Bikaner News : राजस्थान में इस जगह रिटायर्ड फौजी करते है मां के मंदिर की देखभाल, 30 साल पहले हुआ था निर्माण

बीकानेर. जिस तरह जैसलमेर में तनोट माता का मंदिर बना हुआ है और वहां जवान इस मंदिर की सार संभाल और आरती करते है ठीक वैसे ही बीकानेर के तिलक नगर में भी तनोट माता का मंदिर बना हुआ और यह मंदिर बीएसएफ और आर्मी से रिटायर्ड लोगों ने बनवाया था और आज भी वे इस मंदिर में पूजा अर्चना करते है. इस मंदिर की देखभाल और सार संभाल 1965 और 1971 के युद्ध की लड़ाई में बीएसएफ और आर्मी से रिटायर्ड हुए लोग मिलकर कर रहे हैं.
बीएसएफ और आर्मी के जवानों में तनोट माता में गहरी आस्था है. सुबह से शाम तक इस मंदिर में दर्शन करने के लिए सैकड़ों लोग आते हैं. तिलक नगर में ज्यादातर बीएसएफ और आर्मी के लोग रहते हैं. ऐसे में इन लोगों ने यहां पर जमीन लेकर मंदिर का निर्माण करवाया.
आर्मी से रिटायर्ड प्रताप सिंह ने बताया कि यह मंदिर करीब 30 साल पहले बना था. इस मंदिर का निर्माण सात साल तक चला. यह मंदिर जनसहयोग से बनाया गया है. इस मंदिर को बनाने में करीब 10 लाख रुपए खर्च आया है. मंदिर का उद्घाटन बीएसएफ के गुमानसिंह ने किया था. वह तनोट माता के उपासक रहे हैं. करीब साल पहले मंदिर के प्रांगण में एक आश्रम भी बनाया गया है, जिसकी रोजाना साफ सफाई होती है. इस आश्रम में सवाई गुमान सिंह सिसोदिया और गुरु कैलाश नाथ जी की प्रतिमा लगी हुई है.
अब रिटायर्ड बीएसएफ और आर्मी के जवान अपने खर्च से इस मंदिर का धीरे-धीरे विस्तार करवा रहे हैं. तिलक नगर में रिटायर्ड बीएसएफ कर्मी और आर्मी के सबसे ज्यादा लोग इसी इलाके में रहते हैं. ऐसे में इन लोगों ने मिलकर इस मंदिर का निर्माण करवाया. यहां रोजाना आने वाले बीएसएफ और आर्मी के लोग माता जी से प्रार्थना करते हैं कि देश की सीमा सुरक्षित रहे. सभी का कल्याण हो. यहां रोजाना बीएसएफ और आर्मी से रिटायर्ड शिव सिंह, पृथ्वी सिंह शेखावत, जगदीश सिंह आदि मंदिर में दर्शन करने आते हैं.
मंदिर की सार संभाल कर रहे रिटायर्ड प्रताप सिंह शेखवात ने बताया कि मंदिर में तनोट माता की मूर्ति बनवाकर यहां स्थापित की गई. तनोट माता के छह हाथ हैं, जिनमें चक्र, तलवार, गद्दा, शंख, खंजर, मशाल आदि है. तनोट माता के साथ करणी माता और वैष्णों माता की प्रतिमा भी है. इसके अलावा भगवान गणेश जी की भी मूर्ति स्थापित है.
बताते हैं कि इस मंदिर में जो भी मनोकामना लेकर आते हैं, माताजी उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं. मंदिर में सुबह-शाम को आरती होती है. यह मंदिर पूरे दिन खुला रहता है. बताया कि यह मंदिर सुबह 5 बजे खुलता है जो दोपहर में एक से डेढ़ घंटे तक बंद रहता है. फिर रात 9 बजे तक खुला रहता है. यहां तिलक नगर के सभी लोग दर्शन करने के लिए आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 5, 2024, 15:32 IST