Farming News: नागौर के किसान करें तारामीरा की खेती, कम पानी में भी बंपर उत्पादन, मात्र 3 महीने में फसल होगा तैयार, होगी मोटी आमदनी

Last Updated:April 17, 2025, 12:31 IST
Farming News: नागौर के शुष्क इलाकों में किसान तारामीरा की खेती करते हैं, जो कम पानी में भी उगती है. हल्की दोमट मिट्टी में उगाई जाने वाली इस फसल की कटाई 3-3.5 महीने में होती है. तारामीरा फसल में खरपतवार नियंत्रण…और पढ़ेंX
तारामीरा की फसल
हाइलाइट्स
नागौर में किसान करें तारामीरा की खेतीकम पानी में भी उगाई जा सकती है तारामीरा की फसल3-3.5 महीने में तैयार होती है तारामीरा की फसल
नागौर. आज हम आपको एक ऐसी किसान से जुड़ी फसल के बारे में बताने जा रहे हैं जो नागौर सहित मारवाड़ जैसे शुष्क इलाकों में जहां पानी का जमीनी स्तर कम है और पानी की मात्रा कम है, वहां पर किसानों द्वारा अधिक मात्रा में इस तारामीरा फसल की खेती की जाता है. मात्र एक दो बारिश के पानी से भी यह खेती हो सकती है.
कौन सी भूमी है इस तारामीरा फसल के लिए उपयुक्ततारामीरा की खेती के लिए किसान द्वारा अनुकूल भूमि का चयन तारामीरा के लिए हल्की दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त रहती है. तारामीरा की खेती सामान्यत: शुष्क इलाकों में होती है. अम्लीय और अधिक क्षारीय मृदा इसके लिये उपयुक्त नही मानी गई है. इस फसल को बोने (रोपण) की शुरुआत सितंबर से अक्टूबर माह में की जाती है. मात्र एक-दो बार फसल में पानी देने से या एक दो बार बारिश होने से भी यह फसल अच्छी मात्रा में पैदावार होती है. वहीं मात्र तीन से 3 से साढे तीन महीने में यह फसल पक कर कटाई ( लावणी )के लिए तैयार हो जाती है.
तारामीरा की खेती के दौरान सावधानीतारामीरा फसल का पाले से बचाव तारामीरा को पाले से बचाने के लिये 0.1 प्रतिशत गन्धक के अम्ल का खड़ी फसल पर पाला पड़ने की सम्भावना होने पर एक दो बार छिड़काव करें. लेकिन खास बात यह भी बताई गई है अगर लगातार पानी के अभाव में तारामीरा की फसल खेत में उगाई जाती है. तो खेत में अन्य फसल उगाने में काफी दिक्कत होती है. तारामीरा की खेती के लिए 6 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर पर्याप्त होता है. बुवाई से पहले बीज को 1.5 ग्राम मैंकोजेब द्वारा प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज को उपचारित करें.
तारामीरा की फसल में खरपतवार से बचाव हेतु उपायतारामीरा फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 22 से 27 दिन बाद निराई (नीनाण) करें. पौधों की संख्या अधिक हो तो बुवाई के 10-11 दिन बाद अनावश्यक पौधों को निकालकर पौधे से पौधे की दूरी 9 से 11 सेन्टीमीटर कर दें. तारामीरा का मुख्य कीट मोयला है.
तारामीरा फसल की कटाई (लावणी) और उपजतारामीरा फसल के जब पत्ते झड़ जायें और फलियां पीली पड़ने लगे तो फसल (लावणी)काट लेनी चाहिए अन्यथा कटाई में देरी होने पर दाने खेत में झड़ जाने की आशंका रहती है. उपरोक्त तकनीक और अनुकूल स्थितियों में 14 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार किस को प्राप्त हो जाती है.
तारामीरा का उपयोग और स्वास्थ्य लाभ भारत में मुख्य रूप से तेल का उपयोग सब्जियां बनाने एवं अचार बनाने, तीखेपन को कम करने के लिए, सलाद या खाना पकाने के तेल के रूप में किया जाता है. तारामीरा के बीजों के तेल का उपयोग मालिश तेल के रूप में और त्वचा को आराम देने के लिए भी किया जाता है. तेल उत्पादन का एक उपोत्पाद, बीज केक, पशु आहार के रूप में भी उपयोग किया जाता है और सरसों के तेल में भी मिलाकर खाया जाता है.
बाजार में भाव किसान द्वारा तारामीरा फसल को उगाने के बाद और इसके बीज प्राप्त करने के बाद इसे बोरियों में भरकर पास ही क्षेत्रीय बाजार में बेचा जा सकता है. तारामीरा तिलहन फसल का भाव बाजार में 4900 से लेकर 5700 तक प्रती क्विंटल है. किसान बाजार में इस फसल का मोल-भाव करके अच्छे रुपए कमा सकते हैं.
Location :
Nagaur,Nagaur,Rajasthan
First Published :
April 17, 2025, 12:31 IST
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