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Brief History Of Memes And How They Are Being Used Today – तीसरी शताब्दी से हो रहा है मीम्स का इस्तेमाल

विकासवादी जीवविज्ञानी रिचर्ड डॉकिन्स के अनुसार ‘मीम’ शब्द ग्रीक भाषा के शब्द ‘मिमेमे’ का संक्षिप्त रूप है जिसका अर्थ ग्रीक में जीन होता है। यानी मीम्स वास्तव में सूचना की सांस्कृतिक इकाइयां हैं, जिन्हें सांस्कृतिक जीन के रूप में परिभाषित किया गया है।

आपको ‘पारी हो रही है'(hamari pawri ho rahi hai), ‘2020 कैलेंडर मीम’ या ‘ब्लिकिंग गाय मीम’ याद हैं? दरअसल, ये सभी मीम्स (memes) हैं जो बीते कुछ समय से इंटरनेट पर छाए रहे हैं। मीम आज हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा हैं और सोशल मीडिया तो इनके बिना अधूरा ही है। अखबार, टीवी चैनलों से लेकर हमारे घर और समाज हर जगह मीम्स ने अपनी पैठ बना ली है। इन मीम्स की शुरुआत मूल रूप से विचारों के रूप में हुई थी जो बाद में तब तक प्रसारित होते रहे जब तक कि जब तक वे एक निश्चित देश या संस्कृति के माध्यम से पूरी दुनिया में चर्चित नहीं हो गए। आइएजानते हैं मीम्स के इतिहास और 2021 तक के सफर के बारे में-

तीसरी शताब्दी से हो रहा है मीम्स का इस्तेमाल

मीम्स का इतिहास
पीबीएस डॉट ओआरजी (PBS.org) के अनुसार, विकासवादी विचारधारा के जीवविज्ञानी रिचर्ड डॉकिन्स का कहना है कि मीम्स वास्तव में सूचनाओं के आदान-प्रदान की हल्की-फुल्की हास्यात्मक व्यंग्य शैली है। रिचर्ड ने इन्हें मीम्स कहा जो कि यूनानी भाषा के शब्द ‘मिमेमे’ से आया था, जिसका ग्रीक भाषा में शाब्दिक अर्थ ‘जीन’ होता है। रिचर्ड ने मीम्स को ‘सांस्कृतिक जीन’ भी कहा है। रिचर्ड का कहना है कि, कोई आइडिया, आइडियल, कल्चर यहां तक कि रीति-रिवाज भी किसी वायरस की तरह खुद को दोहराते हैं। वे नकल के माध्यम से, शेयर करने और बार-बार दोहराव के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति और एक देश से दूसरे देश तक प्रसारित होते हैं। हालांकि, प्रत्येक मीम एक विचार है, लेकिन सभी विचार तकनीकी रूप से मीम नहीं बनते।

तीसरी शताब्दी से हो रहा है मीम्स का इस्तेमाल

तीसरी सदी के पहले से हो रहा उपयोग
आज भले ही मीम्स, विभिन्न भावनाओं, विचारों यहां तक कि सिर्फ सादे चुटकुलों के भी दृश्यात्मक प्रस्तुतिकरण बन गए हों, लेकिन ये इतने पुराने हैं कि आज की तकनीकी पीढ़ी के रूप में हम कल्पना भी नहीं कर सकते। पुरातत्वविदों ने कथित तौर पर वर्तमान तुर्की के एक प्राचीन शहर एंटिओक से एक मोजाइक चित्र (चमकीले पत्थरों, कांच और मिट्टी के छोटे-छोटे टुकड़ों को जोड़कर बनाई गई कोई आकृति या पैटर्न) ढूंढा है जो कार्बन डेटिंग के आधार पर तीसरी सदी ईसा पूर्व (3 B.C) से भी पहले का है। यह मोजाइक तीन अलग-अलग फ्रेम से बना था, जो स्नान से जुड़े किसी खास दृश्य को दर्शाता था।

तीसरी शताब्दी से हो रहा है मीम्स का इस्तेमाल

‘द ऑरिजनल योलो’ था मोजाइक
मोजाइक के पहले फ्रेम में एक नौकर स्नान की तैयारी कर रहा है, दूसरे में एक युवक भाग रहा है और नौकर उसे पकडऩे के लिए उसके पीछे भाग रहा है और तीसरे फ्रेम में वह युवक जाम पकड़े पजर आ रहा है। इसका संदेश था कि ‘खुश रहो और अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जियो’। इस कहानी के अनुसार मरना तो एक दिन सभी को है, इसलिए जब तक जिंदा हैं, अपनी खुशी से जैसे चाहें वैसे जिएं। यह वास्तव में दुनिया का पहला ‘योलो’ (very first YOLO or You Only Live Once) हो सकता है, जो एक समय दुनियाभर के देशों में बहुत लोकप्रिय था।

the Meaning of ‘YOLO’ for Those Who Have No Idea or Real Time Object Detection

तीसरी शताब्दी से हो रहा है मीम्स का इस्तेमाल

कैसे-कैसे मीम्स
अब तो जानवरों, टीवी शो और फिल्मों पर भी बहुत सारे मीम्स हैं। अब इंटरनेट पर लाखों मीम्स हैं और प्रतिदिन हजारों और अपलोड हो रहे हैं। जब भी ऑनलाइन कुछ मजेदार घटित होता है, तो वे आम तौर पर मीम बन जाते हैं। यहां तक कि सोशल मीडिया पर मीम्स प्रशंसकों के ग्रुप्स भी बने हुए हैं, जो अपने पसंदीदा मीम्स साझा करते हैं। ऐसा ही एक ग्रुप है फेसबुक का ‘द ऑफिस एडिक्ट्स’ ग्रुप जो विशेष रूप से शो के बारे में मेम साझा करता है।

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