Diwali 2024: हटरी की महक से महकेगा दीपावली का पूजन स्थल, जानिए इसका धार्मिक महत्व
भरतपुर: दीपावली के मौके पर बनने वाली मिट्टी की हटरी का भारतीय संस्कृति और धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष महत्व है. इसे लक्ष्मी पूजन में शुभ और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. मिट्टी से बनी हटरी को आमतौर पर कुंभकारों द्वारा मिट्टी से तैयार किया जाता है और इसे रंग-बिरंगे डिजाइनों से सजाया जाता है. यह लक्ष्मी पूजन में दीयों के साथ सजावट का एक अभिन्न हिस्सा है, जो पूजन के दौरान शुभ मानी जाती है.
हटरी बनाने वाले कारीगर सोहन सिंह ने लोकल 18 को बताया कि इन हटरियों को बनाने में अच्छी गुणवत्ता की मिट्टी का उपयोग किया जाता है, जो प्रकृति के तत्वों के साथ सामंजस्य का प्रतीक होती है. दीपावली पर इसे घर में स्थापित करने से मां लक्ष्मी का वास माना जाता है और परिवार में धन-समृद्धि का आगमन होता है. इस हटरी में घर के पूजा स्थान पर अन्य पूजन सामग्री जैसे खिल, खिलौने, मिठाई आदि को रखा जाता है.
कुम्हार अपने हाथों से करते है तैयारमिट्टी की हटरी बनाने की परंपरा विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक देखी जाती है, जहां इसे स्थानीय कुम्हार अपने हाथों से तैयार करते हैं. मिट्टी से बनी चीजें पर्यावरण के अनुकूल होती हैं, और इनके निर्माण में प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग होता है. इस प्रकार की हटरी का उपयोग धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारतीय कला और हस्तशिल्प का एक प्रतीक मानी जाती है.
बाजार में इसकी कीमत 20 से 50 रुपए होती हैइस प्रकार, दीपावली पर मिट्टी से बनी हटरी न केवल पूजन का माध्यम होती है बल्कि हमारी परंपराओं को सजीव बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और हमें हमारी संस्कृति से जोड़ती है. कुम्हार सोहन सिंह प्रजापत बताते हैं कि यह हटरी विशेषकर दीपावली के अवसर पर ही बनाई जाती है. इसे बनाने के बाद विभिन्न रंगों से सजाया जाता है, जो इसे और भी आकर्षक बनाते हैं. बाजार में इसकी कीमत ₹20 से ₹50 के बीच होती है.
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FIRST PUBLISHED : October 27, 2024, 10:20 IST