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Gaya herbal garden has more than 300 types of plants used in panacea for many diseases – News18 हिंदी

कुंदन कुमार/गया. भारत में सदियों से जड़ी-बूटी से बीमारियों का सफल इलाज किया जाता रहा है. गुणों से युक्त यह उपचार देश के लगभग हर क्षेत्र में लोकप्रिय था और आज भी है. हालांकि, आज कुछ क्षेत्रों में इसकी पहुंच आम लोगों तक कम हो गई है. लेकिन लोगों का एक बड़ा वर्ग हर्बल चिकित्सा को अपनाया हुआ है. इसलिए अब इसकी खेती के लिए सरकार प्रोत्साहित कर रही है. लेकिन गया के इस यूनानी मेडिकल कॉलेज में कई दुर्लभ जड़ी बूटी है. इसकी जानकारी छात्रों को दी जाती है.

यही कारण है कि बिहार राज्य में इसके प्रचार-प्रसार और मांग को पूरा करने के लिए औषधीय खेती पर जोर दिया जा रहा है. कुछ पौधे ऐसे हैं, जिन्हें उद्यान विभाग द्वारा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके पौधे भी उपलब्ध कराए जाते हैं. अब औषधीय पार्क या पौधे उन्हीं स्थानों पर मिलेंगे जहां हर्बल चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यवस्था है. वहीं, गया जिले के डुमरी में स्थित निज़ामिया यूनानी मेडिकल कॉलेज है, जिसके परिसर में लगभग 1 कट्ठा जमीन पर एक हर्बल गार्डन है, जहां एक से बढ़कर एक उपयोगी पौधे हैं. इसके माध्यम से यहां पढ़ने वाले छात्रों को दवा बनाने की विधि का प्रशिक्षण दिया जाता है.

ये पौधे इलाज के लिए बहुत उपयोगी
निज़ामिया यूनानी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के फार्माकोलॉजी विभाग के रीडर डाॅ.मरगुब उल हक ने कहा कि निज़ामिया कॉलेज परिसर में लगभग 300 जड़ी-बूटियां लगाई गई हैं. इसमें एक कपूर का पेड़ भी है, जो वसंत ऋतु में दुर्लभ होता है. कुछ पौधे मौसमी हैं जो यहां हैं. कश्मीर, दिल्ली, शिमला और अन्य राज्यों से भी पौधे मंगाए गए हैं, जो बिहार और गया जिले में उपलब्ध नहीं थे. उन्होंने आगे कहा कि असगंध, लौंग, इलायची, वरुण, सफेद तिल, कपूर, लेमनग्रास ये सभी चीजें हैं जो आसानी से नहीं मिलती हैं. जबकि यहां शहतूत, मुम्फाल, शरीफा, कॉर्नफ्लावर, सतावर समेत करीब 300 प्रकार के पौधे हैं जो कुछ खास बीमारी और उनका इलाज बहुत उपयोगी होता है.

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इन बीमारियों में कारगर
कुछ जड़ी-बूटियां ऐसी हैं, जो कई बीमारियों के लिए अमृत है. मरगुब उल हक ने कई जड़ी-बूटियों के फायदों का जिक्र किया और आगे कहा कि कुछ पौधे ऐसे भी हैं जो घरों में होते हैं लेकिन लोगों को उनके बारे में जानकारी नहीं होती है. अश्वगंधा गठिया रोग में अत्यंत उपयोगी है. अधिकांश हर्बल औषधि का उपयोग घाव और खुजली के लिए किया जाता है. इसके अलावा एलोपैथी और अन्य चिकित्सा पद्धतियों में जिस भी बीमारी का इलाज नहीं हो पाता, उसका इलाज हर्बल चिकित्सा से ही किया जाता है.

Tags: Bihar News, Gaya news, Health, Local18

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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