यहां कलेक्टर भी नहीं सुरक्षित, 12 अधिकारी बन चुके साइबर क्रिमिनल का शिकार, एक तक नहीं पहुंच पाई पुलिस
देखते ही देखते देश में साइबर अपराध अपने चरम पर पहुंच गया है. ऑनलाइन फ्रॉड कर ये अपराधी शिकार फंसा लेते हैं. पहले ऐसा माना जाता था कि आम जनता, जिन्हें ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के नियमों का ज्ञान नहीं है, वो इन फ्रॉड्स के चक्कर में फंस जाते हैं. लेकिन बीते कुछ समय से जो मामले सामने आए हैं उसे देखते हुए ये कहा जा सकता है कि जरा सी भी लापरवाही से कोई भी साइबर फ्रॉड के जाल में फंस सकता है.
जयपुर में पिछले कुछ दिनों में साइबर क्रिमिनल्स ने बारह जिला कलेक्टर को अपने जाल में फंसा लिया. ये सारे फ्रॉड्स व्हाट्सएप और फेसबुक के फेक अकाउंट्स के जरिये किये गए. लेकिन अभी तक इस मामले में कोई भी गिरफ्तारी नहीं की गई है. जांच की बात करें तो पुलिस सुस्ती के साथ काम कर रही है. पुलिस का कहना है कि क्रिमिनल्स ने इन फ्रॉड्स के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क्स (VPNs) का इस्तेमाल किया है. इस वजह से उनका आईपी एड्रेस ट्रेस नहीं किया जा पा रहा है.
ऐसे फंसाते हैं शिकारपुलिस में दर्ज की गई शिकायत के मुताबिक़, साइबर अपराधी पहले फेक अकाउंट बनाते हैं. उसके बाद इनसे अपने शिकार को मैसेज करते हैं. अपराधी कलेक्टर के घरवाले और जान पहचान वालों को कॉल या मैसेज करते हैं. अभी तक जितने भी मामले सामने आए हैं, सभी में उज्बेकिस्तान का कंट्री कोड +998 का इस्तेमाल किया गया है. इस तरह से अभी तक दौसा, सवाई माधोपुर, खैरथल, करौली, भीलवाड़ा और साहपुरा के जिला कलेक्टरों को फंसाया जा चुका है.
नहीं पकड़ पा रही पुलिसये सारे अकाउंट वीपीएन के जरिये बनाए गए हैं. इससे डाटा इन्क्रिप्ट कर लिया जाता है. इस तकनीक की वजह से ऐसा लगता है कि इंटरनेट इस्तेमाल करने वाला दूसरे देश से इंटरनेट चला रहा है. जबकि फ्रॉड भारत में ही बैठे हैं. सूत्रों के मुताबिक़, पुलिस ने जांच के लिए साइबर सिक्युरिटी एक्सपर्ट्स को बुलाया है. उनके जरिये आईपी एड्रेस निकालने की कोशिश की जा रही है. वैसे पुलिस का ये भी कहना है कि चूंकि सबमें उज्बेकिस्तान का कंट्री कोड यूज किया गया है, इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये काम एक ही गिरोह का है.
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FIRST PUBLISHED : October 11, 2024, 10:35 IST