Good News: अब जोधपुर में भी होने लगा ‘एंडोवैस्कुलर तकनीक’ से उपचार, मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत
रिपोर्ट- मुकुल परिहार
जोधपुर. देश अब मेडिकल हब के रूप में उभर रहा है. इसी कड़ी में जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज से संबंधित मथुरा दास माथुर अस्पताल के कार्डियक सर्जन विभाग की एक विशेष टीम ने फिर एक अच्छा सकारात्मक कारनामा कर दिखाया है. जहां मेदांता अस्पताल की एक टीम के साथ में अब जोधपुर में भी एंडोवैस्कुलर तकनीक से खून की बंद धमनियों को खोलने का सफल ऑपरेशन करने की सुविधा मिल चुकी है. पहले इस प्रकार के सर्जरी के लिए मरीजों को बड़े शहर मेट्रो सिटी और दिल्ली, अहमदाबाद में जाने पर मजबूर होना पड़ता था. लेकिन अब एसएन मेडिकल कॉलेज के मथुरादास माथुर अस्पताल में भी इस सुविधा को आरंभ कर दिया गया है.
जोधपुर मथुरा दास माथुर अस्पताल के नवनिर्मित उत्कर्ष कार्डियोथोरेसिक विभाग में एंडोवैस्कुलर तकनीक से खून की बंद धमनियों को खोलने का सफल ऑपरेशन मेदांता के डॉक्टरों की टीम के साथ मिलकर किया गया. इस प्रक्रिया में बिना चीर फाड़ के प्रभावित हिस्से में खून की बंद तथा संकुचित हुई धमनी को नीडल पंचर होल से खोला जाता है. जहां इस तकनीक के उपयोग से मरीज को बिना चिरफाड की है उपचार किया जाता है. उसका खून भी इतना नहीं बता और वह जल्दी स्वस्थ होकर डिस्चार्ज किया जा सकता है.
आपके शहर से (जोधपुर)
क्या बोले विभागाध्यक्ष
मथुरादास माथुर अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक सर्जन विभागाध्यक्ष डॉ. सुभाष बलारा का कहना है कि नोरत मल 41 वर्ष ,पुखराज 55 वर्ष वह हेमाराम 79 वर्ष गत छह माह से पैरों में दर्द, सूजन तथा उंगलियों के काले पन की परेशानी से ग्रसित थे. जहां मरीजों के परिजनों के मुताबिक दवाइयों से लाभ ना मिलने की स्थिति में वह मथुरादास माथुर अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक विभाग में भर्ती हुए जहां उनका पूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण तथा सीटी एंजियोग्राफी कराने के बाद ऑपरेशन का निर्णय लिया गया. पहले इस ऑपरेशन की प्रणाली के लिए मरीजों को अन्य राज्यों तथा मेट्रो शहरों में जाना पड़ता है और यह इलाज काफी महंगे हैं. जो कि अमूमन आमजन के पहुंच से बाहर है परंतु अब यह सुविधा जोधपुर मेडिकल कॉलेज में सरकार की और से निशुल्क उपलब्ध हैं.
मेदांता अस्पताल दिल्ली के डॉ. वीरेंद्र .के. शेरोंन का कहना है कि एंडोवैसरकुलर प्रक्रिया के दौरान रक्त वाहिका मे नीडील होल के जरिए इमेज गाइडेड तार तथा बलून से बंद हिस्से को खोला तथा उस हिस्से में स्टैंट डाल दिया जाता है, जिससे संकुचित हुई धमनी मे खून का भहाव वापस शुरू हो जाता है वह मरीज भी जल्द डिस्चार्ज किये जा सकते है
इस टीम ने की सर्जरी
मथुरादास माथुर अस्पताल में की गई एंडोवैस्कुलर तकनीक की सर्जरी की विशेष टीम में डॉ विरेंदर के शेरान एवंम मथुरादास माथुर अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक विभाग के डॉ सुभाष बलारा (विभाग यक्ष) और डॉ. अभिनव सिंह (सहायक आचार्य) ने मिलकर एंडोवैस्कुलर तकनीक तकनीक से मरीजों का सफल ऑपरेशन किया इस ऑपरेशन में एनेस्थीसिया विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. राकेश करनावत तथा डॉ. शिखा सोनी (सह आचार्य) शामिल रहे
एसएन मेडिकल कॉलेज के सहायक आचार्य डॉ. अभिनव सिंह (सहायक आचार्य सीटीवीएस) का कहना है कि इस पेरीफेरल वैस्कुलर डिजीज जो मस्तिष्क व हृदय के बाहर मौजूद रक्त वाहिकाओं व धमनियों को प्रभावित करती है और ज्यादातर मामलों में धमनियों में कठोर वसा जमा हो जाने के कारण परिणाम गंभीर हैं, समय पर इलाज ना मिले तो रक्त वाहिकाओं में कलौट, क्रिटिकल इस्कीमिया और गैंग्रीन होने लगता है. जिसके कारण पैर या हाथ को निकालने तक की नौबत आ जाती अतः समय रहते इलाज अत्यंत आवश्यक है.
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Tags: Government Hospital, Jodhpur News, Medanta Hospital, Rajasthan government
FIRST PUBLISHED : December 01, 2022, 11:57 IST