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Blackout power cut india coal crisis centre govt assurance 10 key points – देश में ब्लैकआउट का डर, केंद्र ने कहा

कोयला मंत्रालय का कहना है कि देश में पर्याप्त कोयले का भंडार है. (सांकेतिक तस्वीर)

कोयला मंत्रालय का कहना है कि देश में पर्याप्त कोयले का भंडार है. (सांकेतिक तस्वीर)

India Coal Crisis Power Cut: गुजरात, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और तमिलनाडु समेत कई राज्यों में बिजली उत्पादन पर कोयले की कमी का गहरा असर पड़ा है.

नई दिल्ली. दिल्ली सहित देश के कई राज्यों द्वारा ब्लैकआउट पर चिंता जताने के बीच केंद्र ने कहा किकोयले की भारी कमी से बिजली संयंत्रों पर पड़ने वाले असर को अगले कुछ दिनों में नियंत्रित कर लिया जाएगा. केंद्र ने बताया कि वैश्विक कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण कोयले का संकट सामने आ खड़ा हुआ है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने भी कहा है कि बिजली कंपनियां और राज्य सरकारें जबरदस्ती लोगों में दहशत फैला रही है. उन्होंने कहा कि कंपनियां का गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपना रही हैं. इसी वजह से केंद्रीय मंत्री ने गेल और टाटा पावर को चेतावनी भी दी है.

दरअसल, आयातित कोयला कीमतों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की वजह से आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्र अपनी क्षमता के आधे से भी कम बिजली का उत्पादन कर रहे हैं. इन दो कारणों से बिजली उत्पादन क्षेत्र दोहरे दबाव में है. इस बीच, कोयला मंत्रालय ने रविवार को स्पष्ट किया कि बिजली उत्पादक संयंत्रों की जरूरत को पूरा करने के लिए देश में कोयले का पर्याप्त भंडार है. मंत्रालय ने कोयले की कमी की वजह से बिजली आपूर्ति में बाधा की आशंकाओं को पूरी तरह निराधार बताया.

10 अहम बातें:

गुजरात, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और तमिलनाडु सहित कई राज्यों ने ब्लैकआउट (पावर कट) पर चिंता जताई है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में चेतावनी दी है कि अगर बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति में सुधार नहीं हुआ तो अगले दो दिनों में राष्ट्रीय राजधानी को “ब्लैकआउट” का सामना करना पड़ सकता है.

थर्मल पावर प्लांटों में कोयले की भारी कमी के कारण पंजाब ने पहले ही कई जगहों पर रोटेशनल लोड शेडिंग लगा दी है. पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के हवाले से कहा कि संयंत्रों में पांच दिनों तक कोयले का भंडार बचा है.

केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने रविवार को कहा, “कोयले की कमी को लेकर बेवजह दहशत पैदा की गई है और यह गेल एवं टाटा के गलत संदेश फैलाने के कारण है. उन्होंने कहा कि देश के पास चार दिन का रिजर्व है. मंत्री ने कहा, “हमारे पास पर्याप्त बिजली उपलब्ध है… हम पूरे देश को बिजली की आपूर्ति कर रहे हैं. जो कोई चाहता है, मुझे मांग करें और मैं आपूर्ति करूंगा.”

उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान कोयले की आपूर्ति नियमित रूप से गिरती है क्योंकि खदानों में बाढ़ आ जाती है, लेकिन विशेष रूप से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ कोयले की मांग भी अधिक रहती है. अक्टूबर में जैसे-जैसे मांग कम होगी, भंडार फिर से बढ़ने लगेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा, “पहले हमारे पास नवंबर से जून तक 17 दिनों का कोयला स्टॉक हुआ करता था.”

केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शनिवार को कहा था कि इस साल देश में कोयले की अंतरराष्ट्रीय कीमत में बढ़ोतरी और भारी बारिश ने इसकी कमी पैदा कर दी है. समाचार एजेंसी पीटीआई ने जोशी के हवाले से कहा, “अगर आप पिछले कई सालों से तुलना करें, तो सितंबर और खासकर अक्टूबर में कोयले का उत्पादन और उसे भेजने की तादाद सबसे ज्यादा रही है. अगले तीन से चार दिनों में चीजें ठीक हो जाएंगी.”

कोयला मंत्रालय ने शनिवार को अपने एक बयान में कहा कि मंत्रालय के नेतृत्व में एक अंतर-मंत्रालयी उप-समूह सप्ताह में दो बार कोयला स्टॉक की स्थिति की निगरानी कर रहा है. मंत्रालय ने आश्वासन दिया है कि वे अगले तीन दिनों में हर रोज 1.6 मीट्रिक टन कोयला भेजने का प्रयास कर रहे हैं और एक दिन में कोयला भेजने की सीमा को 1.7 मीट्रिक टन तक पहुंचाने की कोशिश भी जारी है.

सरकार ने बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार में कमी के चार कारण सूचीबद्ध किए हैं – अर्थव्यवस्था के फिर से पटरी पर लौटने के कारण बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि, कोयला खदान क्षेत्रों में भारी बारिश, आयातित कोयले की कीमत में वृद्धि और पुराने मुद्दे जैसे भारी महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में कोयला कंपनियों का बकाया.

छत्तीसगढ़ ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि राज्य में कोयल आपूर्ति की कमी न हो. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “हमारे अधिकारी राज्य में कोयले की आपूर्ति बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं. अधिकारी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं कि आपूर्ति में कोई कमी न हो.”

दक्षिण भारत में, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने स्थिति को “काफी खतरनाक” बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से “तत्काल व्यक्तिगत तौर पर ध्यान” देने की मांग की है. मुख्यमंत्री ने कहा, “कोयला की कमी के कारण बिजली क्षेत्र को अस्थिरता के हालात में धकेला जा रहा है.”

भारत चीन के बाद दुनिया में कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है. इसके पास विश्व स्तर पर चौथा सबसे बड़ा कोयला भंडार है. 2020 में कोयले का कुल अनुमानित भंडार 344.02 बिलियन टन था, जो इसी अवधि में 2019 की तुलना में 17.53 बिलियन टन अधिक है. ऐसा नहीं है कि भारत में ही सिर्फ कोयले की कमी है, चीन में भी कोयला संकट गहरा गया है और इसकी वजह से कई कारखाने बंद कर दिए हैं.

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