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ERCP Union Minister Shekhawat said,Gehlot government’s wrong proposaL | Video : इन 13 जिलों के पानी पर गरमाई सियासत..केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा, गहलोत सरकार का प्रस्ताव ही गलत

Eastern Rajasthan Canal Project

जयपुर

Published: April 16, 2022 07:46:35 pm

भवनेश गुप्ता
जयपुर। राजस्थान के लिए महत्वपूर्ण ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) पर चल रही ‘सियासत’ के बीच एक और परेशान करने वाली स्थिति सामने आई है। राजस्थान सरकार मध्यप्रदेश से आने वाली कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध नदी से 50 प्रतिशत डायवर्जन पर पानी लेना चाह रही है। जबकि, जलशक्ति मंत्रालय का दावा है कि देश में ऐसे एक भी प्रोजेक्ट को इस डायवर्जन पर पानी लेने की अनुमति (राष्ट्रीय परियोजना घोषित में से) नहीं दी गई है।

Video :  इन 13 जिलों के पानी पर गरमाई सियासत..केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा, गहलोत सरकार का प्रस्ताव ही गलत

Video : इन 13 जिलों के पानी पर गरमाई सियासत..केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा, गहलोत सरकार का प्रस्ताव ही गलत

मंत्रालय ने निर्धारित मापदण्ड के तहत 75 प्रतिशत डायवर्जन के आधार पर संशोधित डीपीआर भेजने के लिए कहा है, जिससे प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा देने की तरफ कदम बढा सकें। हालांकि, राज्य सरकार डीपीआर में संशोधन करने के मूड में नहीं है। तर्क दिया गया है कि इससे राजस्थान में लाए जाने वाली पानी की मात्रा आधी रह जाएगी। ऐसे हालात के बीच प्रदेश के 13 जिलों को पानी की कमी से जूझना पड़ रहा है। इस मामले में राज्यसभा सांसद किरोडीलाल मीणा ने भी सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर तत्काल संशोधित डीपीआर भेजने की जरूरत जताई है।

इस तरह समझें
-राजस्थान सरकार : कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध नदी में ओवरफ्लो होकर बहने वाले पानी को 50 प्रतिशत डायवर्जन पर लेना चाह रहे है। इससे करीब 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा।
-मध्यप्रदेश सरकार : एमपी सरकार ने मध्यप्रदेश—राजस्थान अंतर्राज्यीय नियंत्रण मंडल की बैठक का हवाला देते हुए दावा किया कि इसके तहत 75 प्रतिशत डायवर्जन के आधार पर ही पानी लिया जा सकता है। इससे करीब 1700 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा। तत्कालीन सीएम कमलनाथ ने भी राजस्थान सीएम को पत्र लिखा था।
-जलशक्ति मंत्रालय : नियमों के तहत अन्तर्राज्यीय नदियों पर 75 प्रतिशत कम निर्भरता पर प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू होता है तो नदी तट पर बसे दूसरे राज्यों के लिए बहुत कम पानी बचेगा। इससे राज्यों के बीच पानी के हाहाकार मचने की आशंका बनती है। इसलिए 50 प्रतिशत डायवर्जन पर पानी दिया जा सकता है। इससे राज्यों के बीच समान रूप से पानी पहुंचेगा।

60 नहीं, 90 प्रतिशत तक मिल सकता है अनुदान
-राज्य सरकार प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा दिलाना चाह रही है। यदि यह होता है तो केन्द्र सरकार प्रोजेक्ट लागत की 60 प्रतिशत राशि वहन करेगी और बाकी राज्य सरकार।
-इसी प्रोजेक्ट को यदि इंटरलिंकिंग रिवर (नदी को आपस में जोड़ना) कार्यक्रम के तहत स्वीकृत कराया जाए तो केन्द्र सरकार इस प्रोजेक्ट में 90 प्रतिशत राशि वहन करेगी।
(सरकार 90 प्रतिशत अनुदान के आधार पर भी आगे बढ़ सकती है)

इन 13 जिलों को फायदा, बांध होने हैं पुनर्जीवित
जयपुर के अलावा झालावाड़, बांरा, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, अजमेर, टोंक, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर व धौलपुर तक पेयजल पहुंचाना है। जयपुर के रामगढ़ सहित अन्य बांध को पुनर्जीवित करना है।

नेताओं का यह कहना- -देश में एक भी प्रोजेक्ट ऐसा नहीं है जिसे 75 प्रतिशत डायवर्जन के आधार पर स्वीकृति दी गई है। ऐसा हो तो राज्यों के बीच पानी को लेकर परेशानी के हालात बन जाएंगे। राजस्थान सराकर निर्धारित मापदण्ड के तहत संशोधित डीपीआर भेजे, जिससे इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा देने की तरफ बढ़ें। लेकिन लगता है राज्य सरकार प्रदेश में पानी की कमी दूर करने के मूड में नहीं है। हम तो चाहते हैं राज्य सरकार इसे इंटरलिंकिंग रीवर कार्यक्रम में जोड़ने के प्रयास करे, जिससे केन्द्र से 90 प्रतिशत तक फंडिंग मिले।
-गजेन्द्र सिंह शेखावत, केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री

-प्रधानमंत्री अपने भाषण में जब दो बार इस प्रोजेक्ट के लिए कह चुके हैं तो 50 प्रतिशत या 70 प्रतिशत डायवर्जन का मामला कुछ नहीं रह जाता।यदि केंद्र सरकार की चाह होगी तो मौजूद डीपीआर पर ही राष्ट्रीय दर्जा देंगे। मुख्यमंत्री ने तो स्थानीय स्तर पर ही प्रोजेक्ट का काम शुरू करवा दिया है और हम पूरा करके भी रहेंगे। यदि इस पर नीतिगत निर्णय हो जाए तो बेहतर है।केंद्रीय जलशक्ति मंत्री को अपने राज्य और क्षेत्र के लिए भी सोचना चाहिए, जो अभी दिख नहीं रहा।
-महेंद्रजीत सिंह मालवीय, जल संसाधन मंत्री

-कांग्रेस पार्टी के नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ राजस्थान के सीएम गहलोत को बता चुके हैं कि 50 प्रतिशत डायवर्जन पर एनओसी देना संभव नहीं है। 75 प्रतिशत डायवर्जन पर डीपीआर भेजे तो दिक्कत नहीं है। लेकिन राज्य सरकार नियमों के विपरीत जाकर क्यों इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को लटकाए हुए है। सीएम इस पर राजनीति कर रहे हैं। जल्द समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
-किरोडीलाल मीणा, राज्यसभा सांसद

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