Diwali 2024 firecrackers of royal time clay pomegranate demand all over the country
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कोटा. दीपावली के मौके पर पटाखे जलाना का पुराना रिवाज रहा है. इसलिए, बाजारों में पटाखे की आवक बढ़ती जाती है. आज हम आपको राजस्थान के एक ऐसे पटाखे के बारे में बता रहे हैं, जो राजा-महाराजाओं के समय से चलते आ रहा है. यह मिट्टी के अनार है, जो बूंदी जिला सहित पूरे हाडोती में प्रसिद्ध है. साथ ही देश के अन्य राज्यों में भी इस मिट्टी के अनार का बड़ा क्रेज है. बूंदी में मिलने वाले अनार लंबे समय तक चलते हैं और तकरीबन 30 से 40 फीट तक आसमान में रोशनी करते हैं. इसे चलाने पर किसी भी तरह का शोर-शराबा या तेज आवाज नहीं होती है. यह अनार राजाओं के जमाने से बनते आ रहा है.
400 रूपए है मिट्टी के अनार की कीमत
पटाखे बनाने वाले जमील अहमद ने लोकल 18 को बताया कि ज्वालामुखी बनाने का काम पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. उन्होंने बताया कि पिता और दादा भी इस ज्वालामुखी को राजा-महाराजा के लिए बनाया करते थे. इसे तैयार करने से पहले मिट्टी का खाली खोल लिया जाता है जो की कुम्हार तैयार करता है. उस मिट्टी के खोल पर पेपर लगते हैं और उसमें अंदर बारूद भरा जाता है. कलबिशोरा, कोयले का मसाला भरकर अच्छे से ठोका जाता है. इसके बाद मिट्टी का अनार तैयार हो जाता है. इसकी कीमत की बात की जाए तो 400 रूपए है और यह 30 से 40 फीट ऊंचाई तक जाता है. अन्य मिट्टी के अनार से मुकबाले काफी देर यानी एक मिनट से भी अधिक देर तक जलते रहता है.
दो ही परिवार बना रहे हैं मिट्टी का अनार
मिट्टी का अनार बनाने वाले जमील अहमद ने बताया कि राजा-महाराजाओं के जमाने से मिट्टी के अनार बनाने की परंपरा चली आ रही है. प्राचीन समय में अधिक कारीगर हुआ करते थे और बड़ी संख्या में मिट्टी के अनारों को बनाया जाता था. लेकिन, धीरे-धीरे यह परंपरा लुप्त होती गई और आज केवल दो ही परिवार इस परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं. हर वर्ष दीपावली से पहले बूंदी में मिट्टी का अनार बनाने की कला को शुरू कर दिया जाता है और बड़े पैमाने पर इसे तैयार किया जाता है.
कई राज्यों से खरीदने के आते हैं लोग
जमील अहमद ने बताया कि केवल बारिश के तीन माह में यह कारोबार बंद रहता है. बांकी पूरे साल यह कारोबार चलता है. दीपावली के अलावा शादी समारोह में भी आतिशबाजी के लिए इसकी विशेष डिमांड रहती है. दीपावली के अवसर पर बूंदी से अनार खरीदने के लिए पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात राज्यों से लोग आते हैं. साथ ही राजस्थान के उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, जयपुर, अजमेर, सवाई माधोपुर, टोंक, बारां, कोटा और झालावाड़ जिलों से कई लोग आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 29, 2024, 18:47 IST