National

महाभारत: द्रौपदी को चाहने वाले 12 प्रमुख योद्धा और राजा

Last Updated:February 20, 2025, 08:19 IST

महाभारत कथा: क्या आपको मालूम है कि द्रौपदी को महाभारत काल में कई ताकतवर लोग पत्नी बनाने की इच्छा रखते थे. इसमें 12 लोग तो ऐसे थे, जिन्होंने उसे दिल ही दिल में खूब चाहा. हालांकि दो का हश्र बुरा हुआ.महाभारत: द्रौपदी पर फिसला एक दो नहीं बल्कि 12 लोगों का दिल, कौन थे वो

हाइलाइट्स

द्रौपदी महाभारत काल में ऐसी सुंदरी, जिसे 12 लोग पत्नी बनाना चाहते थेइसमें दो ऐसे थे, जिन्होंने स्वयंवर में खुद को अपमानित महसूस कियादो ऐसे थे जिसने द्रौपदी के साथ जबदस्ती की तो उनका बुरा हाल हुआ

द्रौपदी का जन्म अग्निकुंड से हुआ. उसके अंदर अग्नि जैसा तेज था तो ऐसी अपूर्व सुंदरता कि कोई भी उसको देखकर रीझ जाता था. महाभारत में एक नहीं बल्कि 12 लोग दिल ही दिल उसे चाहते थे. इसमें 7 लोगों ने उसे पाने की पूरी कोशिश कर ली. उसके स्वयंवर में पहुंचे. इसमें दो लोगों ने उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की. दोनों का अंजाम बहुत बुरा हुआ. एक की तो जान ही चली गई. हकीकत ये भी है कि जिसने भी द्रौपदी का बुरा करने की सोची, उसका नामोनिशान ही मिट गया.

महाभारत में द्रौपदी के सौंदर्य, बुद्धिमत्ता और व्यक्तित्व पर कई राजा-महाराजाओं और राजकुमारों का मन और ईमान डगमगाया था. वो द्रौपदी के आकर्षण में मोहित हो गए. हालांकि इनमें से कुछ लोग जब उसको हासिल नहीं कर पाए तो उसका अपमान करने की कोशिश की. हम यहां आपको बताएंगे कि वो कौन से 12 लोग थे, जो मन ही मन द्रौपदी को चाहने लगे थे.

महाभारत के अनुसार, द्रौपदी के स्वयंवर से पहले कई राजा और योद्धा उसके रूप, गुण और तेजस्विता से प्रभावित थे. उसे अपनी पत्नी बनाना चाहते थे.


महाभारत में द्रौपदी के सौंदर्य, बुद्धिमत्ता और व्यक्तित्व पर कई राजा-महाराजाओं और राजकुमारों का मन और ईमान डगमगाया था (image generated by leonardo ai)

इसमें सबसे पहले नंबर पर आते हैं कर्णकर्ण द्रौपदी के सौंदर्य से बहुत प्रभावित था. जबसे उसने द्रौपदी के बारे में सुना था, तब से उसे मन ही मन चाहने लगा था. उसे ये लगता था कि वह खुद राजा बन चुका है और महान धनुर्धर भी है. लिहाजा द्रौपदी को उसे वरण करने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए., वह इसी उम्मीद में स्वयंवर में भाग लेने आया था कि द्रौपदी को पत्नी बनाकर ही लौटेगा.

कहा तो ये भी जाता है कि कहीं ना कहीं द्रौपदी भी उसको चाहती थी लेकिन बाद में कृष्ण की वजह से उसने दिल में अर्जुन को बसा लिया था. जब कर्ण स्वयंवर में आया तो द्रौपदी ने उसे “सूतपुत्र” कहकर खारिज कर दिया. इस अपमान से वह क्रोधित हो गया और अपमानित महसूस किया.

दूसरे नंबर पर दुर्योधनदुर्योधन भी द्रौपदी को हासिल करना चाहता था. उसे अपनी क्षमता और ताकत पर बहुत गुरूर था लेकिन स्वयंवर में जब वह धनुष उठाने में नाकाम रहा तो उसकी खिल्ली भी उठी. खुद द्रौपदी ने उसे वहां ज्यादा भाव नहीं दिया, जिससे वह क्रोध और ईर्ष्या से भर उठा.


दुर्योधन को ये लगता था कि हस्तिनापुर का ताकतवर युवराज होने के कारण द्रौपदी उसकी ही होनी चाहिए. (image generated by leonardo ai)

दुर्योधन को ये लगता था कि हस्तिनापुर का ताकतवर युवराज होने के कारण द्रौपदी उसकी ही होनी चाहिए. फिर उसकी सुंदरता को वह उसे दिल ही दिल में चाहने भी लगा था. स्वयंवर और उसके बाद द्रौपदी के व्यवहार ने ना केवल उसका दिल तोड़ा बल्कि प्रतिशोध और गुस्से से भी भर दिया. यही कारण था कि बाद में उसने द्रौपदी के प्रति दुर्भावना रखी. चीरहरण की योजना बनाई.

तीसरे नंबर पर जयद्रथ, जिसने जबरदस्ती कीजयद्रथ सिंधु देश का राजा था और दुर्योधन का जीजा भी. वह दुर्योधन की बहन दुशाला से विवाह करके उसका जीजा बना था. वह भी द्रौपदी को पत्नी बनाना चाहता था. उसने स्वयंवर में भाग लिया लेकिन धनुष परीक्षा में सफल नहीं हो सका.

इसके बाद जयद्रथ का द्रौपदी से सामने तब हुआ जब पांडव वनवास में थे. उस समय जयद्रथ अपने कुछ लोगों के साथ शाल्व देश जा रहा था. जब उसने वहां द्रौपदी को देखा तो उसने उसके सामने फिर पत्नी बनने का प्रस्ताव दिया. जब उसकी इस बात पर द्रौपदी को गुस्सा आ गया तो जयद्रथ ने बलपूर्वक उसे अपने रथ पर उठा लिया.

बाद में जब पांडवों को मालूम हुआ कि जयद्रथ जबरदस्ती द्रौपदी का अपहरण करके ले गया है तो उन्होंने उसका पीछा किया. जब पकड़ा गया तो जान बचाकर वन की ओर भागा.फिर भागते जयद्रथ को भीम ने पकड़कर जमीन पर पटक दिया. फिर उसके सिर के बाल ऐसे काटे कि पांच जटाएं बनाकर अपमानित किया. हालांकि जयद्रथ इस अपमान को कभी भूल नहीं पाया.

शिशुपाल थे नंबर चारचेदि देश का राजा शिशुपाल जो श्रीकृष्ण का शत्रु था, वह भी द्रौपदी से विवाह करना चाहता था. वह स्वयंवर में मौजूद उपस्थित था, लेकिन धनुष उठाने में असफल रहा.


नकुल और सहदेव के मामा शाल्व भी द्रौपदी को चाहते थे और स्वयंवर में हिस्सा लेने पहुंचे थे. (image generated by leonardo ai)

शल्य थे नंबर पांचमद्र देश के राजा शल्य भी स्वयंवर में भाग लेने आए थे. वह नकुल और सहदेव के मामा थे. वह भी धनुष उठाने में नाकाम रहे.

वृहद्बल भी चाहते थे द्रौपदी कोकोशल देश का राजा वृहद्बल भी स्वयंवर में उपस्थित था. वह राम का वंशज भी था. द्रौपदी से विवाह की इच्छा रखता था लेकिन वह भी प्रतियोगिता में असफल रहा. बाद में वृहद्वल ने महाभारत में कौरवों की ओर से युद्ध लड़ा. वहां वह मारा गया.

सातवें नंबर थे अर्जुनअर्जुन को कृष्ण ने लगातार जिस तरह से द्रौपदी की बातें बता रखी थीं, उसके सौंदर्य और गुणों की तारीफ कर रखी थी, उससे वह द्रौपदी को चाहने लगे थे. इसी वजह से वह स्वयंवर में पहुंचे. हालांकि उस समय वह ब्राह्मण के वेष में थे. उन्होंने धनुष उठाकर ऊपर घूमती हुई मछली को अपने तीर से वेध दिया. इस तरह उन्होंने द्रौपदी का वरण किया.

इसके अलावा 4 अन्य पांडव भाईजब अर्जुन स्वयंवर में द्रौपदी का वरण करके घर लौटे तो माता कुंती के वचन के कारण द्रौपदी पांचों पांडवों की पत्नी बनी. लिहाजा युधिष्ठिर से लेकर भीम, नकुल और सहदेव सभी उसे ना केवल चाहते थे बल्कि उसके साथ रहकर खुश रहते थे.

12 वें नंबर पर कीचक, जो मारा गयाजब अज्ञातवास के दौरान आखिरी साल में पांडवों विराट नगरी में पहुंचे तो वहां राजा विराट के महल में द्रौपदी ने सैरंध्री का रूप रखा. वह वहां रानी की सेवा में नियुक्त हुई. राजा विराट का सेनापति कीचक उसे देखते ही उसके रूप-सौंदर्य पर मोहित हो गया. उसने द्रौपदी से जबरदस्ती करने की कोशिश की. अपने वश में करने की कोशिश की. आखिरकार भीम ने कीचक को मार दिया.

लिहाजा द्रौपदी के सौंदर्य और प्रभावशाली व्यक्तित्व ने कई योद्धाओं और राजाओं को आकर्षित किया. ये बात अलग है कि इनमें से ज्यादातर लोग द्रौपदी को नहीं पाने के बावजूद उसे दिल से चाहते रहे.


Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

February 20, 2025, 08:19 IST

homeknowledge

महाभारत: द्रौपदी पर फिसला एक दो नहीं बल्कि 12 लोगों का दिल, कौन थे वो

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj