40 की उम्र के बाद न करें यह लापरवाही, वरना बन जाएंगे बवासीर के मरीज, डॉक्टर्स ने बताए पाइल्स से बचने के तरीके
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Last Updated:February 14, 2025, 15:44 IST
Tips To Prevent Piles: 40-45 की उम्र के लोगों में बवासीर की समस्या तेजी से बढ़ रही है. डॉक्टर्स की मानें तो शुरुआत में ऐसे लोगों को कब्ज होने लगती है और उसका सही समय पर इलाज न कराया जाए, तो पाइल्स की नौबत आ सकत…और पढ़ें
कब्ज का वक्त रहते ट्रीटमेंट करवा लेना चाहिए.
हाइलाइट्स
अगर आंतें एक सप्ताह तक साफ न हों, तो इसे क्रोनिक कब्ज माना जा सकता है.लंबे समय तक कब्ज की समस्या रहने से बवासीर का खतरा पैदा हो सकता है.बवासीर से बचने के लिए लोगों को वक्त रहते डॉक्टर से सही ट्रीटमेंट कराना चाहिए.
Natural Ways To Prevent Piles: वर्तमान समय में लोगों की लाइफस्टाइल और खान-पान बिगड़ गया है. लोगों के सोने-जागने और खाने-पीने का रुटीन बदल गया है. इसका असर सेहत पर बुरी तरह पड़ रहा है. अनहेल्दी खान-पान पेट की सेहत को बर्बाद कर रहा है. कम उम्र में ही बड़ी तादाद में लोग कब्ज की समस्या से परेशान हो रहे हैं और उनका पेट साफ नहीं हो रहा है. 40 की उम्र के बाद ये समस्याएं बढ़ जाती हैं और कब्ज बवासीर में तब्दील हो जाती है. इतना ही नहीं 45-65 वर्ष की आयु के वयस्कों में पुरानी कब्ज की समस्या आम हो रही है. इससे बचने की कोशिश करनी चाहिए.
दिल्ली के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के जनरल सर्जन डॉ. लकिन वीरा ने बताया कि हर उम्र के लोगों में कब्ज की सबसे बड़ी वजह डाइट में फाइबर की कमी, एक्सरसाइज की कमी, प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन, कुछ दवाएं, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS), गर्भावस्था और उम्र बढ़ने के साथ होने वाली आंतों की बीमारियां शामिल हैं. पुरानी कब्ज मलाशय की नसों पर अतिरिक्त दबाव डालती है, जिससे सूजन और बवासीर की समस्या हो सकती है. लगातार दबाव के कारण गुदा में घाव और दरारें हो सकती हैं, जो ब्लीडिंग का कारण बन सकती हैं. इसलिए कब्ज का समय रहते इलाज करवाना जरूरी है.
मुंबई के झायनोव्हा शाल्बी हॉस्पिटल के लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. हेमंत पटेल के मुताबिक कब्ज तब क्रोनिक हो जाती है, जब आंतें एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक साफ नहीं हो पाती हैं. इसके कारण पेट फूलना, दर्द, मल त्याग के दौरान तनाव और पेट साफ न होने जैसे लक्षण नजर आते हैं. अक्सर लोग कब्ज को लेकर लापरवाही बरतते हैं, जिससे यह समस्या बढ़ जाती है और बवासीर की बीमारी पैदा हो जाती है. अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले अधिकांश मरीज कब्ज से पीड़ित होते हैं. 45 से 65 वर्ष की आयु के लगभग 15% लोग प्रतिदिन कब्ज, पेट दर्द और सूजन की समस्या से ग्रस्त रहते हैं.
डॉक्टर हेमंत पटेल ने बताया कि फाइबर युक्त डाइट जैसे- जामुन, सेब, चिया बीज, गाजर और चुकंदर का सेवन करने से कब्ज की समस्या से बचा जा सकता है. नियमित फिजिकल एक्टिविटी और पर्याप्त पानी पीने से आंतों के कार्य में सुधार होता है. मल त्याग के दौरान जोर न लगाना और आहार में प्रोबायोटिक्स को शामिल करना भी आंतों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है. समय पर उपचार और आहार में सुधार से बवासीर और गुदा दरारों जैसी जटिलताओं को रोका जा सकता है. अगर खान-पान से समस्या हल न हो, तो मल को नरम करने वाली दवाएं डॉक्टर की सलाह पर ले सकते हैं.
First Published :
February 14, 2025, 15:44 IST
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40 की उम्र के बाद न करें यह लापरवाही, वरना बन जाएंगे बवासीर के मरीज