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Gangaur Festival 2025: जानिए राजस्थान में कैसे मनाया जाता है गणगौर त्योहार, ये है पूरी पूजा विधि

Last Updated:March 25, 2025, 13:44 IST

राजस्थान में विवाहित नवविवाहित व अविवाहित महिलाएं गणगौर की पूजा करती है. इस पर्व को लेकर मान्यता है कि विवाहित व नव विवाहित महिलाएं अगर भगवान शिव और माता पार्वती के प्रतीक ईसर और गणगौर की पूजा अर्चना करती है, त…और पढ़ेंX
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इस बार यह त्योहार 18 दिन का होगा. 

हाइलाइट्स

गणगौर का त्योहार राजस्थानी संस्कृति का प्रतीक है.विवाहित महिलाएं गणगौर की पूजा से पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं.जयपुर, बीकानेर और उदयपुर की गणगौर शाही सवारी के लिए प्रसिद्ध हैं.

काजल मनोहर/जयपुर. गणगौर का त्योहार राजस्थानी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है, जिसे महिलाएं बड़े हर्ष और उल्लास से मनाती हैं. इस बार यह त्योहार 18 दिनों तक चलेगा, जिसमें नवविवाहित और अविवाहित महिलाएं गणगौर की पूजा करेंगी. राजस्थान के विभिन्न इलाकों में अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार गणगौर उत्सव मनाया जाता है. इस पर्व में महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव की श्रद्धा पूर्वक पूजा-अर्चना करती हैं.

राजस्थान में विवाहित, नवविवाहित और अविवाहित महिलाएं गणगौर की पूजा करती हैं. मान्यता है कि विवाहित और नवविवाहित महिलाएं यदि भगवान शिव और माता पार्वती के प्रतीक ईसर और गणगौर की पूजा-अर्चना करें, तो उनके पति की उम्र लंबी होती है. वहीं, अविवाहित महिलाएं इस त्योहार को मनाकर भगवान शिव जैसे योग्य पति की प्राप्ति की कामना करती हैं.

क्यों मनाई जाती है गणगौरपौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती भगवान शिव को अपने पति के रूप में स्वीकार करती थीं. इसके लिए उन्होंने भगवान शिव की प्रतिमा बनाकर 15 दिनों तक कठोर तपस्या की. 16वें दिन उनकी निष्ठा और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. इसके बाद गाजे-बाजे के साथ माता पार्वती के परिवार ने उनका भगवान शिव के साथ विदा संस्कार किया. राजस्थान में मनाए जाने वाले गणगौर त्योहार में ईसर को भगवान शिव और गणगौर को माता पार्वती का प्रतीक माना जाता है.

इस जगह की गणगौर है फेमसराजस्थान के विभिन्न जिलों में गणगौर का त्योहार अलग-अलग विधि-विधान के अनुसार मनाया जाता है. इनमें जयपुर की गणगौर सबसे प्रसिद्ध है, यहां शाही सवारी की शुरुआत राजपरिवार की ओर से की जाती है. इसके अलावा, बीकानेर और उदयपुर की शाही गणगौर भी अपनी भव्यता और परंपराओं के लिए जानी जाती है.

गणगौर की पूजन विधिगणगौर की पूजन विधि के अनुसार, पहले दिन महिलाएं मिट्टी से ईसर और गणगौर की प्रतिमा बनाकर बैंड-बाजे और गीत गाते हुए उनकी स्थापना करती हैं. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, महिलाएं 18 दिनों तक रोजाना नदी या तालाब से नई घास लाकर मिट्टी से बनी प्रतिमाओं का जल अभिषेक करती हैं. इन 18 दिनों तक लगातार ईसर और गणगौर की पूजा-अर्चना की जाती है. 18वें दिन, विधि-विधान के साथ गणगौर की शाही सवारी निकाली जाती है, और सूर्यास्त के समय मिट्टी से बनी प्रतिमाओं को तालाब में विसर्जित किया जाता है.


Location :

Jaipur,Rajasthan

First Published :

March 25, 2025, 13:44 IST

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राजस्थान में धूमधाम से मनाया जाएगा गणगौर उत्सव, 18 दिन तक चलेंगी खास परंपराएं

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