गांव की पगडंडियों से निकल बेटियां बन रही ब्यूटीशियन, अब उम्मीदों को लगेंगे सतरंगी पंख
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मनमोहन सेजू/बाड़मेर: एक जमाना हुआ करता था जब भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बसे बाड़मेर की बेटियां घर के चूल्हे और उससे निकलने वाले धुएं की आगोश में ही जकड़ी रहती थी लेकिन आज आलम पूरी तरह से बदल गया है. कल तक जिस गांव में बालिका शिक्षा की बात पर हंसी उड़ाई जाती थी आज उन्ही ग्रामीण इलाकों में बेटियां अपने उज्ज्वल भविष्य के सपने सतरंगी पंखों से संवार रहीं हैं.
पश्चिम राजस्थान की दूर-दराज की ढाणियों में रहने वाली बेटियों के लिए जीवन की राहें आसान नहीं होती हैं लेकिन केयर्न वेदांता की पहल से इन बेटियों को एक नया आयाम मिला है. कंपनी के सहयोग से इन बेटियों को ब्यूटी पार्लर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार सके. आज हम बात कर रहे है सरहदी बाड़मेर जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर रेत के टिब्बों में बसे नोखड़ा गांव की जहां की बेटियां ब्यूटीशियन बनने जा रही है. 2 महीने की खास ट्रेनिग में यहां की बेटियां इस हुनर को बखूबी सीख रही है. नोखड़ा केयर्न एंटरप्राइज सेंटर के बैनर तले बीते दिनों ग्रामीण कौशल विकास केंद्र नोखड़ा में शुभारंभ हुआ.
2 माह में 30 बेटियां बन जाएगी ब्यूटी एक्सपर्टवेदांता केयर्न इंडिया की वंदना मेहरा, संध्या ठाकुर ने बेटियों के सपनो को साकार करने वाले आधार की शुरुआत की है. इस केंद्र पर 30 बेटियों को ब्यूटी थैरेपिस्ट कोर्स के लिए चयन कर उन्हें अगली दो माह तक स्पोक केंद्र के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है. मास्टर ट्रेनर भारती बगतानी और कालूराम द्वारा नोखड़ा गांव में इन महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रैनर भारती बताती है कि 2 महीने की ट्रैनिंग के बाद एक साथ 30 महिलाएं और बेटियां ब्यूटी एक्सपर्ट बन जाएगी जिससे वह आत्मनिर्भर बनने के कदम को साकार करेगी.
30 बेटियां सीख रही ब्यूटीशियन बनने के गुरकेयर्न इंडिया के सीएसआर हैड अयोध्या प्रसाद गौड़ बताते है कि केयर्न वेदांता की इस प्रशिक्षण के प्रति सोच है कि महिलाएं अपने हाथ का हुनर लेकर अपने घर खर्च को बचाकर साथ ही ब्यूटी पार्लर खोलने के अवसर ले सके. सदुर ग्रामीण स्तर पर ऐसे कौशल विकास के प्रयासों के दौरान इन 30 बेटियों का जज्बा देखते ही बनता है.
किसी सपने से नही है कमयह बेटियां बताती है कभी सपने में भी नही सोचा था कि घर के पास अपने हुनर को निखारने के लिए कुछ हो पायेगा लेकिन अब यकीन है भविष्य यकीनन सुनहरा होगा. नोखड़ा निवासी सुमित्रा बताती है कि कभी सपने में भी नही सोचा था कि वह कोई ब्यूटी पार्लर का काम सीख खुद का रोजगार चलाएगी. वही कविता बताती है कि महिलाओं को घर की चार दिवारी तक कैद रखा जाता है, ऐसे में अब महिलाएं अपने हाथ के हुनर से स्वरोजगार से जुड़ रही है.
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FIRST PUBLISHED : August 22, 2024, 17:08 IST