मिट्टी को सोने में बदल देता है जीवामृत, आप भी कम लागत में ऐसे बनाए, देखें VIDEO

मनमोहन सेजू/बाड़मेर. पश्चिम राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर के किसान अब जैविक खेती की ओर रुख कर रहे है. किसान अपने खेत मे ही जीवामृत बनाकर खेतो में छिड़काव कर रहे है. बेहद कम लागत में बनने वाला जीवामृत मिट्टी को सोने में बदल देता है और इससे फसल अमृत के समान शुद्ध होती है. इतना ही नही इससे किसानों की आय दोगुनी होने के साथ साथ मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बढ़ती है.
फसलों में कीड़ों और बीमारियों को करें खत्म
पश्चिम राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर में किसान फसल उगाने के लिये जैविक खेती अपना रहे हैं. जैविक खेती करने से खर्चों में बचत तो होती ही है साथ ही किसानों की आमदनी में भी बढोत्तरी होती है. जैविक उत्पादों की बाजार में बढ़ती मांग के चलते जैविक संसाधनों से निर्मित जीवामृत का योगदान है, जिसका उपयोग करने से फसल तेजी से बढ़ती है. फसल में कीड़े और बीमारियों की संभावना भी खत्म हो जाती है. सबसे खास बात यह है कि इसे बनाने के लिए बहुत ही कम लागत आती है.
ऐसे बनाएं जीवामृत
जीवामृत बनाने के लिये सबसे पहले 10 लीटर गौ मूत्र, 3 किलोग्राम गुड़, 5 किलोग्राम. गाय का गोबर और 2 किलोग्राम बेसन का उपयोग लेते है. सबसे पहले अलग किसी बर्तन में 3 किलोग्राम गुड़ को भुरभुरा पीसकर इतने ही पानी में घोल लेना चाहिए.
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कंटेनर में गौ मूत्र और बेसन डालकर अच्छी तरह से घोल लेना है जिससे बेसन की हर गांठ घुल जाए. इसके बाद इसमें गोबर और पानी में घुला हुआ गुड़ डालना है. घोल को डंडे की मदद से मिलाकर आखिर में 2 किलोग्राम बेसन को मिलाना चाहिए और इसे डंडे की मदद से थोड़ी देर तक घोलते रहना है. 7 दिन के बाद इस घोल को उपयोग में लेना चाहिए.
किसानों की बढाए आय
कृषि वैज्ञानिक डा. बाबूराम राणावत के मुताबिक जीवामृत से किसानों की आय में इजाफा होने के साथ ही मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ा देता है. इससे उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होने के साथ ही अमृत फसल मिल सकती है. इसे बनाने के लिए गोबर, गौमूत्र, गुड़, बेसन की आवश्यकता होती है.
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FIRST PUBLISHED : January 23, 2024, 20:55 IST