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किसान अब खुद से तैयार कर सकेंगे बीज, बढ़ेगी फसल उत्पादन क्षमता, सरकार दे रही है तकनीकी मदद

Last Updated:October 16, 2025, 13:52 IST

Agriculture News: कृषि विभाग ने प्रदेश में किसानों को गुणवत्ताहीन और महंगे बीजों से बचाने के लिए समूह आधारित खेती योजना शुरू की है. सीकर, नागौर, झुंझुनूं और डीडवाना-कुचामन में रबी फसलों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराए जाएंगे. यह पहल किसानों को निजी कंपनियों पर निर्भरता कम करने, उत्पादन लागत घटाने और पैदावार बढ़ाने में मदद करेगी. विभाग तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण भी देगा, जिससे किसान आत्मनिर्भर बन सकेंगे.फसल बुआई

कृषि विभाग ने प्रदेशभर में किसानों को गुणवत्ताहीन और महंगे बीजों से छुटकारा दिलाने के लिए समूह आधारित खेती की नई पहल शुरू की है. इस योजना के तहत अब किसान अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी की स्थिति के अनुरूप बीज तैयार कर सकेंगे. इससे किसानों को बीजों के लिए निजी कंपनियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे.

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रबी सीजन में किसानों को अधिक पैदावार दिलाने के उद्देश्य से विभाग ने सीकर, नागौर, झुंझुनूं और डीडवाना-कुचामन में बीज उत्पादन प्रदर्शन लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. योजना के अंतर्गत किसानों को अनुदान पर बीज उपलब्ध कराए जाएंगे. इसे आस-पास के किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज सस्ते दामों में मिल सकेंगे और उनकी उत्पादन लागत भी घटेगी. कृषि विभाग ने जिलेवार बीज उत्पादन का विस्तृत लक्ष्य तय किया है.

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इसके तहत सीकर कृषि खंड के अलावा नागौर, झुंझुनूं और कुचामन-डीडवाना क्षेत्रों में कुल 7,680 हेक्टेयर भूमि पर बीज उत्पादन किया जाएगा. इस योजना में गेहूं, जौ, चना और सरसों जैसी मुख्य रबी फसलों को शामिल किया गया है. इन फसलों के बीज स्थानीय किसानों की जरूरतों के अनुसार तैयार किए जाएंगे. कृषि अधिकारी शीश राम ओला ने बताया कि प्रदेश के कई क्षेत्रों में बदलते मौसम, गिरते भूजल स्तर और मिट्टी की खराब होती गुणवत्ता के कारण किसानों को फसलों की पैदावार में लगातार कमी का सामना करना पड़ता है.

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उन्होंने बताया कि किसान मजबूरी में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग करते हैं. इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता कम होती है बल्कि पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इस नई योजना के तहत बीज उत्पादन पूरी तरह कृषि विभाग की निगरानी में किया जाएगा. किसानों को तकनीकी सहायता के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन के सभी संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे. तैयार बीज से किसान अगली फसल की बुवाई स्वयं कर सकेंगे, जिससे लागत कम होगी और लाभ अधिक मिलेगा.

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यह व्यवस्था किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में मदद करेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि स्थानीय जलवायु और मिट्टी के अनुसार तैयार किए गए बीजों से पैदावार में 15 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है. इसके साथ ही रोग प्रतिरोधक बीज किस्मों के कारण कीटनाशक और दवाइयों पर खर्च घटेगा. समय पर गुणवत्तापूर्ण बीज मिलने से किसानों को निजी कंपनियों या बाजार की ऊंची दरों से भी राहत मिलेगी.

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योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए कृषि विभाग चयनित किसानों को बीज उत्पादन से संबंधित प्रशिक्षण भी देगा. किसानों के समूह बनाकर उन्हें आधुनिक खेती और बीज प्रसंस्करण की तकनीक सिखाई जाएगी. इस उद्देश्य से कृषि पर्यवेक्षकों को विशेष निर्देश जारी कर दिए गए हैं. इससे किसानों को न केवल नई जानकारी मिलेगी बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.

First Published :

October 16, 2025, 13:52 IST

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