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Going against others is easy, going against yourself is difficult | दूसरों के खिलाफ जाना आसान ,अपने खिलाफ जाना मुश्किल

locationजयपुरPublished: Feb 13, 2024 04:21:57 pm

संघर्ष या दबाव या भय या प्रतिस्पर्धा सिर्फ़ कॉलेज में या व्यवसाय में या सांसारिक मसलों में ही है। हम आमतौर पर बस ऐसे ही छवि भर बना लेते हैं। हमें लगता है कि एक तो सांसारिक तल है, इसमें बड़ा घर्षण है, बड़ी रस्साकशी है, बड़े संघर्ष हैं, भय का सामना करना पड़ता है, ज़ोर लगाना पड़ता है, मेहनत करनी पड़ती है।

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Going against others is easy, going against yourself is difficult

संघर्ष या दबाव या भय या प्रतिस्पर्धा सिर्फ़ कॉलेज में या व्यवसाय में या सांसारिक मसलों में ही है। हम आमतौर पर बस ऐसे ही छवि भर बना लेते हैं। हमें लगता है कि एक तो सांसारिक तल है, इसमें बड़ा घर्षण है, बड़ी रस्साकशी है, बड़े संघर्ष हैं, भय का सामना करना पड़ता है, ज़ोर लगाना पड़ता है, मेहनत करनी पड़ती है। इन सब बातों को हम जोड़ देते हैं बाहर की दुनिया से; चाहे वो कॉलेज की दुनिया हो, चाहे वो नौकरी की दुनिया हो, व्यापार की दुनिया हो। और इसके विपरीत हम छवि बना लेते हैं अध्यात्म की दुनिया की।वहाँ हम कहते हैं कि बस प्रेम है, समन्वय है, सहिष्णुता है, आनन्द-ही-आनन्द है। तो कई बार अगर बात को ठीक से समझा नहीं है, इन दोनों ही जगतों से पूरा परिचय नहीं है, तो हमें ऐसा लगने लग जाता है कि बाहर की दुनिया को छोड़कर आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश करेंगे तो सब दबाब, तनाव, संघर्ष से निजात मिल जाएगी।

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