Rajasthan

Expensive Electricity..Financial Constraints Kept On Themselves – खुद भोगते रहे आर्थिक तंगी, पर रसूखदार कंपनियों की भरते रहे झोली

कोरोनाकाल में भी उपकृत होती रहीं बिजली उत्पादन कंपनियां

भवनेश गुप्ता
जयपुर। महंगी बिजली खरीद के अनुबंध करने वाले डिस्कॉम्स ने कोरोन काल में भी उत्पादन कंपनियों को उपकृत करने में कसर नहीं छोड़ी। कोरोना के हालात के बीच खुद डिस्कॉम्स आर्थिक तंगी से जूझते रहे, लेकिन उत्पादन कंपनियों को लगातार भुगतान किया जाता रहा। कहीं उपरी दबाव तो कहीं रसूखदार कंपनियों के कारण इन्हें कटौती से दूर रखा गया। गंभीर यह है इनमें 7 बिजली प्लांट तो वे हैं, जिनसे या तो बिजली ली नहीं पर फिक्स चार्ज जुड़ते रहे या फिर जिनके अनुबंध की मियाद पूरी हो चुकी है। ऐसी उत्पादन कंपनियों को 3800 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान का बिल कोरोना काल (अप्रेल 2020 से मार्च 2021 तक) में जारी कर दिया गया। इनके अलावा कुछ रसूखदार निजी उत्पादन कंपनियां भी हैं, जिनका सीधे डिस्कॉम्स या पॉवर ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन (पीटीसी) के जरिए अनुबंध है। जबकि,विषय विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोनाकाल में कुछ माह भुगतान रोककर उस राशि को उपयोग दूसरे आवश्यक कार्यों में किया जा सकता था।

केन्द्र ने किया था स्थगित, राज्य बैठा रहा
1. केन्द्र ने यह किया— कोरोना की पहली लहर के बीच डिस्कॉम्स की आर्थिक हालात को देखते हुए केन्द्र सरकार ने उत्पादन कंपनियों का भुगतान कुछ माह तक स्थगित रख सकने की छूट दी थी। इसके लिए आर्थिक पैकेज भी दिया।
2. राज्य सरकार पीछे— राज्य सरकार भी इसी तर्ज पर डिस्कॉम्स द्वारा उत्पादन कंपनियों का भुगतान कुछ समय तक स्थगित रखने की छूट दे सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया। जबकि, कोरोनाकाल में डिस्कॉम्स को उपभोक्ताओं से भी पूरा भुगतान नहीं मिल पाया था।
3. साइड इफेक्ट— उत्पादन कंपनियों को भुगतान करने का दबाव होने के कारण डिस्कॉम्स को लोन लेना पड़ा। यह लोन व ब्याज राशि को भी उपभोक्ताओं की बिजली दर (टैरिफ) में जोड़ा जाएगा।

लुटाते रहे रोकड़, बढ़ता जा रहा घाटा
-86 हजार करोड़ पार कर गया बिजली कंपनियों का घाटा प्रदेश में
-6740 करोड़ रुपए घाटा है पिछले वित्तीय वर्ष में

प्रमुख वित्त सचिव भी जता चुके हैं जरूरत
प्रदेश के प्रमुख वित्त सचिव अखिल अरोड़ा भी कह चुके हैं कि ऐसे पॉवर परचेज एग्रीमेंट पर पुर्नविचार हो, जिनसे महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है। कुछ माह पहले हुए एक संयुक्त बैठक में उन्होंने यह बात कही। इसके पीछे तथ्यात्मक जानकारी भी दी।

यहां हो सकता था उपयोग
-मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर
-आॅनलाइन पढ़ाई के लिए लैपटॉप या अन्य संसाधन
-आॅक्सीजन प्लांट निर्माण
-बिजली उपभोक्ताओं को किश्तों में बिल राशि जमा कराने की छूट
(सरकार को बतौर उधार के रूप में सहयोग कर सकते थे, जिसे सरकार निर्धारित समय पर वापिस लौटा देती)

कोरोन काल में किनसे-कितनी रोकड़ की बिजली खरीदी
छबड़ा थर्मल पॉवर प्लांट- 5600 करोड़
कालिसिंध पॉवर प्लांट- 3100 करोड़
राजवेस्ट एनर्जी- 2744 करोड़
अडानी पॉवर- 3334 करोड़
पीटीसी डीबी पॉवर- 950 करोड़
सूरतगढ़ सुपर थर्मल पॉवर- 652 करोड़
सीजीपीएल अल्ट्रामेगा पॉवर प्लांट- 632 करोड़
राजस्थान एटोमिक पॉवर स्टेशन- 582 करोड़
पीटीसी एमसीसीपीएल- 459 करोड़
सिंगरोली एसटीपीएस- 411 करोड़
ससान अल्ट्रामेगा पॉवर प्लांट- 395 करोड़
(इनमें चार सौ करोड़ से ज्यादा राशि की बिजली खरीद कंपनियां हैं। अप्रेल 2020 से मार्च 2021 तक के बीच)

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