Farmers success story of pali leaving ancestral business and started fruit farming annual income is in lakhs

पाली. बदलते समय के साथ अब कृषि के क्षेत्र में भी आधुनिक तकनीक का उपयोग करते किसान नजर आ रहे हैं. इसी का नतीजा है कि पाली शहर के आस-पास क्षेत्रों में किसानों ने आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए अंगूर, सीताफल, ड्रेगन फ्रूट, अनार समेत कई फलों को पाली की धरती पर उगाया है. ऐसे किसानों को राज्य और केंद्र सरकार की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है. इनमें कई किसान ऐसे भी है, जो अब दूसरों को भी जागरूक कर रहे हैं.
साथ ही आधुनिक तकनीकों से खेती में क्या नए-नए प्रयोग कर सकते है, इसके बारे में भी दूसरों को जानकारी दे रहे हैं. उसी का नतीजा है कि एमबीए पास किए लोग भी कृषि के क्षेत्र में खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं और सभी के लिए उदाहरण भी बनकर सामने आ रहे है.
नए प्रयोग से किसान विजय की संवरी जिंदगी
पाली जिला मुख्यालय से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बूसी गांव के 53 वर्षीय किसान विजय कुमार चौधरी ने 2022 में अपने ढाई बीघा खेत में कैप्सूल अंगूर की प्रजाति के एक हजार पौधे लगाए थे. खेती में आधुनिक प्रयोग के दम पर अंगूर की अच्छी फसल ले रहे हैं. इसके साथ ही 12 बीघा में बेर की बालसुंदरी और कश्मीरी रेड ऐपल किस्म उगा रहे हैं. फल की खेती का यह प्रयोग सफल हुआ और अब वे अंगूर और बेर की अच्छी फसल ले रहे हैं. साथ ही सालाना लाखों में कमाई भी कर रहे हैं.
मिठाई के व्यवसाय को छोड़ शुरू की खेती
विजय कुमार चौधरी ने लोकल 18 को बताया कि खेती शुरू करने से पहले पुणे में रहकर मिठाई का व्यवसाय किया करते थे. मगर अब मिठाई दुकान को बच्चे संभाल रहे हैं. पुणे में मन नहीं लगा तो गांव वापस आ गए और खेती करना प्रारंभ कर दिया. नवाचार को लेकर हाल ही में सरकार का एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर बांगड़ कॉलेज में आयोजित प्रोग्राम में जिलास्तर पर उन्हें सम्मानित भी किया गया. यह गौरवान्वित कर देने पल था और इससे खेती में और बेहतर करने की प्ररेणा भी मिली.
एमएनसी की नौकरी छोड़ शुरू की खेती
पाली जिले में आने वाले देवली पाबूजी नाडोल गांव के किसान नारायण चौधरी एमबीए पास हैं. पुणे में एक बडी कंपनी में लाखों रूपए का पैकेज छोडकर किसानी शुरू कर दी. गांव में 18 बीघा का खेत खरीदा और वहां 15 बीघा में गोल्डन वैरायटी की सीताफल की खेती शुरू की. आज स्थिति यह है कि सीताफल बेचकर सालाना लाखों रुपए कमा रहे हैं. इनके इस नवाचार को लेकर हाल ही में सरकार का एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर बांगड़ कॉलेज में आयोजित प्रोग्राम में जिलास्तर पर सम्मानित भी किया गया.
अनार की खेती से किसान कमा रहे मुनाफा
पाली के ही रहने वाले नितिन कोठारी हैं, जिन्होंने कपड़े का अपना फैमेली बिजनेस छोड़कर स्पेन की एक संस्था से तीन माह का ऑनलाइन कोर्स किया. जिसमें अनार की खेती की बारीकियां सीखी. दो साल तक रिसर्च करने के बाद पाली के जाडन के निकट अपने 16 हेक्टेयर खेत में 15 हजार अनार के पौधे अहमदाबाद से लाकर लगाए. उनके अनार की क्वालिटी इतनी अच्छी होती है कि कम्पनियां यहां आकर खरीदकर ले जाती है. पाली के कृषि अधिकारी बलवीर सिंह मेड़ितया ने बताया कि किसानों को उन्नत खेती के लिए प्रशिक्षित करने के लिए समय-समय पर कैम्प आयोजित किए जाते हैं. किसानों को प्रदेश में अन्य स्थानों पर कृषि के गुर सीखने के लिए भेजा जाता है. इसके साथ ही कई योजनाओं के तहत अनुदान भी दिया जाता है.
पाली में 8 लाख हेक्ट्रेयर से अधिक है कृषि योग्य भूमि
कृषि अधिकारी ने बताया कि राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन के तहत ड्रीप, मिनी फव्वारा एवं फव्वारा संयंत्रों की स्थापना पर लघु सीमान्त एवं महिला कृषकों को इकाई लागत का 75 प्रतिशत और सामान्य श्रेणी के कृषकों को 70 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है. एक लाभार्थी को अधिकतम 5 हेक्टेयर तक अनुदान देय है. पाली में बात करे तो कृषि योग्य भूमि 8 लाख 39 हजार 773 हेक्टेयर है. जिसमें से लगभग 80 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में उद्यानिकी फसलों की खेती की जाती है. जिले में मसाले जैसे जीरा, मैथी, सौंफ, धनिया एवं अजवायन की लगभग 14000 हेक्टेयर में खेती होती है. खरीफ में 2800 हेक्टेयर, रबी में 3385 हेक्टेयर में से 1003 हेक्टेयर सब्जियों की खेती की जाती है. पाली जिले में सोजत की मेंहदी नाम से विश्व प्रसिद्ध है. जिले में मेंहदी की फसल 40 हजार हेक्टेयर में की जाती है.
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FIRST PUBLISHED : December 26, 2024, 19:36 IST