‘गधों का एक्सपोर्ट और डिफेंस बजट में बढ़ोतरी’, ‘सामना’ ने पाकिस्तान पर कसा तंज

मुंबई. पाकिस्तान की आर्थिक हालत इस समय खस्ता है. मगर सेना पर खर्च करने से वह अभी भी पीछे नहीं हट रहा है. हाल ही में सेना के खर्च को 15 फीसदी बढ़ाने का फैसला किया गया है. इस पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय लिखकर तंज किया गया है. सामना के संपादकीय में कहा गया है कि पाकिस्तान इस वक्त एक भूखा कंगाल देश है. लेकिन हालात इतने खराब होने के बावजूद वहां के हुक्मरानों की पूंछ सीधी होने को तैयार नहीं है. अपनी भूखी जनता का पेट भरने के बजाय, पाकिस्तानी शासक अपने शस्त्रागार में गोला-बारूद और हथियार जमा करने में मशगूल हैं. भोजन पर खर्च करने के बजाय अरबों हथियारों पर उड़ाए जा रहे हैं.
सामना के संपादकीय में आगे कहा गया कि पाकिस्तान ने 2024-25 के बजट में अपने रक्षा खर्च में 15 फीसदी की भारी बढ़ोतरी की है. देश की रक्षा के लिए 2 हजार 122 अरब रुपये आरक्षित किए गए हैं. वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने संसद में बजट पेश करते वक्त यह जानकारी दी. पाकिस्तानी शासकों का यह हथियारों से याराना पुराना है. स्थापना काल से ही उनकी यही परंपरा है. शासक भले ही बदल गए, लेकिन न तो रक्षा बजट में वित्तीय प्रावधान बढ़ाने की नीति बदली, न हिंदुस्थान द्रोह और न ही आतंकवाद को बढ़ावा देना बदला.
पाकिस्तान की आर्थिक हालत खराबसामना ने कहा कि नई शाहबाज शरीफ सरकार ने भी उस परंपरा को कायम रखा है. दरअसल, पाकिस्तान की आर्थिक हालत हर स्तर पर खराब है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, अमेरिका, चीन और अन्य देशों की वित्तीय सहायता पर जैसे-तैसे टिकी हुई है.पिछले कुछ वर्षों से पाकिस्तान के सिर पर ‘डिफॉल्टर देश’ की तलवार लटकी हुई है. पाकिस्तान विदेशी कर्ज के जाल में फंसे देशों की सूची में शामिल है. इस साल पाकिस्तान की आर्थिक विकास दर केवल 1.9 फीसदी रहने का अनुमान है. वहां महंगाई और कीमतों में बढ़ोतरी का विस्फोट कब का हो चुका है. लोगों में भारी असंतोष है.
आटे तक की किल्लतशिवसेना के मुखपत्र ने कहा कि पाकिस्तान में आम लोगों पर एक किलो आटे के लिए एक दूसरे को मारने की नौबत आ गई है. भूखे कंगाल लोगों के मुंह में दो ग्रास डालने के बजाय शरीफ सरकार अपने हथियार प्रेम पर 278 अरब रुपये अतिरिक्त खर्च करने जा रही है. भले ही लोग जियें या मरें, पाकिस्तान के शासकों, उसकी सेना और आईएसआई की जंग और आतंकवाद को जिलाए रखना अहम है. एक ओर प्रधानमंत्री घोषणा करते हैं कि वह दिवालिया अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सभी सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों को बेच देंगे और दूसरी ओर उनके वित्त मंत्री रक्षा बजट में 15 फीसदी की बढ़ोत्तरी करते हैं. पाकिस्तानी शासकों और सेनाप्रमुखों की ‘जान’ रक्षा बजट में ही अटकी रहती है..उन्हें लोगों का पेट भरने से ज्यादा आतंकवाद और आतंकवादियों को पालने-पोसने में दिलचस्पी है..इसीलिए उनके सिर पर कर्ज हर साल 14 फीसदी और रक्षा बजट 15 फीसदी बढ़ रहा है.
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जनता महंगाई और भुखमरी से त्रस्तसामना में कहा गया कि आम जनता महंगाई और भुखमरी से त्रस्त है, लेकिन शासक, सेनाप्रमुख और आतंकवादी ही आबाद हैं और यह आज पाकिस्तान की हकीकत है. भूख से मर रही जनता की अनदेखी कर रक्षा बजट में 15 फीसदी की बढ़ोतरी के पीछे यही वजह है. अब उसी देश से एक दिलचस्प खबर आई है. पाकिस्तान की ‘जीडीपी’ गिरी है, लेकिन गधों की संख्या बढ़ गई है..सरकार का विचार इन गधों का निर्यात कर पैसा कमाने का है. जो पैसा है उससे अर्थव्यवस्था सुधारने के बजाय उस पैसे को हथियारों, आतंकवाद पर खर्च करो और गधों का निर्यात करके पैसा कमाओ. ऐसा सिर्फ पाकिस्तान में ही हो सकता है. हमारे यहां एक कहावत है गधा क्या जाने गुड़ का स्वाद? जनता को भूखा रख हथियार और आतंकवाद को बढ़ावा देने पर अरबों रुपये खर्च करने वाले और गधे बेचकर पैसा कमाने की सोच रखनेवाले शासकों के बारे में इसके अलावा और क्या कहा जा सकता है?
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FIRST PUBLISHED : June 14, 2024, 08:48 IST