Dengue Shock syndrome and dengue Hemorrhagic fever is responsible for dengue deaths in up bihar mp haryana dlpg

नई दिल्ली. देश में डेंगू बुखार का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. देश के कई राज्यों में डेंगू (Dengue) के मरीज बड़ी संख्या में अस्पतालों में पहुंच रहे हैं. वहीं सौ से ज्यादा बच्चों और बड़ों की मौत ने इस बीमारी को लेकर चिंता पैदा कर दी है. हालांकि डेंगू के मामलों के दौरान इस बार एक नया ट्रेंड दिखाई दे रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि डेंगू बुखार (Dengue Fever) से ज्यादा खतरनाक इस समय डेंगू से ही संबंधित दो बीमारियां साबित हो रही हैं. यही वजह है कि इस बार ये बीमारी जानलेवा है और मरीजों की मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है.
एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा में डेंगू के नोडल अधिकारी बनाए गए प्रोफेसर मृदुल चतुर्वेदी ने न्यूज18 हिंदी से बातचीत में बताया कि डेंगू के जो मामले आ रहे हैं उनमें देखा गया है कि डेंगू बुखार से लोगों या बच्चों की जान नहीं गई बल्कि डेंगू की अगली स्टेज या कहें कि डेंगू संबंधित दोनों बीमारियां डेंगू शॉक सिन्ड्रोम (Dengue Shock Syndrome) और डेंगू हैमरेजिक फीवर (Dengue Hemorrhagic Fever) ज्यादातर मौतों के लिए जिम्मेदार हैं. एसएन मेडिकल कॉलेज में आसपास के जिलों से रैफर होकर आने वाले अधिकतर मामले भी ऐसे ही रहे हैं जिनमें ये दो बीमारियां पाई गई हैं. हालांकि डेंगू के दूसरी या तीसरी स्टेज पर पहुंचने और पर्याप्त इलाज न मिलने के कारण स्थानीय स्तर पर इन बीमारियों से मरीजों की जान जा रही है.

अगस्त से उत्तरी भारत और खासतौर पर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.
प्रोफेसर चतुर्वेदी कहते हैं कि कोविड की तरह ही डेंगू का भी कोई स्पष्ट इलाज नहीं है. मुख्य रूप से मरीज में डेंगू की पुष्टि होने के बाद उसके लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है. उसकी हर एक गतिविधि को मॉनिटर किया जाता है और उसको देखते हुए मरीज को आहार और दवाओं की संतुलित खुराक दी जाती है.
घर पर भी हो सकता है सामान्य डेंगू का इलाज
प्रो. चतुर्वेदी कहते हैं कि मेडिकल साइंस के हिसाब से डेंगू को तीन भागों में बांटा गया है. क्लासिकल (साधारण) डेंगू फीवर, डेंगू हेमरेजिक फीवर (DHF) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS). जहां तक सामान्य या साधारण डेंगू की बात है तो बिना लक्षणों वाले कोविड की तरह ही यह घर में अपने आप ठीक हो जाता है. इसके लिए बस मरीज के आहार का ध्यान रखना होता है और कोई भी जटिल स्थिति पैदा न हो. जबकि बाकी दोनों बीमारियां मरीज के लिए जानलेवा हो सकती हैं. इन दोनों बीमारियों का इलाज अस्पताल में ही संभव है. इन बीमारियों में मरीज के शरीर के अन्य अंगों पर प्रभाव पड़ने लगता है और उसकी हालत बिगड़ने लगती है.
क्या है डेंगू शॉक सिन्ड्रोम
डेंगू शॉक सिंड्रोम डेंगू का ही बढ़ा हुआ या अगला रूप है. यह डेंगू बुखार की दूसरी और तीसरी स्टेज में होता है. जब मरीज का बुखार कई दिन तक नहीं उतरता है और बदन दर्द भी होने लगता है तो इसकी शुरुआत होती है. होंठ नीले पड़ने लगते हैं. त्वचा पर लाल चकत्ते और दाने तेजी से उभरते हैं. साथ ही मरीज की नब्ज बहुत धीमे चलने लगती है. इसमें मरीज का तंत्रिका तंत्र खराब होने लगता है और वह लगभग सदमे की हालत में आ जाता है. इसलिए इसे डेंगू शॉक सिंड्रोम कहा जाता है. डेंगू के दौरान ब्लड प्रेशर भी नापना जरूरी होता है. अगर बीपी घटने लगे तो स्थिति गंभीर हो जाती है. ऐसी स्थिति में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना सबसे जरूरी होता है.
क्या है डेंगू हैमरेजिक फीवर

चार सालों में सबसे अधिक मरीज डेंगू के मिले हैं. साथ ही डेंगू शॉक सिन्ड्रोम और हैमरेजिक फीवर इस बार खतरनाक भी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Shutterstock)
डेंगू का बुखार अगर बढ़ता जाए और फिर मरीज के अंदर या बाहर रक्तस्त्राव शुरू हो जाए तो वह मरीज के लिए खतरनाक हो जाता है. डेंगू में रक्त धमनियों में रक्तस्राव होने के कारण ही इसे हैमरहेजिक फीवर (Dengue Hemorrhagic Fever) कहा जाता है. मरीज के कान, नाक, मसूढ़े, उल्टी या मल से खून आने लगता है. ऐसे मरीज को बहुत बेचेनी होती है और उसकी प्लेटलेट्स और श्वेत रक्त कणिकाएं बहुत तेजी से गिर जाती हैं. त्वचा पर गहरे नीले या काले रंग के बड़े बड़े चकत्ते पड़ जाते हैं.
महज एक दिन में हो रही बच्चों की मौत
मथुरा में तैनात महामारी विज्ञानी डॉ. हिमांशु मिश्र कहते हैं कि डेंगू के मुकाबले डेंगू शॉक सिन्ड्रोम और डेंगू हैमरेजिक फीवर इतने खतरनाक हैं कि इनकी चपेट में आने के बाद बच्चे एक दिन के भीतर दम तोड़ रहे हैं. वो कहते हैं कि मथुरा के आसपास डेंगू से हुई मौतें इसी कारण हुई हैं. कई-कई दिनों से बुखार में पड़े बच्चे जब अपना होश-हवास खोने लगते हैं तो परिजन अस्पताल लेकर आते हैं और डेंगू की गंभीर स्थिति में पहुंचे बच्चों या बड़ों को बचाना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जरूरी है कि डेंगू के मरीजों के लक्षणों का विशेष ध्यान रखा जाए.
डेंगू को लेकर ये रखें ध्यान
. अगर बच्चे या बड़े को बुखार है तो उसे पैरासीटामोल दें और घर पर ही लिक्विड डाइट देने के साथ मच्छरों से बचाव का ध्यान रखें.
. बुखार के मरीज का बार-बार बीपी जांचते रहें. साथ ही बच्चा है तो उससे पूछते रहें कि कहीं से खून तो नहीं आ रहा है. अगर ऐसा कोई लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
. एक या दो दिन में बुखार उतर रहा है तो घबराने की बात नहीं है लेकिन अगर बुखार बढ़ रहा है तो उसे अस्पताल लेकर आएं और डॉक्टर को दिखाएं.
. अगर बुखार के साथ ही बच्चे के शरीर पर चकत्ते पड़ रहे हैं, वह अचेतावस्था में जा रहा है और उसे ठंड व कंपकंपी आ रही है तो ये लक्षण गंभीर हैं. ऐसे में बच्चे को बिना देर किए अस्पताल में लेकर पहुंचें.
. बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाकर रखें, मच्छरों से बचाव करें. कहीं भी पानी जमा न होने दें. साफ-सफाई का ध्यान रखें.
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