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Churu Peda: चूरू के पेड़े की मिठास ने दुबई से लेकर ऑस्‍ट्रेलिया तक मचाई धूम, जानें इसकी खासियत

रिपोर्ट: नरेश पारीक

चूरू. मिठाई का नाम सुनते ही हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है, लेकिन चूरू शहर में बनने वाले पेड़े का स्वाद सबसे अलग है. इसके स्वाद के यूरोपियन और खाड़ी देश भी दीवाने हैं. काफी वर्षों पहले चूरू शहर के कुम्भाराम सैनी ने ये कारीगरी कोलकाता में सीखी थी और आज उनकी तीसरी पीढ़ी को ये कारीगरी विरासत में मिली है. चूरू रेलवे स्‍टेशन के पास ‘जय हनुमान पेड़े वाले’ नाम से दुकान है.

बहरहाल, दिखने में सामान्य सा है, लेकिन इस पेड़े का स्वाद ऐसा है कि जिसने एक बार चख लिया वह कायल हो जाता है. त्‍योहारी सीजन में इसकी मांग और अ​धिक बढ़ जाती है. मनीष सैनी ने बताया कि उनके दादा कुम्भाराम सैनी व्यवसाय के लिए कोलकाता गए थे, जहां 1967 में बंगाली कारीगरों से पेड़े बनाने सीखे थे. इसके बाद उनके दादा चूरू आ गए. हालांकि इस दौरान उनकी रेलवे में नौकरी लग गई, लेकिन उन्हें नौकरी रास नहीं आई तो रेलवे स्टेशन के पास दुकान लेकर मिठाई बनाने का काम शुरू कर दिया.

पेडे़ बनाने की कला ने दिलाई पहचान
कुम्भाराम सैनी के पौते मनीष ने बताया कि दादा ने जब पेडे़ बनाए तो लोगों को स्वाद काफी पसंद आया. धीरे-धीरे इसकी ख्याति फैलने लगी. सैनी ने बताया कि जिले के कई लोग काम के लिए दुबई, सऊदी अरब और ऑस्ट्रेलिया लोग ले जाने लगे.ऐसे में इन देशों के ​लोगों को भी ये पेडे़ अच्छे लगे. ऐसे में विदेश में रहने वाला जब कोई चूरू आता तो इन देशों के लोग उन्हें लौटते वक्त पेड़े लाने के लिए कहते हैं. उन्होंने बताया कि यह सिलसिला लगातार जारी है. अब हर माह दुकान से पेड़ा दुबई, सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया जाने लगा है.

दो तरह के बनाते हैं पेडे़
मनीष सैनी ने बताया कि पेडे़ दो प्रकार के बनाए जाते हैं. एक छोटा जो कि पूजन में काम लिया जाता है. दूसरा बड़ा होता है और यह खाने में काम आता है. उन्होंने बताया कि छोटे पेड़े में मीठा कुछ ज्यादा डाला जाता है. इसके लिए सुबह सात बजे से काम शुरू हो जाता है, जो कि शाम तक चलता है. प्रतिदिन करीब 50 किलो पेड़ा तैयार होता है, लेकिन हालत यह है कि शाम तक एक भी पेड़ा नहीं बचता.

दुकान पर बनाते हैं मावा
सैनी के मुताबिक, पेडे़ में सबसे महत्वपूर्ण मावा होता है, इसलिए पेडे़ बनाने के लिए बाहर का मावा काम में नहीं लिया जाता है. हम कारीगरों की मदद से इसे स्वयं ही तैयार करते हैं. सैनी ने बताया कि मावे की अच्छी तरह से सिकाई की जाती है जो कि इसके पेड़े का स्वाद बढ़ाता है. साथ ही बताया कि छोटे वाले पेड़े 300 रुपए किलो, तो बड़ी साइज के पेड़े 340 रुपए किलो मिलते हैं. सर्दी के मौसम में केसर के पेड़े भी तैयार किए जाते है और इसका भाव 450 रुपए किलो होता है. चूरू रेलवे स्‍टेशन के पास मौजूद ‘जय हनुमान पेड़े वाले’ दुकान से आप इस नंबर पर संपर्क 8003130242 (मनीष सैनी ) कर सकते हैं.

Jai Hanuman Pede Wale Churu

Tags: Australia, Churu news, Dubai, Saudi arabia

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