केवल 53 प्रतिशत है. वहीं, सबसे कम बारिश देलदर में दर्ज की गई, जो औसत का सिर्फ 23 प्रतिशत है. सिरोही जिले में लोधा समाज द्वारा हर साल एक विशेष पर्व “भुजरिया पर्व” मनाया जाता है, जिसे बुंदेलखंड का लोकपर्व भी कहा जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से प्रकृति प्रेम और खुशहाली से जुड़ा है. इस पर्व को “कजलियों का पर्व” भी कहा जाता है.
इस पर्व की शुरुआत रक्षाबंधन से करीब एक सप्ताह पूर्व होती है. महिलाएं गेहूं को किसी पात्र में मिट्टी में डाल देती हैं, और कुछ दिनों बाद गेहूं के पौधे उग आते हैं, जिन्हें भुजरिया कहा जाता है. इन भुजरियों की पूजा अर्चना की जाती है और भगवान से प्रार्थना की जाती है कि इस साल अच्छी बारिश हो, जिससे अच्छी फसल हो सके.
सिरोही में भुजरिया पर्व का आयोजनसिरोही जिले के आबूरोड लोधवाड़ा बस्ती के अम्बे माता चौक पर समाजबंधुओं ने एकत्रित होकर भुजरिया की पूजा अर्चना की. इसके बाद ढोल नगाड़े के साथ जुलूस के रूप में आदा-उदल गीत गाते हुए बनास नदी पहुंचकर भुजरिया का विसर्जन किया गया.
पर्व का उद्देश्य और समाज की अपेक्षाएंलोधा समाज के प्रेमसिंह लोधा ने बताया कि इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सुख-शांति बनाए रखना और अच्छी बारिश के साथ अच्छी फसल की कामना करना है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी लोधा समाज के लोग इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं, इस वर्ष सिरोही जिले में कम बारिश हुई है, तो सभी ने प्रार्थना की है कि आगामी बारिश अच्छी हो, जिससे किसानों की खेती भी फल-फूल सके.
Tags: Local18, Rajasthan news, Sirohi news
FIRST PUBLISHED : August 22, 2024, 16:10 IST