सिरोही में तैयार हो रहा केमिकल फ्री हर्बल रंग, गुजरात तक में है इसकी डिमांड, नहीं होगा इससे स्किन को नुकसान

Last Updated:March 12, 2025, 11:21 IST
Sirohi News: जिले की आदिवासी क्षेत्र की महिलाएं हर्बल रंग तैयार कर रही हैं, इससे उन्हें रोजगार भी मिल रहा है. इन रंगों से त्वचा को नुकसान होने की बजाय फायदा होता है. इन्हें प्रशासन से भी सहयोग मिल रहा है. चलिए …और पढ़ेंX
हर्बल गुलाल बिक्री केंद्र पर मौजूद आदिवासी महिलाएं
हाइलाइट्स
सिरोही की महिलाएं हर्बल गुलाल बना रही हैंगुजरात में भी हर्बल गुलाल की डिमांड हैप्राकृतिक फूलों से केमिकल फ्री हर्बल रंग तैयार होते हैं
सिरोही:- जिले की आदिवासी क्षेत्र की महिलाएं घरों में प्राकृतिक फूलों से खास केमिकल फ्री हर्बल रंग बना रही हैं. जिससे उन्हें रोजगार भी प्राप्त हो रहा है. आपको बता दें, जिले में आबूरोड, पिंडवाड़ा पहाड़ी क्षेत्र में पलास या टेसू के पेड़ों पर लगने वाले फूलों से ये रंग तैयार होता है. ये आपकी त्वचा को फायदा पहुंचाते हैं, और इनके द्वारा बनाए रंगों की डिमांड गुजरात तक है. चलिए जानते हैं इन्हें कैसे तैयार किया जाता है.
महिलाओं को मिल रहा है रोजगारराजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) सिरोही के तहत वन-धन विकास केंद्र निचलागढ़ और बसंतगढ़ के स्वयं सहायता समूहों की महिला सदस्य इन फूलों से रंग तैयार कर रही हैं. इन्हें 5 रंगों में बनाया जाता है, और अलग-अलग पैक करके बाजार में बेचा जाता है, जिससे महिलाओं को रोजगार मिल रहा है. वहीं जिला प्रशासन भी इन महिलाओं को प्रोत्साहित कर रहा है. ऐसे में जिले में रंगों को बेचने के लिए विक्रय केंद्रों की शुरुआत भी की गई है. ये विक्रय केंद्र जिला कलेक्ट्रेट, सरजावाव गेट के पास सिरोही, पिंडवाड़ा बस स्टेंड और आबूरोड बस स्टेंड पर स्थापित किए गए हैं.
गुजरात में भी इस गुलाल की डिमांडआबूरोड बस स्टैंड पर बने बिक्री केंद्र पर मौजूद चामुंडा माता महिला सहायता समूह की क्यारिया गांव निवासी संजना और आवल गांव निवासी सोनिया ने लोकल 18 को बताया, कि पलाश के फूलों से ये रंग नेचुरल तरीके से बनाए जाते हैं. इनकी डिमांड जिले के अलावा गुजरात में भी होती है. वे बताती हैं, कि यहां बने बिक्री केंद्रों पर 100 ग्राम पैक 30 रुपये, 500 ग्राम पैक 150 रूपये और एक किलो 300 रूपये रेट पर हर्बल रंग मिल रहे हैं.
ऐसे तैयार होता से फूलों से रंगहर्बल रंग बनाने के लिए ये महिलाएं एक खास विधि को अपनाती हैं. इसमें टेसू के फूलों और पत्तियों को एकत्रित किया जाता है. इसके बाद फूलों को पानी में उबालकर या रातभर भिगोकर रखा जाता है. इसके बाद छान कर रंग तैयार किया जाता है. एक किलो फूल में 40 किलो तक रंग बनाया जा सकता है. ये रंग त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं. केमिकल वाले रंगों का उपयोग करने से एलर्जी और नाक में जाने से अस्थमा और आंखों में जाने से आंखों की रोशनी जाने का खतरा रहता है, जबकि टेसू के फूलों से बने हर्बल रंग त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं.
Location :
Sirohi,Rajasthan
First Published :
March 12, 2025, 11:18 IST
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सिरोही में बन रहा ऐसा रंग, त्वचा को नहीं होगा नुकसान, फूलों से हो रहा तैयार
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.