Rajasthan

मृत्यु के बाद भी एक इंसान 9 लोगों को दे सकता है जीवनदान, जानें कैसे

शक्ति सिंह/कोटा: जिस तरह से ब्लड के लिए जरूरतमंद व्यक्तियों को रक्तदान के जरिए ब्लड देकर उनकी जान बचाई जाती है उसी तरह नेत्रदान और अंगदान कर भी दूसरों को जीवन दिया जाता है. रक्तदान तो अब तक काफी प्रचलित हो चुका है लेकिन आज भी रक्तदान को लेकर लोगों में कई तरह का भ्रम है. कई लोग मानते हैं कि रक्तदान से शरीर में खून की कमी हो जाती है और कमजोरी आ जाती है. इसी तरह अंगदान को लेकर लोगों के मन में कई तरह की भ्रांतियां हैं. कई संस्थाएं लोगों को इनके प्रति जागरूक करने का काम काफी समय से कर रही हैं. कोटा में आयोजित एक कार्यक्रम में एनसीसी कैडेट्स को नेत्रदान-अंगदान और देहदान के बारे में जानकारी दी गई.

शाइन इंडिया फाउंडेशन 13 वर्षों से नेत्रदान-अंगदान और देहदान के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम कर रही है. राजस्थान टेक्निकल युनिवर्सिटी कैंपस में चल रहे एनसीसी के एक शिविर में शाइन इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़ ने नेत्रदान,अंगदान और देहदान के विषय पर एनसीसी कैडेट्स को जानकारी दी. इस प्रशिक्षण शिविर में कोटा ग्रुप के 220 कैडेट्स ने भाग लिया.

रक्त विहीन होता है नेत्रदानडॉ गौड़ द्वारा वर्तमान समय में नेत्रदान की जरूरत, नेत्रदान प्रक्रिया और नेत्रदान से जुड़ी भ्रान्तियों पर विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कॉर्निया के चलते अंधता के कारण और निवारण पर भी विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि नेत्रदान मृत्यु के बाद 15 मिनट में पूरी होने वाली एक रक्त विहीन प्रक्रिया है. इसमें पूरी आंख न लेकर सिर्फ कॉर्निया लिया जाता है. इससे दानदाता के चेहरे में किसी तरह की कोई विकृति भी नहीं आती.

ऐसे बचा सकते हैं लोगों का जीवनदूर-दराज से आए कई कैडेट्स ने पहली बार यह जाना कि साधारण मृत्यु (कार्डियक डेथ) में आंखें और त्वचा को दान करके कई जीवन को नया जीवन दिया जा सकता है. इसके अलावा ब्रेनडेड की अवस्था में किसी की मृत्यु होने पर लिवर, हार्ट, किडनी, लंग्स, इंटेस्टाइन, पेनक्रियाज और हार्ट वाल्व को दान करके कई जीवन बचाये जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि जागरूकता के अभाव के कारण कई जीवन मौत के मुंह में जा रहे हैं.

डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि, अंगदान उन व्यक्तियों के लिए जीवनदान है, जो अंगों की कमी से मौत के करीब आ चुके हैं. उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति के अंगदान से कम से कम 9 लोगों का जीवन बचाया जा सकता है. भारतवर्ष में आज के समय में पचास हजार से ज्यादा ऐसे लोग हैं, जिनको लीवर और हार्ट की बहुत जरूरत है. इसी तरह करीब 1 लाख से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिनको किडनी की जरूरत है.

शिविर में 14 राज बटालियन के कर्नल सुभाष महतो ने कैडेट्स का मनोबल बढ़ाते हुये कहा कि प्रत्येक मनुष्य में जीवित रहने के साथ ही मृत्यु के बाद भी किसी के जीवन को बेहतर बनाने की एक अद्भुत शक्ति होती है. उन्होंने कहा कि हमें प्रयास करना चाहिए कि नेत्रदान-अंगदान-देहदान के जरिए हमारा जीवन दूसरों को जीवन देने के काम आ सके. देश को अच्छे नागरिक देने के लिये अच्छी शिक्षा के साथ साथ, समय-समय पर इस तरह के सामाजिक कार्यों की कार्यशाला से बच्चों में न सिर्फ समाज, देश के प्रति दायित्व बढ़ता है, बल्कि उनमें नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार होता है.

Tags: Local18

FIRST PUBLISHED : June 30, 2024, 17:19 IST

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