Rajasthan

Farmers knew the value of water, so we reached the top position | किसानों ने जानी बूंद-बूंद की कीमत तो शीर्ष स्थान पर पहुंचे हम

locationजयपुरPublished: Dec 29, 2022 12:27:32 am

सूक्ष्म सिंचाई तकनी: उद्यान विभाग के प्रयास से सरकारी योजना जमीनी स्तर पर पहुंची तो निकले चौंकाने वाले नतीजे

किसानों ने जानी बूंद-बूंद की कीमत तो शीर्ष स्थान पर पहुंचे हम

किसानों ने जानी बूंद-बूंद की कीमत तो शीर्ष स्थान पर पहुंचे हम

ओमप्रकाश शर्मा
जयपुर. पारम्परिक तरीके से सिंचाई राजस्थान जैसे प्रदेश में अधिकांश पानी व्यर्थ बहाने जैसी साबित हो रही है। इस तरीके में किसान 25 से 40 प्रतिशत जल का ही उपयोग कर पाते हैं। ऐसे में प्रदेश में अब कम पानी में अधिक पैदावार पाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई तकनीक का उपयोग होने लगा है। उद्यान विभाग के प्रयास से सरकारी योजना जमीनी स्तर पर पहुंची तो इस वर्ष चौंकाने वाले नतीजे सामने आए।
सूक्ष्म सिंचाई तकनीक के उपयोग में प्रदेश ने देश में वर्ष 2022-23 में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है।
पांच साल पहले प्रदेश पांचवे स्थान पर था। विशेषज्ञों के अनुसार फसल की आवश्यकता कम से कम पानी में पूरा करने के लिए सूक्ष्म सिंचाई योजना कारगर है। धोरे के माध्यम से जहां पानी की उपयोगिता 25 से 40 प्रतिशत ही रहती है, वहीं फव्वारे से सिंचाई में करीब 70 प्रतिशत तथा ड्रिप इरिगेशन (बूंद-बूंद सिंचाई) में यह 90 से 95 प्रतिशत रहती है।

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