Bring Stroke Patient To Hospital In Golden Period – गोल्डन पीरियड में अस्पताल लाएं स्ट्रोक मरीज को

देश में हर साल ब्रेन स्ट्रोक के लाखों नए मामले सामने आ रहे हैं। देश में स्ट्रोक समय से पहले मृत्यु और विकलांगता का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है। सिर्फ राजस्थान की ही बात करें तो यहां ब्रेन स्ट्रोक के प्रतिदिन सैकड़ों मरीज सामने आ रहे हैं।

जयपुर। देश में हर साल ब्रेन स्ट्रोक के लाखों नए मामले सामने आ रहे हैं। देश में स्ट्रोक ( stroke) समय से पहले मृत्यु और विकलांगता का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है। सिर्फ राजस्थान की ही बात करें तो यहां ब्रेन स्ट्रोक के प्रतिदिन सैकड़ों मरीज सामने आ रहे हैं। वर्ल्ड स्ट्रोक डे (world stroke day) पर सीके बिड़ला हॉस्पिटल जयपुर के डायरेक्टर न्यूरोसाइंसेज डॉ. अंजनी कुमार शर्मा, डायरेक्टर न्यूरोलॉजी डॉ. पुष्कर गुप्ता ने यह जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने अवेयरनेस पोस्टर भी लॉन्च किया गया।
लक्षणों पर रखें नजर
डॉ. अंजनी कुमार शर्मा ने बताया कि स्ट्रोक ( stroke) की पहचान में चेहरा टेढ़ा हो जाना, आवाज बदलना, शरीर के एक हिस्से में कमजोरी के साथ ताकत कम हो जाना प्रमुख है। लक्षणों को समझ कर बिना समय गंवाए डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। स्ट्रोक के होते ही ब्रेन की प्रति मिनट 20 लाख कोशिकाएं मरने लगती हैं। लकवा ग्रस्त मरीज का समय पर इलाज न होने पर ब्रेन की उम्र 35 से 40 साल तक बढ़ जाती है, यानि जो दिक्कतें मरीज को वृद्धावस्था में आनी चाहिए जैसे याददाश्त एवं सोचने की क्षमता में कमी, बोलने में दिक्कत आदि वे सब लकवे के तुरंत बाद ही शुरू हो जाती है। समय रहते यदि इलाज शुरू कर दिया जाए तो स्ट्रोक पर नियंत्रण पाया जा सकता है। डॉ. पुष्कर ने बताया कि अगर ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण महसूस कर रहे हैं तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।