DGP Alok Raj: आलोक राज को स्कूल कॉलेज के समय किस चीज का था शौक? पुलिस की नौकरी के अलावा क्या करते हैं?
IPS Story, DGP Alok Raj: बिहार के वरिष्ठ आईपीएस आलोक राज का जन्म 15 दिसंबर 1965 को हुआ था. वह वर्ष 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. वह राज्य के सबसे सीनियर आईपीएस अधिकारी है. बिहार के डीजीपी रहे आईपीएस आरएस भट्ठी के सीआईएसएफ डीजी बनने के बाद यह पद खाली हो गया था, जिसमें कई अफसरों के नाम चल रहे थे, लेकिन बिहार में इस समय सबसे सीनियर अफसर आलोक राज ही थे जिसके बाद उन्हें डीजीपी नियुक्त कर दिया गया, हालांकि जब आरएस भट्ठी को बिहार का डीजीपी बनाया गया. तब भी आलोक राज ही सीनियर थे. आएस भट्ठी 1990 बैच के आईपीएस हैं, जबकि आलोक राज उनसे एक साल सीनियर हैं. उस समय भी उनका नाम डीजीपी की रेस में आगे चल रहा था. अब बिहार में उनके बाद शोभा अहोतकर हैं, जो 1990 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं. वर्तमान में वह बिहार होमगार्ड और फायर बिग्रेड की डीजी हैं. इसके अलावा वर्ष 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी विनय कुमार हैं, वह वर्तमान में बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के डीजी के पद पर तैनात हैं.
जब वायरल हो गया था उनका गीतवरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आलोक राज ने पिछली साल सावन महीने में भगवान शिव पर एक गीत गाया था जो कि काफी वायरल हो गया था. उन्होंने ‘ये भोला सबसे बड़ा है…’ गीत गाया जिसे सोशल मीडिया पर काफी सराहा गया और शेयर किया गया. जिसके बाद उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें स्कूल कॉलेज के समय फिल्मी गानों का बहुत शौक था, लेकिन जब वह 20 अगस्त 1989 को आईपीएस बने तो यह सबकुछ छूट सा गया. उन्होंने बताया था कि पुलिस का काम और उसकी जिम्मेदारी अलग होती है.
22 साल रहे गीत संगीत से दूरआलोक राज ने इंटरव्यू में बताया कि वह करीब 22 साल पुलिसिया दुनिया में ऐसे खो गए कि उनका यह शौक बहुत पीछे छूट गया, लेकिन वर्ष 2011 में वह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सीखने लगे. अपने गुरु अशोक कुमार के सानिध्य में उन्होंने संगीत साधना शुरू की. उन्होंने बकायदा छह साल तक रियाज किया. उसके बाद 2017 में अपना पहला अलबम साईं रचना लेकर आए. इसके बाद दुष्यंत कुमार की गजलों का भी एक अलबम गाया. बाद में कबीर भजन का भी अलबम रिलीज हुआ.
पुलिस सेवा में रहता है तनावआलोक राज ने एक अन्य इंटरव्यू में बताया था पुलिस सेवा में दिन भर ऐसी चीजों से पाला पड़ता है, जिससे निगेटिविटी आती है. पुलिस ऑफिसर तनावग्रस्त रहते हैं. कई बार वह चिड़चिड़े हो जाते हैं. ऐसे में कला ही एक ऐसा माध्यम है, जिसे क्रिएटिविटी बढ़ाई जा सकती है और निगेटिविटी को घटाया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : August 30, 2024, 18:06 IST