बिश्नोई समाज में हैं 29 नियम, बस इस नियम से ही खत्म जाएगी सलमान खान की टेंशन, लॉरेंस भी होगा मजबूर

जोधपुर : बाबा सिद्दीकी मर्डर के बाद अब सलमान खान काले हिरण केस में लॉरेंस बिश्नोई के शूटरों के निशाने पर हैं. हालांकि, सलमान खान का मामला कोर्ट में हैं लेकिन उन्हें लॉरेंस गैंग से अक्सर जान से मारने की धमकी मिलती रहती है. काले हिरण केस में सलमान 26 साल से आरोपी हैं. उन्हें बिश्नोई समाज के एक नियम के तहत माफी मिल सकती है. आइये जानते हैं बिश्नोई समाज के 29 नियम क्या-क्या है और बॉलीवुड के दबंग को किस नियम के तहत माफी मिल सकती है?
उन्नतीस धर्म की आखड़ी, हिरदै धरियो जोय। जाम्भोजी किरपा करी, नाम बिश्नोई होय॥ राजस्थान की स्थानीय भाषा में लिखी यह कहावत एक प्रण है. इसका हिंदी में अर्थ है, जो लोग गुरू जंभेश्वर के 29 नियमों का ह्रदय से पालन करते हैं वे लोग ही बिश्नोई कहलाते हैं. इस प्रण में 29 नियमों का जिक्र है और इन्हें अपने भगवान से निभाने का वायदा करते हैं बिश्नोई समाज के लोग. आज भी इन नियमों का बिश्नोई समाज बखूबी रूप से पालन करते हुए आ रहा है.
बिश्नोई समाज से जुडे संत राजूराम ने गुरू जंभेश्वर द्वारा बताए गए 29 नियमों के बारे में बताया, एक-एक नियम का क्या महत्व है उसकी जानकारी दी. इन नियमों को बचाने के लिए बिश्नोई समाज के लोग अपनी जान तक दे देते हैं. जैसे, 1730 में सगी बहनों करमा और गौरा, 1947 में चिमनाराम और प्रतापराम, 1963 में भीयाराम ने दी.
कौन थे गुरू जंभेश्वर28 अगस्त 1451, यह वो तारीख है जब मध्य राजस्थान की रियासत नागौर के छोटे से गांव पीपासर में क्षत्रिय लोहटजी पंवार के घर एक बेटे का जन्म हुआ. जिस दौर में बालक का जन्म हुआ उसे भक्तिकाल कहा जाता है. राजपूत घराने में जन्में इस बच्चे का नाम धनराज रखा गया. लेकिन शुरूआती 7 वर्षों तक यह कुछ बोल नहीं पाए तो घर-परिवार के लोग इन्हें ‘गूंगा गला’ कहने लगे. ठीक सात साल बाद उन्होंने बोलना शुरू किया. इसके बाद शुरू हुआ इनका अध्यात्मिक जीवन, फिर इन्हें मिला एक नाम और उपाधि और कहलाए गुरु जंभेश्वर. सात साल की उम्र में उन्हें गायों को चराने का काम मिला. जब वह 16 साल के हुए तो उनकी मुलाकात गुरु गोरखनाथ से हुई. उन्होंने उनसे ज्ञान प्राप्त किया.
ऐसे बने बिश्नोई समाज के 29 नियमगुरु जंभेश्वर के विचारों से लोग प्रभावित होकर उनसे जुड़ने लगे. साल 1485 में उन्होंने 34 साल की उम्र में गांव मुकाम के एक बड़े रेत के टीले पर हवन किया, इस स्थान को समराथल धोरा कहा जाता है. इसी विशाल हवन के दौरान कलश की स्थापना कर एक पंथ की शुरुआत की गई जिसे नाम दिया गया, ‘बिश्नोई’ सबसे पहले इस पंथ में शामिल होने वाले शख्स गुरु जंभेश्वर के चाचा पुल्होजी थे. गुरु जंभेश्वर ने बिश्नोई पंथ में शामिल होने वाले लोगों के लिए 29 नियम बनाए.
जानिए 29 नियमों का क्या है अर्थइन 29 नियमों का कनेक्शन भी बिश्नोई शब्द से है. मारवाड़ की स्थानीय भाषा में ‘बिस’ का अर्थ ‘20’ और नोई का ‘9’ कहा जाता है, इन दोनों को जोड़ने पर योग 29 होता है. यहीं से बिश्नोई नाम भी लिया गया है. गुरु जंभेश्वर ने अपने अनुयायियों के लिए 29 नियमों की आचार संहिता बनाई. इनमें 10 नियम खुद की सुरक्षा और स्वास्थ्य, 9 नियम जानवरों की रक्षा, 7 नियम समाज की रक्षा और 4 नियम आध्यात्मिक उत्थान के लिए बनाए गए.
हिरणों से जान से ज्यादा प्यार करता है यह समाजब्रिटिशकाल में काले हिरणों का शिकार करने वाले अंग्रेजी अधिकारी का विरोध हरियाणा के शीशवाल गांव के बिश्नोई समाज के एक किसान तरोजी राहड़ ने किया. वह भूख हड़ताल पर बैठे और फिर इस शिकार पर रोक लगाई गई. यहां तक कि समाज के कई लोगों ने अपना बलिदान तक दे डाला. बिश्नोई समाज जीव और मानव सेवा को समर्पित है और गुरु जंभेश्वर को अपना आराध्य मानता है. जहां बिश्नोई समाज के लोग रहते हैं वहां काले हिरण पाए जाते हैं. गुरु जंभेश्वर के 29 सिद्धांतों को मानते हुए ये उनको अपनी जान से ज्यादा चाहते हैं. यहां तक कि समाज की महिलाएं हिरणों के बच्चों को स्तनपान तक कराती हैं.
जानें क्या है बिश्नोई समाज के नियमबिश्नोई समाज के 29 नियमों का पालन समाज में शांति, प्रकृति, प्रेम और धार्मिक अनुशासन बनाए रखने के लिए किया जाता है. ये नियम जीवन के हर पहलू को छूते हैं, चाहे वह व्यक्तिगत आचरण हो, प्रकृति के प्रति दायित्व या सामाजिक जिम्मेदारी हों. पढ़ें बिश्नोई समाज के नियम:
तीस दिन सूतक रखनाप्रतिदिन सवेरे स्नान करना.शील का पालन करना व संतोष रखना.बाह्य और आन्तरिक पवित्रता रखना.द्विकाल संध्या-उपासना करना.संध्या समय आरती और हरिगुण गाना.निष्ठा और प्रेमपूर्वक हवन करना.पानी,ईंधन और दूध को छान कर प्रयोग में लेना.वाणी विचार कर बोलना.क्षमा-दया धारण करना.चोरी नहीं करनी.निन्दा नहीं करनी.झूठनझू हीं बोलना.वाद-विवाद का त्याग करना.अमावस्या का व्रत रखना.विष्णु का भजन करना.जीव दया पालणी.हरा वृक्ष नहीं काटना.काम, क्रोध आदि अजरों को वश में करना.रसोई अपने हाथ से बनानी.थाट अमर रखना.बैल बधिया नहीं कराना.अमल नहीं खाना.तम्बाकू का सेवन नहीं करना.भांग नहीं पीना.मद्यपान नहीं करना.मांस नहीं खाना.नीला वस्त्र व नील का त्याग करना.
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FIRST PUBLISHED : October 17, 2024, 08:23 IST