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Explainer: क्या है ग्रीन हाउस गैस? कौन सबसे ज्यादा फैला रहा, भारत किस स्थान पर

जब भी पर्यावरण का जिक्र आता है तो ग्रीन हाउस गैस की भी चर्चा होती है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि ये ग्रीन हाउस गैस होती क्या है? कोई भी गैस जो सूर्य से आने वाले लघुतरंगीय विकिरण को तो पृथ्वी धरती पर आने देती है, लेकिन पृथ्वी से वापस जाने वाले दीर्घतरंगीय विकिरण को अवशोषित कर धरती के तापमान को बढ़ा देती है, ग्रीन हाउस गैस कहलाती है.

वर्तमान में मानवीय वजहों से वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती मात्रा वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन का कारण बन गई है. पृथ्वी के वायुमंडल में उपस्थित ग्रीन हाउस गैसों के कारण पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ताप के अवशोषण और वायुमंडलीय तापमान में बढ़ोतरी की घटना को ग्रीन हाउस प्रभाव या इफेक्ट कहते हैं. ग्रीन हाउस गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, फ्लोराइनेटेड गैसें, ओजोन और जलवाष्प हैं. इनकी मात्रा को अगर नियंत्रित न किया गया तो यह मानव जाति के साथ-साथ समस्त जीवों के लिए नुकसानदेह साबित होगी.

चीन और अमेरिका सबसे बड़े योगदानकर्ता
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान CO₂ कंसट्रेशन में सबसे बड़े योगदानकर्ता चीन (30 प्रतिशत) और संयुक्त राज्य अमेरिका (लगभग 14 प्रतिशत) हैं. हालांकि, प्रति व्यक्ति CO₂ उत्सर्जन के मामले में अमेरिका और चीन क्रमाश: 10वें और 29वें स्थान पर हैं. प्रति व्यक्ति CO₂ के सबसे बड़े उत्सर्जक कतर, बहरीन और कुवैत जैसे तेल समृद्ध देश हैं.

भारत किस पायदान पर
ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन के मामले में भारत का विश्व में 12वां स्थान है. उत्सर्जन काफी कम होने के बावजूद सरकार की तरफ से इसमें कमी लाने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए एक टाइमलाइन भी बनाई गई है, जिसके अनुसार 2030 तक ग्रीन हाउस गैस के मामले में 33-35 फीसदी की कमी कर लेगा. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत का प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन 2020 में विश्व के औसत 6.3 टन कार्बन डाइऑक्साइड (tCO2e) के तुलना में काफी कम था. भारत में इस दौरान 2.4 टन कार्बन डाइआक्साइड के बराबर ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन हुआ, जो विश्व की ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की तुलना में बहुत कम है.

Tags: America, China, Climate Change, Environment news

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