Rajasthan Government Wants Youth Free Vaccination With DMFT Fund – राज्य सरकार चाहे तो इस फंड से कर सकती है युवाओं का फ्री वैक्सीनेशन

बुजुर्गों के साथ युवाओं के कोरोना टीके भी नि:शुल्क उपलब्ध कराने के लिए राजस्थान सरकार केंद्र पर दबाव बनाए हुए है
सुनील सिंह सिसोदिया/जयपुर। बुजुर्गों के साथ युवाओं के कोरोना टीके भी नि:शुल्क उपलब्ध कराने के लिए राजस्थान सरकार केंद्र पर दबाव बनाए हुए है लेकिन राज्य सरकार चाहे तो डीएमएफटी फंड का उपयोग कर 18 से 45 वर्ष के युवाओं को टीके नि:शुल्क लगा सकती है। राज्य में लगभग 3 करोड़ युवाओं को टीके नि:शुल्क लगाने के लिए लगभग 2300 करोड़ रुपए की जरूरत है। इस फंड की राशि राज्य सरकार के पास है और यह राज्य को ही खर्च करनी होती है।
4500 करोड़ का है यह फंड
डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउण्डेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) में अब तक लगभग 4500 करोड़ रुपए जमा हो चुके हैं। इसमें से लगभग 2500 करोड़ के 17250 कामों के लिए वित्तीय स्वीकृतियां जारी की जा चुकी हैं। इसमें से अब तक आधी राशि भी खर्च नहीं हुई है। इन स्वीकृतियों के बाद भी इस फंड में 2000 करोड़ रुपए उपलब्ध हैं। डीएमएफटी में जमा राशि कलक्टर के जरिए खर्च की जाती है। कोरोना की पहली लहर के दौरान केंद्र सरकार ने कलक्टरों को इस राशि का 30 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने की स्वीकृति दी थी। तब राजस्थान में 605 करोड़ का प्रावधान भी किया था। अधिकारियों की मानें तो इसमें से अब तक 20 करोड़ ही खर्च हुए हैं। केंद्र सरकार सहमति दे तो इस फंड से युवाओं का नि:शुल्क वैक्सीनेशन हो सकता है।
30 प्रतिशत तक तो केंद्र से अनुमति भी जरूरी नहीं
राज्य को 30 प्रतिशत राशि खर्च करने के लिए तो केंद्र से स्वीकृति लेने की भी जरूरत नहीं है। बाकी राशि खर्च करने के लिए राज्य को केंद्र से पूछना पड़ेगा। लेकिन राशि राज्य को खर्च करनी होती है इसलिए जानकारों का मानना है कि राज्य इजाजत मांगे तो केंद्र को भी संभवतया कोई एतराज नहीं होगा।
अभी यों खर्च हो रही राशि
– 60 फीसदी: स्वास्थ्य, पेयजल, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, महिला व बाल कल्याण, वृद्ध व दिव्यांग कल्याण, कौशल विकास, स्वच्छता आदि उच्च प्राथमिकता के काम।
– 40 फीसदी: सिंचाई, ऊर्जा, जलसंरक्षण आदि अन्य प्राथमिकता के काम।
हर साल 1000 करोड़ जमा
डीएमएफटी का गठन लगभग पौने पांच साल पहले इस उद्देश्य से हुआ कि खनन रॉयल्टी से एकत्र राशि उसी क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य व विकास के अन्य कार्यों पर खर्च हो। इसमें हर साल 850 से 1000 करोड़ रुपए जमा होते हैं। यह राशि मेजर मिनरल की खानों से वसूली जाने वाली रॉयल्टी की 30 फीसदी और माइनर मिनरल से रॉयल्टी की 10 फीसदी जमा की जाती है। इसमें अब तक 4500 करोड़ जमा हो चुके हैं।