Rajasthan

पितृपक्ष में भूलकर न करें ये गलतियां, वरना भुगतने होंगे गंभीर परिणाम, पंडित से जानिए सबकुछ

भीलवाड़ा: हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष का बहुत बड़ा महत्व है और श्राद्ध पक्ष 15 दिन यानी कि एक पखवाड़े तक मनाया जाता है, मानता है कि इस दौरान पितृपक्ष और पूर्वज परिवार के बीच 15 दिन तक रहते हैं और इस पखवाड़े में तमाम प्रकार के जतन करते हुए पितृपक्ष को खुश किया जाता है. वही श्राद्ध पक्ष में दान पुण्य करने का बहुत बड़ा महत्व है, जिससे पितृपक्ष खुश हो जाते हैं लेकिन इस दौरान कुछ ऐसी बातों का ध्यान रखना विशेष जरूरी है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान ऐसी गलती नहीं करें जिससे पितृपक्ष नाराज हो सकते हैं.

नगर व्यास पंडित कमलेश व्यास ने लोकल 18 को बताया कि हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष का बहुत महत्व है यह 15 दिन तक चलता है और अमावस पर इसकी समाप्ति हो जाती है, इस दौरान तिथि के हिसाब से पूर्वजों श्रद्धा मनाया जाता हैं. यह जो 15 दिन होते हैं विशेष रूप से पूर्वजो पितरों को समर्पित है.इस दौरान मान्यता है कि पूर्वज 15 दिन तक अपने परिवार के साथ यहीं रहते हैं. श्राद्ध पक्ष में पुण्य का बहुत बड़ा महत्व है इस दौरान पशुओं को भोजन करना, ब्राह्मण भोज और पुण्य दान किया जाता है और पितृपक्ष खुश होने के बाद परिवार को आशीर्वाद देते हैं.

पितरों को खुश करने के लिए करें यह काम –श्राद्ध पक्ष के दौरान जितना हो सके उतना अपने पितरों और पूर्वजों के नाम दान पुण्य करना चाहिए. गौ माता को घास खिलाना , कबूतर को दाना खिलाना, कौवे को खाना खिलाना. इसके अलावा किसी गरीब व्यक्ति को भी भोजन कराया जा सकता है. जिससे पुण्य मिलता है वहीं वृद्ध आश्रम में जाकर भी भोजन करवा सकते हैं

भूलकर भी नहीं करें यह काम श्राद्ध पक्ष के दौरान कई ऐसी बातें हैं जो अनजाने में हमसे हो जाती है लेकिन इससे कई बार पितृपक्ष नाराज हो सकते हैं तो कई ऐसी गलतियां है भूलकर भी श्राद्ध पक्ष के दौरान नहीं करनी चाहिए. जैसे किसी पशु या फिर गरीब व्यक्ति को परेशान नहीं करना चाहिए. घर में गंदगी नहीं रखनी चाहिए और इसके अलावा ऐसा कोई पाप या काम नहीं करना चाहिए जिससे इसका बुरा दुष्ट प्रभाव पर है. पितृदोष तब उत्पन्न होता है जब परिवार में किसी ने पितरों के प्रति अपने कर्तव्यों का सही पालन नहीं किया होता है. यह कर्तव्य तर्पण, श्राद्ध, और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से पितरों को संतुष्ट करना है. अगर ये अनुष्ठान ठीक से नहीं किए जाते, तो पितर नाराज हो सकते हैं जिससे पितृदोष उत्पन्न होता है.

पितृदोष का ऐसे करे दूर –नगर विकास पंडित कमलेश व्यास ने कहा कि पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करना, जिसमें पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और भोजन का आयोजन करना शामिल है ब्राह्मणों को भोजन कराना, जरूरतमंदों की सहायता करना और गो-दान करना भी पितरों की शांति के लिए लाभकारी होता है. जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिले और दोष का निवारण हो सके.

Tags: Bhilwara news, Dharma Aastha, Local18, Pitru Paksha

FIRST PUBLISHED : September 22, 2024, 14:28 IST

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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