kota murder case mother killed her four year daughter with lover


4 वर्षीय बच्ची की हत्या की आरोपी मां टीना और उसका प्रेमी गिरफ्तार.
अब प्रहलाद और टीना साथ रहने लगे. उधर, सुमित ने 16 दिसंबर 2020 को बुढादित थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई. 5 माह बाद पुलिस ने सुध लेते हुए तकनीकी सहायता से 13 मई 2021 को जयपुर के उदावला गांव में टीना को दबोचा. नंदिनी के बारे में पहले टीना ने बहानेबाज़ी की और पुलिस को गुमराह करने की कोशिश लेकिन फिर टूट गई और प्रेमी के साथ मिलकर बच्ची की हत्या की सनसनीखेज़ वारदात की कहानी बयां कर दी.
मां ने आखिर क्यों ले ली बेटी की जान? इलाज पर रुपया खर्च न करना पड़े इसलिए 4 साल की नंदिनी को अपनी मां के ही हाथों मौत मिली. यही नहीं, हत्या के दूसरे दिन मां ने अपनी बेटी का शव जंगल में फेंक दिया. इस घिनौने कत्ल की दास्तान सिलसिलेवार इस तरह है : ये भी पढ़ें : बुखार पीड़िता का कोविड टेस्ट किए बगैर बोतलें चढ़ाता रहा डॉक्टर, युवती की मौत * 11 अक्टूबर 2020 को बोरखेड़ा से पति को छोड़कर प्रेमी के घर हुई रवाना. * 9 दिसम्बर 2020 को प्रेमी के घर मासूम नंदिनी खेलते हुए सीढ़ियों से गिरकर घायल हो गई. * 10 दिसम्बर 2020 को शाहपुरा में डॉक्टर ने गंभीर चोट बताकर जयपुर में इलाज की सलाह दी. * इलाज पर पैसा खर्च न हो, इसलिए 10 दिसम्बर 2020 को ही देर रात टीना ने प्रेमी प्रहलाद के साथ मिलकर नंदिनी का गला दबा दिया. * दोनों ने 11 दिसम्बर को शव अलवर के सरिस्का जंगल में फेंक दिया. कैसे रची झूठी कहानी? बेटी की हत्या के बाद हत्यारे प्रेमी एक साथ बेखौफ रह रहे थे. वहीं, जब पड़ोसियों ने कुछ समय तक न दिखी नंदिनी के बारे में पूछा तो टीना और प्रहलाद ने बच्ची के दादा-दादी के पास जाने की झूठी कहानी रच दी. 13 मई 2021 को पुलिस ने जब टीना को पकड़ा तो बच्ची के बारे में उसने काफी बहानेबाज़ी की, लेकिन मनोवैज्ञानिक ढंग से पूछताछ में इस घिनौने हत्याकांड का खुलासा हुआ.

प्रतीकात्मक तस्वीर (इनसेट में नंदिनी का चित्र)
क्या बच सकती थी बच्ची की जान? हालांकि टीना उर्फ पुष्पा व उसके प्रेमी प्रह्लाद सहाय को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है लेकिन पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में नज़र आ रही है. सबसे पहले तो हत्याकांड का खुलासा कर अपनी पीठ थपथपा रही पुलिस के पास इस बात का जवाब नहीं है कि इस पूरी कार्रवाई में 5 महीने क्यों लगे? दूसरी तरफ, फरियादी सुमित भी शिकायत दर्ज कराने में चूक गया. सुमित ने घर से गायब हुई पत्नी और बच्ची का इंतज़ार किया और निजी स्तर पर ही तलाश की, लेकिन जब पता नहीं चला तब 16 दिसंबर को गुमशुदगी रिपोर्ट पुलिस में की, जबकि बच्ची की हत्या 10 दिसंबर को ही हो चुकी थी. अगर सुमित ने समय रहते रिपोर्ट दर्ज करवाई होती और पुलिस ने मुस्तैदी से एक्शन लिया होता तो इस कांड का खुलासा महीनों पहले संभव था और शायद बच्ची की जान भी बच सकती थी.