गर्दन कटने के बाद भी दुश्मनों से लड़ता रहा था ये योद्धा, आज भी यहां खेजड़े के मृत तने की होती है पूजा

Agency: Rajasthan
Last Updated:February 17, 2025, 12:06 IST
जयपुर के मींडा गांव में बुढ़ा खेड़ा भोमिया जी महाराज का अनोखा मंदिर है, जहां मूर्ति नहीं बल्कि खेजड़े के पेड़ के तने की पूजा होती है. यह स्थान चार सौ वर्ष पुराना और चमत्कारी माना जाता है.X
खेजड़े के पुराने पेड़ के तने की पूजा की जाती हैं
हाइलाइट्स
जयपुर के मींडा गांव में अनोखा मंदिर है.यहां खेजड़े के पेड़ के तने की पूजा होती है.भोमिया जी महाराज की वीरता के कारण स्थल पूजनीय है.
जयपुर. जयपुर और नागौर की अंतिम सीमा पर स्थित मींडा गांव में एक अनोखा मंदिर है. खास बात ये है कि इस मंदिर में किसी मूर्ति की नहीं बल्कि एक मूर्त पेड़ के तने की पूजा की जाती है. मींडा गांव में स्थित इस मंदिर को बुढ़ा खेड़ा भोमिया जी महाराज का स्थल माना जाता है. यह एक चमत्कारी स्थान माना जाता है. इस मंदिर को लेकर भक्तों में भी अनेकों मान्यताएं हैं. नवरात्रा के समय इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है.
मंदिर के सेवक गजेन्द्र सांखला ने बताया कि बुढ़ा खेड़ा भोमिया जी मंदिर में मूर्ति नहीं बल्कि खुले आसमान के नीचे बने स्थान में पूजा अर्चना की जाती है. यहां खेजड़े के पेड़ के एक तने की पूजा होती है. यहां पर रोजाना श्रद्धालु आते है, लेकिन रविवार को श्रद्धालुओं की अधिक संख्या रहती है. वहीं नवरात्रा के दौरान यहां विशेष पूजा की जाती है, सैकड़ों श्रद्धालु अपनी मन्नत लेकर आते हैं. यह स्थान चार सौ वर्ष पुराना माना जाता है.
भोमिया जी युद्ध के दौरान इसी जगह पर गिरे थेमंदिर के सेवक गजेंद्र सांखला ने बताया कि इस स्थल पर खेजड़े के पुराने पेड़ के तने की पूजा की जाती हैं. मान्यता है कि यहां भोमिया महाराज युद्ध के दौरान इसी जगह पर गिरे थे, इस लिए यह स्थान पवित्र व पूजनीय हो गया. इस पवित्र स्थल को लेकर लोगों में धारण है कि भोमिया जी महाराज नहीं चाहते कि यह बड़ा मंदिर बने या मंदिर का पक्का निर्माण हो. इसलिए आज तक यहां कोई पक्का निर्माण नहीं हुआ. आज भी आज भी केवल पेड़ के तने की पूजा की जाती है. श्रद्धालु पूजा के बाद नारियल, लड्डू के साथ दही का भोग लगाते है.
कौन थे भोमिया महाराजसेवक गजेन्द्र सांखला ने बताया कि बूढ़ा खेड़ा बाबा योद्धा थे, जो जन्मभूमि के लिए हुए युद्ध में वीगगति को प्राप्त हुए. ऐसा कहा जाता है कि नागौर के एक योद्धा, जिनकी गर्दन कटने के बाद भी वे तलवार लेकर लड़ते-लड़ते यहां तक आ गए. तब किसी गवाले ने देखा तो शोर मचाते हुए कहा कि देखों गर्दन कटने के बाद भी वार कर रहा है, तब खेजड़ी के पेड़ के नीचे योद्धा गिर पड़े. उनकी चमत्कारी वीरता के चलते वह स्थान पवित्र स्थल के रूप में पूजनीय हो गया. मींडा व क्षेत्र के बुजुर्ग इसलिए उन्हें बुढ़ा खेड़ा भोमिया जी के नाम से पूजते है. गांव ही नहीं आसपास दिल्ली व हरियाणा के भक्त भी यहां बुढ़ा खेड महाराज की पूजा करने आते हैं.
Location :
Jaipur,Jaipur,Rajasthan
First Published :
February 17, 2025, 12:06 IST
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अनोखा मंदिर, गर्दन कटने के बाद भी दुश्मनों से लड़ता रहा था ये योद्धा
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