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कोर्ट रूम ड्रामा : जब बेंच ने नहीं मानी ED की दलील, कहा – ‘केजरीवाल डेढ़ साल तक बाहर रहे, उन्हें पहले या…’

नई दिल्ली. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए एक जून तक अंतरिम जमानत दे दी. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार केजरीवाल को दो जून को आत्मसमर्पण करना होगा और जेल वापस जाना होगा. बेंच ने केजरीवाल के वकील अभिषेक सिंघवी के इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया कि उन्हें पांच जून तक अंतरिम जमानत दी जाए. एक जून को लोकसभा चुनाव के लिए सातवें और अंतिम चरण के तहत मतदान होगा. मतगणना चार जून को होगी. कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने के कारणों का विवरण बाद में दिया जाएगा.

ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने चुनाव प्रचार के आधार पर केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध किया और कहा कि ऐसा कोई पूर्व उदाहरण नहीं है. कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल को 21 दिन के लिए अंतरिम जमानत देने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. बेंच ने कहा कि ईडी की ‘प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट’ (ईसीआईआर) अगस्त 2022 में दर्ज की गई थी जबकि मुख्यमंत्री को इस साल 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया. बेंच ने ईडी से कहा, ‘वह डेढ़ साल तक बाहर रहे. उन्हें पहले या बाद में गिरफ्तार किया जा सकता था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.’

मेहता और राजू ने न्यायालय से जमानत शर्तें लागू करने का अनुरोध किया जिनमें यह भी शामिल हो कि केजरीवाल आबकारी नीति मामले के संबंध में कुछ नहीं कहेंगे. बेंच ने कहा कि जमानत की शर्तें वैसी ही होंगी जैसी ‘आप’ नेता संजय सिंह के मामले में लागू की गई थीं. सिंह को इसी मामले के सिलसिले में पिछले महीने जमानत दी गई थी. अदालत ने कहा कि वे केजरीवाल को दो जून तक अंतरिम जमानत/जमानत पर रिहा कर रहे हैं और इस तरह की कोई शर्त नहीं है कि वह इन 20-22 दिन रिहाई के दौरान प्रचार के समय क्या कह सकते हैं और क्या नहीं कह सकते.’

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अपने कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकेंगे केजरीवालसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत की शर्तों के मुताबिक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी अंतरिम जमानत की अवधि के दौरान अपने कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकेंगे. कोर्ट ने केजरीवाल से कहा है कि वह 21 दिन की अंतरिम जमानत अवधि के दौरान तब तक किसी भी सरकारी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक उपराज्यपाल की मंजूरी प्राप्त करने के लिए ऐसा करना आवश्यक न हो. बेंच ने केजरीवाल को जेल अधीक्षक की संतुष्टि के लिए 50,000 रुपये के जमानती बॉण्ड और इतनी ही राशि के मुचलका जमा कराने का भी निर्देश दिया.

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘वह मौजूदा मामले में अपनी भूमिका के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे और किसी भी गवाह के साथ बातचीत भी नहीं करेंगे और/या मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक उनकी पहुंच नहीं होगी.’

न्यायालय ने केजरीवाल को राहत देते हुए कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं, लेकिन उन्हें अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है. पीठ ने कहा, ‘उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. वह समाज के लिए खतरा नहीं हैं.’

Tags: Abhishek Manu Singhvi, Arvind kejriwal, Enforcement directorate, Supreme Court, Tushar mehta

FIRST PUBLISHED : May 11, 2024, 05:49 IST

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