Ganesh Chaturthi 2024: राजस्थान के तारागढ़ी विनायक मंदिर में गजानंद को लगाया 1151 किलो के स्पेशल लड्डू का भोग
चूरू. चूरू शहर से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित देपालसर में करीब साढ़े तीन सौ साल पुराने दक्षिणमुखी तारागढ़ी विनायक मंदिर में गणेश चतुर्थी पर गणेशजी को 1151 किलो के स्पेशल लड्डू का भोग लगाया गया. गणेश चतुर्थी के मौके पर विनायक दरबार में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. गणेशजी के दर्शन करने के लिए दिनभर लंबी-लंबी लाइनें लगी रही. इस मौके पर आयोजित मेले में आसपास के गावों से भारी संख्या में भीड़ उमड़ी. इस लड्डू को फिर श्रद्धालुओं में बांटा गया.
गणेश सेवा समिति की ओर से गणेश चतुर्थी के लिए विशेष 1151 किलो का लड्डू बनवाया गया. फिर विधि विधान से गणेशजी को इसका भोग लगाया गया. मेले में हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने भगवान विनायक के दरबार मे शीश नवाया और मनौती के नारियल बांधे. मंदिर में तड़के से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया था. दिनभर उमस और धूप के बावजूद श्रद्धालुओं की भीड़ कम होने की बजाय लगातार बढ़ती रही. हालात ये हो गए कि यहां श्रद्धालुओं को करीब एक डेढ़ किलोमीटर लंबी कतार लगानी पड़ी.
मंदिर में सबसे ऊपर प्राचीन शिवलिंग स्थापित हैमेले में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था. गणेश सेवा समिति के विजय पूनिया ने बताया कि श्री विनायक का यह मंदिर 350 साल पुराना है. इसे तारागढ़ी गणेश मंदिर के नाम से पहचाना जाता है. यहां शिव के चरणों में उनके पुत्र गणेशजी विराजमान हैं. मंदिर में सबसे ऊपर प्राचीन शिवलिंग स्थापित है. उसके ठीक नीचे गर्भगृह में गजानन विराजमान हैं.
जोधपुर रियासत की राजकुमारी तारामणी ने बनवाया था मंदिरप्रसिद्ध तारागढ़ी गणेश मंदिर को जोधपुर रियासत की राजकुमारी तारामणी ने बनवाया था. उन्हीं के नाम पर इसका नाम तारागढ़ी गणेश मंदिर पड़ा. दावा है कि यह प्रदेश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान गजानन की दक्षिण मुखी मूर्ति विराजित हैं. धीरे-धीरे मंदिर की ख्याती बढ़ती रही. अब प्रत्येक बुधवार को यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. मनौती पूरी होने पर बड़ी संख्या में यहां श्रद्धालु दूर-दूर से पैदल भी आते हैं.
FIRST PUBLISHED : September 8, 2024, 11:15 IST